पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर केंद्रीय परियोजना को राज्य परियोजना के रूप में पेश कर नाम बदलने के आरोप हैं। भाजपा के सांसद लंबे समय से पश्चिम बंगाल सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण परियोजना जैसी कई परियोजनाओं के नाम बदल कर बंगाल सरकार खुद अपने नाम से चला रही है। इस आरोप के बाद केंद्र सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं। खबरों के अनुसार केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने आरोपों की सत्यता की जांच के लिए केंद्र सरकार की टीम बंगाल भेजने का फैसला किया है।
दरअसल भाजपा सांसदों का आरोप कि ग्रामीण इलाकों में जिन लोगों के पास भी पक्के मकान नहीं हैं, उनके लिए केंद्र सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास उपलब्ध कराने की परियोजना चला रही है। लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार केंद्र सरकार द्वारा दिए जा रहे पैसे से अपने प्रोजेक्ट बांग्ला आवास योजना के तहत घर बनवाकर खुद इसका श्रेय ले रही है।
इसी तरह दूसरा मामला प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का है। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी
ने इस योजना को बंगलर ग्रामीण सड़क योजना का नाम दिया है। इसी के साथ प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण को ‘बंगलर गृह प्रकल्प’ किया गया है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) बंगाल में ‘मिशन निर्मल बंगला’ के नाम से जानी जा रही है।
नाम बदलने की राजनीति पर भाजपा ममता सरकार की जमकर आलोचना कर रही है। पिछले महीने बैरकपुर से भाजपा सांसद अर्जुन सिंह ने संसद में यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण परियोजनाओं के नाम पर है। राज्य में व्यावहारिक रूप से लूटपाट चल रही है। पश्चिम बंगाल में वास्तविक उपभोक्ताओं को कोई लाभ नहीं मिल रहा है। इसके उलट पहले से निर्माणाधीन मकानों की तस्वीरें दिखाकर प्रोजेक्ट के नाम पर केंद्र से पैसा वसूलने का सिलसिला चल रहा है। आरोप यह भी हैं कि ज्यादातर मामलों में भाजपा कार्यकर्ताओं को केंद्रीय सहायता से वंचित किया जा रहा है।
आरोप हैं गंभीर
ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने स्वीकार किया है कि कई राज्यों ने केंद्रीय परियोजना का नाम बदल दिया है। जिसकी शिकायत केंद्र को सौंप दी गई है। उन्होंने कहा कि इस तरह के आरोप काफी गंभीर हैं और केंद्र इसे किसी भी तरह बर्दाश्त नहीं करेगा।
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