न्यूजीलैंड में 28 मार्च को आखिरकार ‘द कश्मीर फाइल्स’ का प्रदर्शन शुरू हुआ। इस देश में जान-बूझकर इसके प्रदर्शन में डाली गर्इं सेकुलर बाधाएं अंतत: परास्त हुर्इं। वहां के सेंसर बोर्ड ने तमाम विरोधों को खारिज करते हुए इस फिल्म के प्रदर्शन को हरी झंडी दिखाई। बोर्ड के इस निर्णय से उत्साहित होकर फिल्म के लेखक—निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने ट्वीट करके अपनी खुशी व्यक्त की और कहा-‘हम जंग जीत गए’!
आखिर न्यूजीलैंड में इस फिल्म को लेकर विवाद किसने और क्यों खड़ा किया था, इसे समझना बहुत जरूरी है। दरअसल वहां पिछले कई दिनों से ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म को लेकर दुष्प्रचार किया जा रहा था। न्यूजीलैंड में सक्रिय भारत विरोधी छद्म सेकुलर गुट वहां के मुस्लिमों को आगे करके इस फिल्म के प्रदर्शन को रोकने की कोशिश में जुटे थे। लेकिन सेंसर बोर्ड ने सभी आपत्तियों को दरकिनार करते हुए फिल्म के प्रदर्शन को अनुमति दे दी। इसमें संदेह नहीं है कि यह फिल्म भारत सहित दुनिया भर के देशों में सराही ही नहीं जा रही, बल्कि लोग इसका खुद से प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। उनका कहना है कि कश्मीरी हिन्दुओं के इस्लामी जिहादियों के हाथों नरसंहार के 32 साल बाद एक साहसी फिल्मकार विवेक ने उस नरसंहार और उसके बाद 5 लाख कश्मीरी पंडितों के पलायन पर दस्तावेजी फिल्म बनाकर एक मिसाल कायम की है।
न्यूजीलैंड में आमतौर पर किसी फिल्म की 4—5 घंटे में समीक्षा करने के बाद सेंसर बोर्ड सर्टिफिकेशन तय करके उसे जारी कर देता है। लेकिन इस पर कोई आपत्ति करता है तो वहां के कानून में फिल्म की पुनर्समीक्षा करने का प्रावधान है। द कश्मीर फाइल्स के साथ भी शुरू में यही किया गया था। फिल्म 24 मार्च को रिलीज होनी थी, लेकिन इसे बेवजह समुदाय विशेष के प्रति हिंसा भड़काने और उग्रता दर्शाने वाली बताकर इसके प्रदर्शन को रोकने की कोशिश की गई।
न्यूजीलैंड में पैदा किए गए विवाद के बारे में आस्ट्रेलिया के वरिष्ठ पत्रकार, ‘आस्ट्रेलिया टुडे’ के संपादक जितार्थ भारद्वाज ने पाञ्चजन्य से विशेष बातचीत में बताया कि न्यूजीलैंड में भारतीय मूल के मुस्लिमों की बहुत ज्यादा आबादी न होने के बावजूद वहां बड़ी संख्या में सक्रिय अर्बन नक्सल गुटों ने उन्हें उकसाकर फिल्म पर आपत्तियां उठाने वाले हजारों ईमेल कराए, तो वहां बसे कश्मीरी हिंदुओं ने भी अपना पक्ष रखा, बोर्ड को पत्र लिखे।
न्यूजीलैंड फिल्म सेंसर बोर्ड के निदेशक डेविड शैंक्स ने इस फिल्म की फिर से समीक्षा की; और पाया कि फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है जो उग्रता या समुदाय विशेष के प्रति हिंसा का संदेश देता हो। इस फिल्म को लेकर उठे विवाद पर गत दिनों वहां के पूर्व उप प्रधानमंत्री विंस्टन पीटर्स ने कहा था कि देश में इसे रिलीज नहीं होने देना न्यूजीलैंडवासियों की आजादी पर हमला है।
बहरहाल, जितार्थ ने कहा कि पहले आस्ट्रेलिया में यह फिल्म सिर्फ मेलबर्न में एक स्क्रीन पर दिखाई गई थी। लेकिन तीन दिन के अंदर ही मेलबर्न और सिडनी में चार स्क्रीनों पर यह फिल्म प्रदर्शित की गई। इसी तरह अमेरिका और यूरोप के अनेक देशों में फिल्म को शानदार सफलता मिल रही है। दो सप्ताह पहले तो यह अमेरिका में बॉक्स आफिस पर दूसरी सबसे बड़ी फिल्म थी। तो सिंगापुर में बड़ी संख्या में लोग इस फिल्म को देखने आ रहे हैं। ल्ल
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