पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट क्षेत्र में एक नई गुफा का पता चला है, जो कि आठ मंजिल की है। यह गुफा महाकाली मंदिर के करीब डेढ़ किमी दूर जंगल में है। इस मंदिर क्षेत्र में अब तक आठ गुफाएं मिल चुकी हैं। माना जा रहा है कि यहां ध्यान-अध्यात्म के लिए साधु-संतों का वास रहा होगा।
गंगोलीहाट में पाताल भुवनेश्वर की गुफा बरसों पहले मिली थी। यह गुफा आज पर्यटन का केंद्र बन चुकी है। दो दिन पहले क्षेत्र के दीपक और ऋषभ रावल नाम के युवाओं ने जंगल में एक और गुफा के बारे में खोज कर जानकारी सार्वजनिक की है। आठ मंजिल की यह प्राकृतिक गुफा कभी साधना का केंद्र रही होगी, ऐसा विश्वास किया जा रहा है। दोनों युवकों ने इसका नाम महाकालेश्वर गुफा रखा है। नैनीताल के भूगर्भीय वैज्ञानिक बहादुर सिंह कोटलिया भी इस गुफा के बारे में शोध करने के लिए आ रहे हैं।
इससे पहले 2014 में भी एक बड़ी गुफा क्षेत्र में मिली थी, जिसे लटेश्वर नाम दिया गया था। गंगोलीहाट के समाजसेवा से जुड़े राजेन्द्र बिष्ट बताते हैं कि पिछले 20 सालों में यहां आठ बड़ी गुफाओं का पता चला है। महाकाली मंदिर क्षेत्र में गुफाओं का मिलना इस बात का प्रमाण है कि ये क्षेत्र साधना,अध्यात्म की दृष्टि से कितना प्रबल रहा होगा। उन्होंने कहा कि यहां के रहने वाले पंत, पांडेय, जोशी ब्राह्मण आध्यात्मिक और ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता रहे हैं। इस क्षेत्र में आदि शंकराचार्य ऐसे ही नहीं आये और उन्होंने महाकाली के लिए अनुष्ठान किया था।
जिला पंचायत उपाध्यक्ष कोमल मेहता बताते हैं नई और पुरानी गुफाएं पर्यटन, तीर्थाटन क्षेत्र में विकास के लिए नए द्वार खोल सकती हैं। स्थानीय निवासी इससे रोजगार से जुड़ सकते हैं।
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