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कृषि वानिकी क्षेत्र बढ़ने से जोर पकड़ रही हरियाणा में वन अनुसंधान केंद्र बनाने की मांग

हरियाणा में कृषि वानिकी क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है। इसका रकबा बढ़ाने के लिए वन विभाग हर साल राज्‍य के हर जिले में 4 लाख पौधे किसानों तक पहुंचा रहा है। इससे किसानों की आय भी बढ़ रही है।

Manoj Thakur by Manoj Thakur
Apr 4, 2022, 01:47 pm IST
in हरियाणा
प्रतिकात्मक चित्र

प्रतिकात्मक चित्र

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हरियाणा में कृषि वानिकी क्षेत्र में जिस तरह से विस्तार हो रहा है, अब इसमें नए शोध की जरूरत है ताकि किसानों को उचित मार्गदर्शन मिल सके। यमुनानगर के विधायक घनश्याम दास अरोड़ा ने बताया कि प्रदेश में वन अनुसंधान केंद्र या कृषि वानिकी विश्वविद्यालय खोला जाना चाहिए। इसका केंद्र यमुनानगर में होना चाहिए, क्योंकि जिले में कृषि वानिकी का क्षेत्र काफी है। इस संबंध में विधायक ने मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल से बातचीत भी की है।

यमुनानगर में करीब 18 हजार हेक्टेयर पर कृषि वानिकी है। इसमें सफेदा व पॉपुलर की फसल शामिल है। इसी तरह, अंबाला में 15 हजार हेक्टेयर, कुरुक्षेत्र में 11 हजार, करनाल में सात हजार कैथल मे 6 हजार हेक्टेयर में कृषि वानिकी हो रही है। हालांकि इसका रकबा बढ़ाने के लिए वन विभाग की ओर से हर वर्ष हर जिले में चार लाख पौधे किसानों तक पहुंचाए जा रहे हैं।

विधायक ने बताया कि हरियाणा में वन क्षेत्रों का एक बड़ा हिस्सा कृषि वानिकी में आ रहा है। इस लिहाज से वन अनुसंधान केंद्र या कृषि व वानिकी विश्वविद्यालय होना चाहिए। इसकी कमी लंबे समय से खल रही है। इसके कारण पौधों की नई प्रजातियां तैयार नहीं हो पा रही हैं और कीड़े-बीमारियों के कारण किसानों को परेशानी झेलनी पड़ी है। यदि जिले में वन अनुसंधान केंद्र या कृषि व वानिकी विश्वविद्यालय खुल जाए तो बड़ी राहत होगी।

महत्‍वपूर्ण बात यह है कि प्रदेश सरकार ने लकड़ी उद्योग को लाइसेंस से मुक्त कर दिया है। इससे सूबे में बड़ी संख्‍या में उद्योग लगने का रास्‍ता साफ हो गया है। यदि ऐसा होता है तो कच्चे माल के तौर पर लकड़ी की जरूरत होगी। इसके लिए किसानों को प्रेरित किया जाए कि वह बड़े पैमाने पर इमारती लकडि़यों वाले पेड़ लगाएं। वुड टेक्नोलॉजी एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष जोली का मानना है कि हरियाणा में कृषि वानिकी की दिशा में अभी बहुत काम हो सकता है। यहां कृषि वानिकी की अपार संभावनाएं है। उन्होंने कहा कि यमुनानगर के विधायक घनश्याम दास अरोड़ा और मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल प्रदेश में कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। अब किसान, लकड़ी उद्योग संचालक, सरकार के प्रतिनिधि और वैज्ञानिक को एक मंच पर लाने की जरूरत है। मुख्‍यमंत्री किसानों आय दोगुना करने की दिशा में प्रशंसनीय कार्य कर रहे हैं। कृषि वानिकी को बढ़ावा देकर भी किसानों की आय बढ़ाई जा सकती है। इसके लिए ठोस नीति बनाने की आवश्‍यकता है। इसमें उद्योगों को भी सहयोग करना चाहिए। इसे लेकर कई सेमिनार आयोजित किए गए हैं। कृषि वानिकी में इंटर क्रॉप क्या हो सकती है? फसल किसानों तक पहुंचाने के साथ उन्‍हें समय पर बीज उपलब्‍ध कराया जाए तो हरियाणा कृषि वानिकी में उदाहरण बन सकता है।

एमएससी कृषि के छात्र रोहित चौहान ने बताया कि कम जमीन के किसान भी कृषि वानिकी से अच्छी आय ले सकते हैं, क्‍योंकि इसमें जोखिम कम है। खेत की मेढ़ पर पौधारोपण हो सकता है। इसके लिए सरकार मदद भी दे रही है। किसान पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभा कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि एग्री हॉर्टी कल्चर, एग्री सिल्वीकल्चर, सिल्वी पोस्टोरल, हार्ट एग्री सिल्वीकल्चर जैसी कई कृषि पद्धतियां किसानों के लिए कारगर साबित हो सकती हैं। यमुनानगर में पॉपुलर की खपत बड़े स्तर पर होती है, क्‍योंकि यहां प्लाइवुड की 400 से अधिक इकाइयां हैं। एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है। एक से सवा लाख क्विंटल लकड़ी हर दिन खपत होती है। यहां तैयार प्लाइबोर्ड देश के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ नेपाल, श्रीलंका व बांग्लादेश भी निर्यात किया जा रहा है। प्रदेश के विभिन्न जिलों, पंजाब व उत्‍तर प्रदेश से पॉपुलर व सफेदा की लकड़ी यहां की मंडी में पहुंच रही है।

Topics: कृषि वानिकीप्‍लाइवुडसेमिनारलकड़ी उद्योगवन अनुसंधान केंद्रवानिकी विश्वविद्यालयAgro-ForestryPlywoodSeminarWood IndustryForest Research CenterForestry University
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