वाराणसी स्थित तथाकथित ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार के साथ आदि मां श्रृंगार गौरी का पिंड और उसके सामने एक चबूतरा है। यह पूरा क्षेत्र आदि मां श्रृंगार गौरी के स्थान के नाम से विख्यात है। इसके बावजूद हिंदू वहां मां श्रृंगार गौरी की निरंतर पूजा नहीं कर सकते थे। वर्ष में केवल एक बार चैत्र शुक्ल पक्ष चतुर्थ नवरात्र को ही वहां पूजा होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा। ऐसा एक मुकदमे के कारण हुआ है। यह मुकदमा है राखी सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य। 18 अगस्त, 2021 को वाराणसी जिला न्यायालय में दायर इस मुकदमे में मांग की गई है कि मां श्रृंगार गौरी के स्थान को पूरी तरह से मुक्त किया जाए और हिंदुओं को वहां नियमित रूप से पूजा—अर्चना करने की अनुमति दी जाए। इस पर सुनवाई चल रही है। अगली तारीख 4 अप्रैल की है। इस मुकदमे को दायर करने वालीं राखी सिंह विश्व वैदिक सनातन संघ की कार्यकर्ता हैं।
बता दें कि विश्वनाथ मंदिर का गलियारा जब बन रहा था, उस समय चार नंबर गेट से बाएं एक दीवार बनने वाली थी। इस दीवार को बनने से रोकने के लिए राखी सिंह ने मुकदमा दायर किया। राखी सिंह का कहना है कि इस मुकदमे को देखते हुए प्रशासन ने उस दीवार को नहीं बनाया। इस कारण अब भक्त सीधे मां गौरी के पिंड और चबूतरे तक जाने लगेे हैं और वहां निरंतर पूजा भी होने लगी है।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि तथाकथित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में विद्यमान मां श्रृंगार गौरी की पूजा पर 1990 में प्रतिबंध लगा दिया गया था। उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे मुलायम सिंह यादव। हमारे सूत्रों ने बताया कि अयोध्या आंदोलन को देखते हुए तत्कालीन राज्य सरकार ने वाराणसी प्रशासन को मौखिक आदेश दिया था कि मां श्रृंगार गौरी के स्थान को घेर दिया जाए, ताकि हिंदू उधर यानी ज्ञानवापी मस्जिद की ओर न जा सकें। इस समय मां श्रृंगार गौरी की मूर्ति वहां नहीं है, केवल पिंड है। यह पिंड ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर है। मां की मूर्ति वहां से लगभग 500 मीटर की दूरी पर विश्ववेश्वर मंदिर में एक पालकी में रखी हुई है। कहा जाता है कि जब काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ा गया था, उस समय मां की मूर्ति मलवे में पड़ी थी। जब कुछ भक्तों की नजर उस पर पड़ी तो मूर्ति को विश्वेश्वर मंदिर में रखवा दी गई। लेकिन भक्तों द्वारा मां के मूल स्थान पर पूजा निरंतर होती रही थी, लेकिन मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए 1990 में उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। बाद में आंदोलन के कारण प्रशासन द्वारा हिंदुओं को वर्ष में केवल एक बार चैत्र शुक्ल पक्ष चतुर्थ नवरात्र को ही पूजा करने का अधिकार दिया गया। इस दिन पूजा होने के बाद प्रशासन मां गौरी के स्थान को अपने कब्जे में ले लेता था।
इस स्थान को कब्जामुक्त करने के लिए अनेक संगठन प्रयासरत थे। इस सिलसिले में दो मुकदमे भी हुए हैं। एक राखी सिंह ने 2021 में किया है। इससे पहले भी एक मुकदमा हुआ है, जिसे आदि मां श्रृंगार गौरी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के नाम से जाना जाता हैै।
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