भैया पूछो मत। हद से ज्यादा टूरिस्ट आ गए हैं। अभी लोग आ रहे हैं। सब ठीक रहना चाहिए, शांति होना चाहिए, अमन होना चाहिए। एक-दूसरे से मोहब्बत होना चाहिए। मिलिटेंसी (आतंकवाद) नहीं है अब इधर। पांच साल में बहुत बदलाव आया है। हम फास्ट चल रहे हैं। श्रीनगर में ऑटो चलाने वाले आमिर से जब मैंने घाटी के बारे में पूछा तो उनका यही जवाब था।
हमें डल लेक से ट्यूलिप गार्डन की तरफ जाना था। व्यस्त डल चौक पर लोग ऑटो, सूमो और बस का उसी तरह इंतजार कर रहे थे, जैसे दिल्ली जैसे महानगरों में लोग करते हैं। कोई तनाव नहीं। एक ऑटो को रोका और ओबेराय होटल के लिए चल दिया। कुछ दूर चलने पर ऑटो चला रहे आमिर से पूछा कि टूरिस्ट आ रहे हैं कि नहीं। जवाब दिया- हद से ज्यादा आ रहे हैं। काम अच्छा चल रहा है।
घाटी के हालात पर आमिर ने बताया कि भाईचारा बहुत अच्छा है। यहां वह सब कुछ नहीं , जैसा कि बाहर सोचते हैं। हमें सभी को रेस्पेक्ट देना चाहिए। प्यार-मोहब्बत बनी रहे। ट्यूलिप गार्डन जाते समय एक पैसेंजर का पर्स गिर गया था ऑटो में। हमने उस बंदे को खोजा। उसे पता ही नहीं था कि उसका पर्स गिर गया। उसमें डॉक्यूमेंट्स थे, पैसे थे। हम उसे ढ़ूंढ़ने के लिए गार्डन के अंदर तक गए। इससे हमें क्या फायदा था। ऐसा नहीं होना चाहिए कि आपको लगे कि आप बाहर के हो। हमें एक-दूसरे का रेस्पेक्ट करना चाहिए। हम ऐसा सोचते हैं कि आपको खुशी मिलनी चाहिए।
अलगाववादियों और कट्टरपंथियों पर चर्चा करता उससे पहले आमिर का जवाब हाजिर था। कहा कि ऐसे भी लोग हैं जो अमन नहीं चाहते। वे लोग दंगा-फसाद करेंगे जिनके पास कोई काम नहीं होगा। उनका बिजनेस ही है दंगा-फसाद करना। जब तक यह सब नहीं होगा तब तक उनका काम नहीं चलेगा। जो रोजगार कर रहे हैं, वे यह सब नहीं करते हैं। ऐसे भी लोग हैं जो शांति चाहते हैं। अगर कोई बाहर का बंदा आ रहा है तो रेस्पेक्ट करो। उसे प्यार दो। अपने दिल में बिठाओ। हम फास्ट चल रहे हैं। टेक्नोलॉजी कितनी डेवलप हो गई है। हमें अब आगे चलना है।
नब्बे के दशक में घाटी में चरम पर रहे आतंकवाद की चर्चा की तो जवाब मिला कि उस समय लोगों का दिमाग कम था। जो बोला जाता था, वे वही करते थे। उस समय कोई बात करता था तो उस बात को पकड़ता था, आज ऐसा नहीं है। आज लोग एक-दूसरे की नहीं सुनते। आज टेक्नोलॉजी का समय है। उस समय तो चलता था। आज अगर मां अपनी च्वाइस से सब्जी बनाती है तो बेटे को पसंद नहीं तो बोलता है क्या बना लिया। बाहर वाले बोलेंगे कि भाई कश्मीरी है, कश्मीरी है यह, वह गलत बात है, इससे दंगा-फसाद होता है। आज कोई टेंशन नहीं, कोई मामला खराब नहीं। इतने में स्टॉप आ जाता है और हम ऑटो से उतरते हैं, लेकिन स्टोरी अभी बाकी है…
टिप्पणियाँ