अपनी तकरीरों से युवाओं को जिहादी बनाने वाला और कई साल से भारत से भागा हुआ जाकिर नाइक की मुसीबतें कम नहीं हो रही हैं। एक बार फिर से उसका संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) पांच साल के लिए प्रतिबंधित हो गया है
कुख्यात और भगोड़ा जाकिर नाइक के संगठन ‘इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन’ पर प्रतिबंध लगाने के मामले में केंद्र सरकार के निर्णय को गैरकानूनी गतिविधियां(रोकथाम)अधिनियम(यूएपीए)ने भी ठीक माना है। बता दें कि केंद्र सरकार ने 15 नवंबर, 2021 को यूएपीए की धारा तीन की उपधारा एक और तीन के अंतर्गत ‘इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन’ को गैरकानूनी घोषित किया था। इसके बाद ‘इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन’ यूएपीए के एक प्राधिकरण के पास पहुंचा था। संगठन का कहना था कि केंद्र सरकार ने गैरकानूनी ढंग से उसे गैरकानूनी घोषित किया है। लेकिन प्राधिकरण केंद्र सरकार के तर्कों से सहमत हुआ। प्राधिकरण के सामने केंद्र सरकार का पक्ष सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा। केंद्र द्वारा रखे गए तथ्यों पर प्राधिकरण ने कहा कि साक्ष्यों से सिद्ध होता है कि यह संगठन गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त है। प्राधिकरण ने यह भी कहा कि ठोस और प्रेरक साक्ष्यों को देखने के बाद प्राधिकरण का विचार है कि ‘इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन’ को गैरकानूनी घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं। इसको देखते हुए प्राधिकरण 15 नवंबर, 2021 की अधिसूचना की पुष्टि करता है।
इसके बाद 30 मार्च को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर कहा कि इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन एक अवैध संगठन है और इस पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाया गया है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि आईआरएफ का संस्थापक जाकिर नाइक के भाषण बहुत ही आपत्तिजनक हैं, क्योंकि वह कुख्यात आतंकवादियों का गुणगान करता है। गृह मंत्रालय ने कहा कि जाकिर यह दावा भी करता है कि हर मुसलमान को आतंकवादी होना चाहिए। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि जाकिर नाइक युवाओं को जबरन मुसलमान बनाने का समर्थन भी करता आया है, आत्मघाती हमलों का पक्ष लेता है, यही नहीं, वह हिंदुओं, हिंदू देवी-देवताओं और अन्य मत—पंथों के विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणियां करता है।
केंद्र सरकार का यह भी कहना है कि आईआरएफ और इसके सदस्यों और सहयोगकर्ताओं की अवैध गतिविधियां ओडिशा, जम्मू—कश्मीर, गुजरात, कर्नाटक, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र आदि राज्यों में मिली हैं। इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन ऐसी गतिविधियों में संलिप्त रहा है, जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं और देश के पंथनिरपेक्ष ताने-बाने, शांति और सद्भाव को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
इससे पहले नवंबर, 2016 में भी इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन पर प्रतिबंध लगाया गया था
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