दुनियाभर में मुरादाबाद को पीतल उद्योग की वजह से ख्याति मिली है, लेकिन यही पीतल उद्योग के कारखाने और अन्य कारणों से ध्वनि प्रदूषण के मामले में यह शहर दुनिया के दूसरे नंबर पर आ गया है। सयुंक्त राष्ट्रसंघ द्वारा जारी रिपोर्ट में यह बात कही गयी है।
यूएन की वार्षिक फ्रंटियर रिपोर्ट 2022 में कहा गया है कि विश्व मे बांग्लादेश के ढाका के बाद भारत के मुरादाबाद क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण सबसे ज्यादा है। ढाका में 119 डेसिबल और मुरादाबाद में 114 डेसिबल का आंकड़ा दर्शाया गया है। इसके अलावा दिल्ली में 83, जयपुर में 84 और कोलकाता में 89 डेसिबल ध्वनि की मात्रा रिकॉर्ड की गई है। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में 105 डेसिबल की ध्वनि को रिकॉर्ड किया गया है।
यूएन की रिपोर्ट के अनुसार मुरादाबाद में पीतल उद्योगों से निकलने वाली आवाज, यातायात के शोर, तेज ध्वनि वाले लाउडस्पीकर आदि की वजह से ध्वनि प्रदूषण ज्यादा बढ़ गया है। जानकारी के मुताबिक यूएन रिपोर्ट में दर्जी की सिलाई मशीन से निकलने वाली आवाज को भी प्रदूषण की श्रेणी में रखा जाता है। घरों से निकलने वाली टीवी, रेडियो की आवाज भी ध्वनि प्रदूषण पैदा करती है।
उधर यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय मुरादाबाद ने यूएन की रिपोर्ट को सिरे से नकार दिया है। बोर्ड का कहना है कि यह रिपोर्ट कब तैयार हुई, किसने तैयार की और कहां, कैसे ध्वनि की मात्रा को रिकॉर्ड किया गया? इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी है।
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