संपन्नता की क्यारी
May 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

संपन्नता की क्यारी

झारखंड के कुछ इलाकों के किसान पारंपरिक खेती छोड़कर वैकल्पिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं।

by रितेश कश्यप
Mar 27, 2022, 07:58 am IST
in भारत, झारखण्‍ड
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail
झारखंड में स्ट्रॉबेरी की खेती तेजी से बढ़ रही है। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति भी सुधर रही है। जिनके पास जमीन का छोटा सा टुकड़ा है, वे स्ट्रॉबेरी की खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं ।

झारखंड के कुछ इलाकों के किसान पारंपरिक खेती छोड़कर वैकल्पिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं। इसका कारण यह है कि पारंपरिक खेती में मुनाफा अधिक नहीं होता, जबकि नई तकनीक और नए तौर-तरीकों से नई फसल के जरिये अच्छी कमाई कर रहे हैं। खासतौर से छोटी जोत के किसानों के बीच स्ट्रॉबेरी की खेती का चलन तेजी से बढ़ रहा है और वे अच्छा खासा मुनाफा भी कमा रहे हैं। हालांकि शुरुआत में सूबे के किसान स्ट्रॉबेरी की खेती करने से हिचक रहे थे, जबकि उन्हें पौधे भी मुफ्त दिए जा रहे थे। लेकिन तब उनमें स्ट्रॉबेरी की खेती को लेकर न तो जागरुकता थी और न ही तकनीक और तौर-तरीके जानते थे। लिहाजा, किसानों का डर स्वाभाविक था। इसलिए उन्होंने इसमें रुचि नहीं दिखाई, लेकिन जब उन्होंने देखा कि इसकी खेती फायदेमंद है तो धीरे-धीरे स्ट्रॉबेरी की खेती से जुड़ रहे हैं।

खास बात यह है कि राज्य में स्ट्रॉबेरी की खेती करने वालों में महिलाओं की संख्या अधिक है। उन्हीं में से एक हैं-उपासी देवी, जो रामगढ़ जिले के गांव भयपुर में रहती हैं। उनके पास जमीन के नाम पर 5 डिसमिल का एक छोटा टुकड़ा है।

पहले उपासी देवी इसमें आलू की खेती करती थीं। इसके लिए वह सालाना 500 से 800 रुपये खर्च करती थीं, तब जाकर दो से ढाई हजार रुपये की कमाई होती थी। लेकिन इससे उनकी जरूरतें पूरी नहीं होती थी। आर्थिक समस्या बनी रहती थी। इसलिए आलू की खेती छोड़ दी। बीते दो वर्ष से वह स्ट्रॉबेरी की खेती कर रही हैं। इसमें 8,000 से 10,000 रुपये की लागत आती है और 45,000 से 60,000 रुपये तक कमाई हो जाती है। जब कमाई बढ़ी तो उनका हौसला भी बढ़ा। अब वे अगले  साल से पट्टे पर जमीन लेकर उसमें स्ट्रॉबेरी की खेती करने की सोच रही हैं, ताकि वे अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकें। उन्हीं के गांव में दो और व्यक्ति हैं, जो स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। उनके पास उपासी देवी से कुछ अधिक जमीन है। इनमें एक कोलेश्वर महतो हैं, जिनके पास 30 डिसमिल जमीन है, जबकि अर्जुन महतो 20 डिसमिल जमीन में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। मतलब यह कि जिनके पास कम जमीन है, उनके पास भी विकल्प हैं जिससे कमाई कर सकते हैं।

उपासी देवी के गांव में ही दिनेश मुंडा रहते हैं, जो एचडीएफसी बैंक के कृषि ग्राम विकास केंद्र के अंतर्गत काम करते हैं। दिनेश ने बताया कि दुलमी प्रखंड क्षेत्र के लगभग 14 गांवों में स्ट्रॉबेरी की खेती की जा रही है। हर गांव में तीन से चार लोग इससे जुड़े हुए हैं। झारखंड के पलामू क्षेत्र के रहने वाले विवेक मिश्रा ने बताया कि पहली बार वे खेती में किस्मत आजमा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने 10 एकड़ जमीन पट्टे पर ली है। ढाई एकड़ में स्ट्रॉबेरी, 6 एकड़ में थाई पिंक अमरूद और कुछ हिस्से में ड्रैगन फ्रूट लगाया है। बाजार में इन फसलों की अच्छी कीमत मिल जाती है। उन्होंने बताया कि स्ट्रॉबेरी की खेती में लगभग 6 लाख रुपये की लागत आई और तीन महीने के भीतर उन्होंने काफी मुनाफा भी कमा लिया है। साथ ही, थाई पिंक अमरूद के बारे में बताया कि इसकी खेती बहुत आसान और फायदेमंद है। एक साल के अंदर इसमें फल लगने लगते हैं। इस अमरूद की बाजार में अच्छी कीमत मिल जाती है, इसलिए लागत मूल्य भी जल्दी निकल आता है। एक पेड़ में अमूमन 20 साल तक फल आते हैं। लिहाजा, इससे कमाई होती रहती है। इसलिए किसानों के लिए थाई पिंक अमरूद की खेती भी काफी फायदेमंद है। आसपास के क्षेत्रों की अगर बात करें तो झारखंड के पलामू गढ़वा आदि क्षेत्रों में अब स्ट्रॉबेरी की खेती कई जगहों पर की जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि झारखंड के लिए स्ट्रॉबेरी की सबसे अच्छी प्रजाति महाराष्ट्र के महाबलेश्वर में पाई जाती है।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Bhagwan Narsingh Jayanti

भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु बने नृसिंह(नरसिंह)

बौद्ध दर्शन

बौद्ध दर्शन: उत्पत्ति, सिद्धांत, विस्तार और विभाजन की कहानी

Free baloch movement

बलूचों ने भारत के प्रति दिखाई एकजुटता, कहा- आपके साथ 60 मिलियन बलूच लोगों का समर्थन

समाधान की राह दिखाती तथागत की विचार संजीवनी

प्रतीकात्मक तस्वीर

‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर भारतीय सेना पर टिप्पणी करना पड़ा भारी: चेन्नई की प्रोफेसर एस. लोरा सस्पेंड

British MP Adnan Hussain Blashphemy

यूके में मुस्लिम सांसद अदनान हुसैन को लेकर मचा है बवाल: बेअदबी के एकतरफा इस्तेमाल पर घिरे

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Bhagwan Narsingh Jayanti

भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु बने नृसिंह(नरसिंह)

बौद्ध दर्शन

बौद्ध दर्शन: उत्पत्ति, सिद्धांत, विस्तार और विभाजन की कहानी

Free baloch movement

बलूचों ने भारत के प्रति दिखाई एकजुटता, कहा- आपके साथ 60 मिलियन बलूच लोगों का समर्थन

समाधान की राह दिखाती तथागत की विचार संजीवनी

प्रतीकात्मक तस्वीर

‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर भारतीय सेना पर टिप्पणी करना पड़ा भारी: चेन्नई की प्रोफेसर एस. लोरा सस्पेंड

British MP Adnan Hussain Blashphemy

यूके में मुस्लिम सांसद अदनान हुसैन को लेकर मचा है बवाल: बेअदबी के एकतरफा इस्तेमाल पर घिरे

पाकिस्तान के साथ युद्धविराम: भारत के लिए सैन्य और नैतिक जीत

Indian DRDO developing Brahmos NG

भारत का ब्रम्हास्त्र ‘Brahmos NG’ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल अब नए अवतार में, पांच गुणा अधिक मारक क्षमता

Peaceful Enviornment after ceasfire between India Pakistan

भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद आज क्या हैं हालात, जानें ?

Virender Sehwag Pakistan ceasfire violation

‘कुत्ते की दुम टेढ़ी की टेढ़ी ही रहती है’, पाकिस्तान पर क्यों भड़के वीरेंद्र सहवाग?

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies