बीरभूम के दिल दहलाने वाले नरसंहार को कम से कम 70 से 80 लोगों ने मिलकर सामूहिक तौर पर अंजाम दिया था। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की टीम जब शनिवार को जिले के रामपुरहाट ब्लॉक अंतर्गत उस बगटुई गांव में पहुंची, जहां कम से कम आठ लोगों को जिंदा जला दिया गया, वहां स्थानीय प्रत्यक्षदर्शियों ने यह जानकारी उपलब्ध कराई है। सीबीआई के डीआईजी अखिलेश सिंह के नेतृत्व में गठित जांच टीम ने कई प्रत्यक्षदर्शियों और पीड़ितों से बात की है।
इन लोगों ने बताया है कि गांव में 21 मार्च यानी सोमवार रात तृणमूल नेता भादू शेख पर बमबारी के बाद उनकी मौत होते ही बड़ी संख्या में लोग जुट गए थे और शेख के घर के पास मौजूद सड़क के उस पार करीब 200 मीटर की दूरी पर स्थित घरों में तोड़फोड़ और रहने वाले लोगों को मारना-पीटना शुरू कर दिया था। हमलावरों के हाथों में लाठी, डंडे, लोहे की रॉड, तलवार और अन्य घातक हथियार थे, जिससे वह लगातार हमले कर रहे थे। कम से कम 70 से 80 की संख्या में लोग तोड़फोड़ में शामिल थे, जिन्होंने यहां रहने वाले लोगों को मारने-पीटने के बाद घरों को बाहर से बंद कर दिया और पेट्रोल डालकर आग लगा दी। अंदर लोग चीखते-चिल्लाते रहे लेकिन किसी ने मदद नहीं की और ना ही किसी को मदद के लिए आसपास फटकने दिया गया।
यह भी आरोप है कि रात 8:00 बजे के करीब गांव में तोड़फोड़ और आगजनी शुरू हो गई थी, लेकिन दो घंटे तक पुलिस नहीं आई, जबकि घटनास्थल से थाने की दूरी महज दो से ढाई किलोमीटर है। इतना ही नहीं रामपुरहाट ब्लॉक के एसडीपीओ का आवास घटनास्थल से महज एक किलोमीटर से भी कम दूरी पर है लेकिन दो घंटे तक अपराधी लगातार तांडव करते रहे, आगजनी होती रही, लोगों को मारा पीटा जाता रहा, पुलिस की टीम नहीं पहुंची।
गांव वालों ने सीबीआई जांच अधिकारियों को यह भी बताया है कि तृणमूल नेता की हत्या के बाद बदले की कार्रवाई के तहत ही लोगों को जिंदा जलाया गया है। इसमें स्थानीय तृणमूल नेतृत्व के साथ-साथ जिला पुलिस के कई अधिकारियों की संलिप्तता रही है जिनके बारे में जांच की जानी चाहिए। सीबीआई की टीम ने लोगों के बयान रिकॉर्ड करने शुरू किए हैं।
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