इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. सिवन ने कहा है कि जल्द ही इसरो चंद्रयान-3 के लॉन्च की पुष्टि करेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि मुझे यकीन है कि इस बार हम सफल होंगे। इस मिशन के लिए चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का इस्तेमाल किया जाएगा और यह किफायती होगा।
इसरो के पूर्व प्रमुख ने कहा कि हमारे प्रोजेक्ट्स कोरोना की वजह से प्रभावित हुए हैं। फिर भी हमने अपनी रणनीति पर काम किया, ताकि कठिन परिस्थितियों में भी मैनेज कर सकें। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट ने रॉकेट लॉन्च करने का एक नया तरीका दिया, जिसे हर मिशन में लागू किया जाएगा। बता दें कि चंद्रयान- 2 को 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया था। इसे चांद की सतह पर लैंडर और रोवर को उतारा जाना था, लेकिन उसमें सफलता नहीं मिली थी।
किसान परिवार से हैं इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. सिवन
एक साक्षात्कार में इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. सिवन ने कहा था कि मुझे जो नहीं मिला, उसे लेकर मैं परेशान नहीं होता, बल्कि जो कुछ भी मुझे मिला, मैंने उसी में बेहतर से बेहतर किया। डॉ. के. सिवन के जन्म 14 अप्रैल, 1957 को कन्याकुमारी के सराकल्लविलाई गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा तमिल माध्यम से सरकारी स्कूल में हुई। सिवन ने नगरकोइल के एसटी हिंदू कॉलेज से बीएससी (गणित) की पढ़ाई की और 100% अंकों से पास हुए। उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। वे कॉलेज धोती पहनकर जाते थे। बताते हैं कि उन्होंने पहली बार पैंट तब पहना जब वे MIT गए।
इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए पिता ने किया था मना
बताते हैं कि पैसे के अभाव में सिवन के पिता ने उन्हें इंजीनियरिंग की पढ़ाई करवाने से मना कर दिया, लेकिन जब उन्हें बीएससी में 100 प्रतिशन अंक मिले तो उनके पिता ने कहा कि पहले जो तुम करना चाहते थे। उसके लिए रोका था, लेकिन अब नहीं रोकूंगा और तुम्हारी इंजीनियरिंग के पढ़ाई के लिए अपनी जमीन बेच दूंगा। उसके बाद डॉ. के. सिवन ने 1980 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की। फिर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज से इंजीनियरिंग में मास्टर्स की डिग्री हासिल की और 2006 में उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। इंजीनियरिंग करने के बाद भी उनका नौकरी के लिए संघर्ष जारी रहा। आखिरकार उन्हें विक्रम साराभाई सेंटर में जॉब मिली, जबकि वो सैटेलाइट सेंटर ज्वाइन करना चाहते थे।
1982 में इसरो के साथ सफर शुरू
डॉ. के. सिवन ने साल 1982 में इसरो के साथ अपना सफर शुरू किया। यहां उन्होंने करीब सभी रॉकेट कार्यक्रम में काम किया। 2017 में भारत के पीएसएलवी की एक ही उड़ान में 104 सैटेलाइट्स को लॉन्च करने में भी उनकी भूमिका रही। जो की इसरो का विश्व रिकॉर्ड है। उसके बाद सिवन के नाम कई उपलब्धियां जुड़ती गईं और उन्हें कई सम्मान भी मिले हैं। इसमें सत्यभामा यूनिवर्सिटी से डॉक्ट्रेट की उपाधि और श्रीहरी ओम आश्रम प्रेरित डॉ. विक्रम साराभाई रिसर्च अवॉर्ड शामिल हैं।
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