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एक नजर में योगी आदित्यनाथ : संवेदनशील, प्रखर राष्ट्रवादी, राजनीतिक योद्धा

by WEB DESK
Mar 25, 2022, 03:32 am IST
in भारत, उत्तर प्रदेश
प्रधानमंत्री मोदी और योगी आदित्यनाथ

प्रधानमंत्री मोदी और योगी आदित्यनाथ

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा लिखी जा रही इतिहास की यह इबारत यूं ही नहीं लिखी गयी है। इनकी संवेदनशीलता ने इन्हें लोगों से जोड़ा तो अद्भुत नेतृत्व क्षमता ने उन्हें बेजोड़ राजनैतिक योद्धा बना दिया। देखते ही देखते इनकी छवि जननायक की हो गयी।

 

आजादी के बाद उत्तर प्रदेश के इतिहास में यह पहली बार करिश्मा हो रहा है कि पांच वर्षों तक सरकार चलाने के बाद कोई लगातार दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा लिखी जा रही इतिहास की यह इबारत यूं ही नहीं लिखी गयी है। इनकी संवेदनशीलता ने इन्हें लोगों से जोड़ा तो अद्भुत नेतृत्व क्षमता ने उन्हें बेजोड़ राजनैतिक योद्धा बना दिया। देखते ही देखते इनकी छवि जननायक की हो गयी। बीते विधानसभा चुनाव में इनकी जीत के अंतर का आंकड़ा भी इसकी गवाही दे रहा है। आइए, इनके जीवन से जुड़ी बातों को जानते हैं-

योगी आदित्यनाथ का मूल नाम अजय सिंह बिष्ट है। वे गोरखनाथ मंदिर के महन्त तथा राजनेता हैं। 19 मार्च 2017 को विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद यूपी के 21वें मुख्यमंत्री बने। वर्ष 1998 से वर्ष 2017 तक भाजपा के टिकट पर गोरखपुर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया। योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर के ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी हैं। हिन्दू युवाओं के सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी दल हिन्दू युवा वाहिनी के संस्थापक योगी आदित्यनाथ की छवि एक प्रखर राष्ट्रवादी नेता की है।

एक नजर में पारिवारिक परिचय

5 जून 1972 को तत्कालीन उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) के पौढ़ी गढ़वाल के यमकेश्वर तहसील के पंचुर गाँव के गढ़वाली क्षत्रिय परिवार में जन्मे योगी आदित्यनाथ के पिता आनन्द सिंह बिष्ट फॉरेस्ट रेंजर थे। मां सावित्री देवी के सात बच्चों में तीन बड़ी बहनों व एक बड़े भाई के बाद वे पांचवें नम्बर के हैं। इनसे छोटे दो भाई हैं।

एबीवीपी से जुड़ाव से पूर्ण संन्यासी तक का सफर

वर्ष 1990 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान ही योगी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अनुषांगिक संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े। वर्ष 1992 में श्रीनगर के हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से गणित में बीएससी की परीक्षा पास की लेकिन कोटद्वार में रहने के दौरान सामानों के साथ इनका सनद प्रमाणपत्र चोरी हो गया। इसलिए गोरखपुर से विज्ञान स्नातकोत्तर का प्रयास किया लेकिन इनका यह प्रयास असफल रहा। फिर ऋषिकेश में प्रवेश लिया। इधर, वर्ष 1993 में गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान गुरु गोरखनाथ पर शोध करने गोरखपुर आए। यहां अपने महंत अवैद्यनाथ की शरण में पहुंच नाथपंथ की दीक्षा ले ली। वर्ष 1994 में पूर्ण संन्यासी बन गए। इनका नाम अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ हो गया।

वर्ष 2014 में संभाली गोरखनाथ मंदिर की गद्दी

12 सितंबर 2014 को गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के निधन के बाद योगी आदित्यनाथ को महंत बनाया गया। दो दिन बाद नाथपंथ के पारंपरिक अनुष्ठान के अनुसार मंदिर के पीठाधीश्वर बने।

कुछ ऐसा है राजनैतिक सफर

वर्ष 1998 में योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े और जीत गए। मात्र 26 वर्ष की अवस्था में 12वीं लोकसभा के सबसे युवा सांसद बने। 1999 में ये गोरखपुर से पुनः सांसद चुने गए। वर्ष 2002 में हिन्दू युवा वाहिनी बनायी। वर्ष 2004 में तीसरी बार सांसद बनने में भी इन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई। वर्ष 2009 और वर्ष 2014 में एकबार फिर जीते। दोनों ही चुनावों में दो लाख से अधिक वोटों से जीतकर सांसद पहुंचे।

इधर, वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ से पार्टी ने पूरे राज्य में प्रचार कराया गया। इन्हें एक हेलीकॉप्टर भी दिया गया। पूर्ण बहुमत की भाजपा सरकार बनी और 19 मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश के भाजपा विधायक दल की बैठक में विधायक दल का नेता चुना गया। योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने। अब लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे हैं।

भितरघात ने बनाया मजबूत

योगी के राजनीति में बढ़ते कद से तमाम दिग्गज असहज हो गए थे। नतीजतन, भितरघात होने लगा। इसी वजह से वर्ष 1998 का चुनाव योगी सात हजार वोट से जीत सके थे। वह पांच वर्षों तक सांसद रहे। सड़क से संसद तक संघर्ष के बल पर अपना कद बड़ा किया। वर्ष 2004 का लोकसभा चुनाव हुआ तो वह करीब डेढ़ लाख वोटों के अंतर से जीत गए। यह सिलसिला लगातार जारी रहा। गोरखपुर शहर लोकसभा क्षेत्र से पांच बार सांसद चुने गए।

वनटांगियों के भगवान हैं योगी

योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 1998 में गोरखपुर से सांसद चुने जाने के बाद वनटांगिया समुदाय की सुधि ली। उन्होंने राज्य सरकार के सामने और संसद के पटल पर वनटांगियों के मुद्दे लगातार उठाया। लोकसभा में वनटांगिया अधिकारों के लिए लड़ने वाले योगी ने वर्ष 2007-08 में वन अधिकार संशोधन अधिनियम पास कराया, लेकिन वनटांगियों को उनका हक मिला योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद। मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के पहले ही साल अक्टूबर 2017 में उन्होंने वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिलाया। गोरखपुर के 05 वनग्राम, महराजगंज के 18 वनग्राम समेत प्रदेश के सभी वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा मिल गया। भारत के नागरिक बने वनटांगिया अब योगी को भगवाण का दर्जा देते नहीं अघाते।

आजमगढ़ में योगी पर जानलेवा हमला हुआ

07 सितम्बर 2008 को योगी आदित्यनाथ पर आजमगढ़ में जानलेवा हिंसक हमला हुआ था। इस हमले में वे बाल-बाल बचे। यह हमला इतना बड़ा था कि सौ से भी अधिक वाहनों को हमलावरों ने घेर लिया और लोगों को लहूलुहान कर दिया। आदित्यनाथ को गोरखपुर दंगों के दौरान तब गिरफ्तार किया गया था, जब मोहर्रम के दौरान फायरिंग में एक हिन्दू युवा की जान चली गयी। वह बुरी तरह जख्मी हुए थे। इस दौरान उन्होंने शहर में लगे कर्फ्यू को हटाने की मांग की। अगले दिन उन्होंने शहर के मध्य श्रद्धांजलि सभा का आयोजन करने की घोषणा की और अनुमति नहीं मिलने के बावजूद हजारों समर्थकों के साथ अपनी गिरफ्तारी दी। आदित्यनाथ को जेल हुई। इसके विरोध में मुम्बई-गोरखपुर गोदान एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे फूंके गए। इनके संगठन हिन्दू युवा वाहिनी पर इसका आरोप लगा।

धर्मांतरण का विरोध, घर वापसी ने बनाया चर्चित

धर्मांतरण का विरोध और घर वापसी के लिए योगी काफी चर्चाओं में रहे हैं। वर्ष 2005 में योगी आदित्यनाथ ने कथित तौर पर एटा जिले में 1800 ईसाइयों का शुद्धीकरण कर उन्हें हिन्दू धर्म में शामिल कराया।

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