शनिवार रात पलक्कड़ के मोयन लोअर प्राइमरी स्कूल में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का योजन किया गया था जिसमें प्रसिद्ध नृत्यांगना नीला प्रसाद को भी आमंत्रित किया गया था। इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध नृत्यांगना नीला प्रसाद का मोहिनीअट्टम प्रदर्शन मुख्य आकर्षण था।
कार्यक्रम के आयोजकों के के अनुसार, स्कूल के पीछे रहने वाले जज पाशा ने नजदीकी पुलिस स्टेशन को फोन किया और उन्हें कॉन्सर्ट रोकने का निर्देश दिया। उन्होंने कथित तौर पर पुलिसकर्मियों से कहा कि यह शो उनके लिए एक बड़ा परेशानी का कारण बन रहा है उन्हें इसे तुरंत रोकने का निर्देश दिया। कोई अन्य विकल्प न होने पर पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे और नीना प्रसाद और उनकी कार्यक्रम मंडली को आंसुओं के बीच कार्यक्रम को छोड़कर जाना पड़ा।
क्या कहा नीना प्रसाद ने
नीना प्रसाद ने अपने सोशल मीडिया संदेश में कहा, "मैंने अपने जीवन में ऐसा अपमानजनक अनुभव कभी नहीं किया था। हम चौंक गए थे, हमारी आँखों में आंसू थे। जिला जज ने आदेश दिया कि शोर-शराबे का हवाला देकर प्रदर्शन को रोक दिया जाए। यह कलाकारों का अपमान है और इस तरह के कृत्यों से उनके अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा हो गया था।
कार्यक्रम में योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के संबंधों को दर्शाया गया था। यह मेरे नृत्य कैरियर का सबसे कड़वा अनुभव था। यह न केवल मेरे लिए बल्कि साथी कलाकारों के लिए भी अपमानजनक अनुभव था।
डॉ। नीना प्रसाद ने जज कलाम पाशा पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने इस शो के लिए डांस और कोरियोग्राफी की तैयारी में घंटों का समय दिया था। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा सोलो परफॉर्मेंस था, जिसके लिए मैंने काफी समय दिया था। इसे वॉयलिन, मृदंगम औऱ एडक्का जैसे शांत वाद्ययंत्रों के साथ किया गया था। मुझे नहीं पता कि इसने इतना शोर कैसे मचाया। मेरा दिल वास्तव में दुखी हो गया।
लोगों ने जताया विरोध
जज द्वारा कार्यक्रम रोके जाने के बाद लोगों ने इस पर नाराजगी जाहिर की है। जस्टिस कलाम पाशा पर ‘सांस्कृतिक असहिष्णुता’ का आरोप लगाते हुए पुरोगमना कला साहित्य संघम के अध्यक्ष शाजी एन करुण और महासचिव अशोकन चारुविल ने सोमवार को लोगों से इसका विरोध करने का आह्वान किया। साहित्य संघ ने स्पष्ट कहा कि राज्य अपनी कला और संस्कृति का गला न घोटे।
जज कलाम पाशा के खिलाफ वकीलों का प्रदर्शन
जिला जज कलाम पाशा ने प्रसिद्ध नृत्यांगना नीना प्रसाद का मोहिनीअट्टम बंद करवा दिया तो पलक्कड़ में वकील भड़क गए और उन्होंने जिला अदालत में बुधवार को विरोध का एक अनूठा तरीका निकाला। नाराज वकीलों ने अदालत परिसर में गाना शुरू दिया। वे सभी जिला न्यायाधीश कलाम पाशा के नीना प्रसाद के नृत्य को रोकने के फैसले का विरोध कर रहे थे।
राजनेताओं ने भी जताया विरोध
वहीं इस घटना के सामने आने के बाद भाजपा की केरल इकाई के अध्यक्ष वी मुरलीधरन ने ट्वीट किया। इसमें उन्होंने लिखा, ‘केरल में मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन की अगुवाई में तालिबानीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह घटना उसका एक और उदाहरण है। वामपंथी सरकार के राज में कलाकारों को कला के प्रदर्शन की कोई इजाजत नहीं।’
वहीं इस मामले में पलक्कड़ से ही ताल्लुक रखने वाले केरल विधानसभा के अध्यक्ष एमबी राजेश ने भी आपत्ति जताई है। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है। कलाकार का अपमान है। न्यायाधीश जैसे गरिमामय पद पर बैठे पाशा को इस तरह की कार्रवाई का आदेश देना शोभा नहीं देता।’
जज कलाम पाशा पर पत्नी लगा चुकी है ट्रिपल तलाक का आरोप
पलक्कड़ जिला सत्र न्यायालय के न्यायाधीश बी कलाम पाशा पहले भी विवादों में आ चुके हैं। उनकी पत्नी ने उनके खिलाफ शिकायत की थी कि न्यायमूर्ति पाशा ने उसके खिलाफ तीन तलाक जारी किया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कलाम पाशा के भाई और सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति बी। कमल पाशा ने उन्हें धमकी दी थी। पाशा की बीवी ने जज के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए केरल हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि साल 2018 में एक लेटर के जरिए कलाम पाशा ने उन्हें तीन तलाक दे दिया था।
शिवम् दीक्षित एक अनुभवी भारतीय पत्रकार, मीडिया एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ, राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता, और डिजिटल रणनीतिकार हैं, जिन्होंने 2015 में पत्रकारिता की शुरुआत मनसुख टाइम्स (साप्ताहिक समाचार पत्र) से की। इसके बाद वे संचार टाइम्स, समाचार प्लस, दैनिक निवाण टाइम्स, और दैनिक हिंट में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया, जिसमें रिपोर्टिंग, डिजिटल संपादन और सोशल मीडिया प्रबंधन शामिल हैं।
उन्होंने न्यूज़ नेटवर्क ऑफ इंडिया (NNI) में रिपोर्टर कोऑर्डिनेटर के रूप में काम किया, जहां इंडियाज़ पेपर परियोजना का नेतृत्व करते हुए 500 वेबसाइटों का प्रबंधन किया और इस परियोजना को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया।
वर्तमान में, शिवम् राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य (1948 में स्थापित) में उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं।
शिवम् की पत्रकारिता में राष्ट्रीयता, सामाजिक मुद्दों और तथ्यपरक रिपोर्टिंग पर जोर रहा है। उनकी कई रिपोर्ट्स, जैसे नूंह (मेवात) हिंसा, हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा, जम्मू-कश्मीर पर "बदलता कश्मीर", "नए भारत का नया कश्मीर", "370 के बाद कश्मीर", "टेररिज्म से टूरिज्म", और अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले के बदलाव जैसे "कितनी बदली अयोध्या", "अयोध्या का विकास", और "अयोध्या का अर्थ चक्र", कई राष्ट्रीय मंचों पर सराही गई हैं।
उनकी उपलब्धियों में देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान (2023) शामिल है, जिसे उन्होंने जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार खान की साजिश को उजागर करने के लिए प्राप्त किया। यह सम्मान 8 मई, 2023 को दिल्ली में इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र (IVSK) द्वारा आयोजित समारोह में दिया गया, जिसमें केन्द्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल, RSS के सह-प्रचार प्रमुख नरेंद्र जी, और उदय महुरकर जैसे गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
शिवम् की लेखन शैली प्रभावशाली और पाठकों को सोचने पर मजबूर करने वाली है, और वे डिजिटल, प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहे हैं। उनकी यात्रा भड़ास4मीडिया, लाइव हिन्दुस्तान, एनडीटीवी, और सामाचार4मीडिया जैसे मंचों पर चर्चा का विषय रही है, जो उनकी पत्रकारिता और डिजिटल रणनीति के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
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