विश्व गौरैया दिवस : विलुप्त होती गौरैया की घर वापसी को कार्यरत हैं कुलदीप मोरे
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विश्व गौरैया दिवस : विलुप्त होती गौरैया की घर वापसी को कार्यरत हैं कुलदीप मोरे

by WEB DESK
Mar 20, 2022, 02:47 am IST
in भारत, दिल्ली
प्रतीकात्मक - चित्र

प्रतीकात्मक - चित्र

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हर वर्ष 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है। विश्व के कई देशों में गौरैया पाई जाती है। यह दिवस लोगों में गौरेया के प्रति जागरुकता बढ़ाने और उसके संरक्षण के लिए मनाया जाता है। 

 

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री रहीं स्व. शीला दीक्षित ने 2005 में गौरैया दिवस के रूप में गौरैया को दिल्ली का राज्य पक्षी घोषित किया। बढ़ते प्रदूषण सहित कई कारणों से गौरैया की संख्या में काफी कमी आई है और इनके अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

इसके लिए हर क्षेत्र में लोग काम कर रहे हैं ऐसे ही एक पशु-पक्षी प्रेमी कुलदीप मोरे पिछले सात आठ साल से इनके संरक्षण के कार्य में लगे हुए है। कुलदीप मोरे की कोशिश रहती रहती है कि जानवरों को किस प्रकार सुरक्षित किया जा सके और उनको दुर्घटना से बचाया जा सके। 

कुलदीप मोरे हर वर्ष 15 अगस्त पर चाइनीस मांजे के बहिष्कार के लिए अपील करते हैं क्योंकि चाइनीस मांजे से हर वर्ष कई पक्षियों के पंख कट जाते है, कई जानवरों की गर्दन कट जाती है, इसके अलावा कईयों की मौत की खबर आ जाती है और ज्यादातर इसमें युवा शिकार होते हैं या जो लोग बाइक आदि चलाते हैं।

कुलदीप मोरे अपनी पूरी टीम के साथ जीव जंतु संरक्षण के लिए लगातार प्रयासरत रहते हैं। उनको एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया की तरफ से इस समय मानद पशु अधिकारी दिल्ली प्रदेश का पद भी मिला है। इस क्षेत्र में उन्होंने अपना काफी समय लगाया है और वह इसके प्रति लगातार जागरूकता के लिए प्रयासरत रहते हैं। 

उनके साथी कमल कांत मिश्रा और सरदार गुरुचरण का साथ उनको लगातार मिलता रहता है और वह घायल पक्षी जैसे कि कोई पेड़ में फंस जाता है उसको सुरक्षित उतरवाना उसको हॉस्पिटल में भर्ती कराना देसी श्वानों को घायलों को इलाज कराना और नगर निगम की मदद से उनको स्टाइलाइज कराना। जो लोग आवारा रूप से गायों को छोड़ देते हैं उन गायों के मालिकों से संपर्क साधना और उनकी गाय को संभालने के लिए बोलना। विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से घायल गायों का इलाज कराना।

आज गौरैया दिवस है जो दिल्ली का राज्य पक्षी है, गोरैया दिल्ली से बिल्कुल विलुप्त हो चुकी है, इसका मुख्य कारण यह है के क्षेत्र में फलदार वृक्ष नहीं है, माताएं बहने घरों में गेहूं को साफ बहुत कम करती हैं, क्योंकि पहले यह माताओं बहनों के गेहूं साफ करने के समय पर यह उनके पास आ जाती थी, मोबाइल टावर इतने ज्यादा हो गए हैं कि इनके रेडिसन से इन्होंने दिल्ली से मुख काफी हद तक मोड़ लिया है। 

लेकिन कुलदीप मोरे और उनकी टीम इन को वापस लाने के लिए जो भी इनसे भरसक प्रयास होते हैं वह करते रहते हैं। जैसे की देसी घोसले बनाकर पेड़ों पर लगवाना, जहां यह गोरिया है दाना पानी की व्यवस्था करना और उनकी सेवा करना। वह लोगों से संपर्क करते रहते है कि हमारे इन फ्रेंडली पक्षियों को किस तरीके से वापस लाएं। जो पहले जैसा माहौल बन सके इसलिए कुलदीप मोरे क्षेत्र के लोगों से जितना हो सकता है इस कार्य में उनकी मदद करने की अपील करते हैं। वह लोगो को अपना नंबर देकर घायल पक्षी और जानवर की सूचना प्राप्त कर उनकी सेवा करते रहते है। 

कुलदीप मोरे दिल्ली के वन एवं पर्यावरण मंत्री से भी अपनी पूरी टीम के साथ कई बार मिल चुके हैं और जानवर के लिए जो भी परेशानी है उसका समाधान किस प्रकार हो सकता है इस संदर्भ में भी बात कर चुके है। जिस पर पर्यावरण मंत्री ने उनको इस बारे में अस्वासन दिलाया कि जल्दी ही वह दिल्ली में जीव जंतुओं के लिए उनके लिए उचित कदम उठाएंगे और उनकी सुरक्षा के प्रति कठोर कानून लाएंगे।

गौरैया से जुडे कुछ रोचक तथ्य 

गौरैया का वैज्ञानिक नाम पासर डोमेस्टिकस और सामान्य नाम हाउस स्पैरो है। इसकी ऊंचाई 16 सेंटीमीटर और विंगस्पैन 21 सेंटीमीटर होते हैं। गौरैया का वजन 25 से 40 ग्राम होता है। गौरैया अनाज और कीड़े खाकर जीवनयापन करती है। शहरों की तुलना में गांवों में रहना इसे ज्यादा पसंद है।

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