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सामाजिक समरसता से मिली सत्ता

by सुनील राय
Mar 19, 2022, 12:27 am IST
in भारत, उत्तर प्रदेश
योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री

योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री

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समरसता का अभियान आज रंग ले आया है मगर यह कई वर्षों की लगन और मेहनत का परिणाम है। रामपुर जनपद के भाजपा जिला महामंत्री रविंद्र रवि बताते हैं "बात 9 नवंबर 1989 की है। अयोध्या में श्रीराम मंदिर के  शिलान्यास कार्यक्रम में एक जनजाति युवक कामेश्वर चौपाल से नींव की पहली ईंट स्थापित कराई गई थी। उच्चतम न्यायालय का निर्णय आने के बाद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन किया। उसके बाद पहला प्रसाद जनजाति बिरादरी के महावीर के घर भिजवाया गया।"

 

भगवान राम को गंगा जी  के उस पार जाना था और वहां केवट से उनकी मुलाक़ात हुई। मगर केवट ने शर्त रख दी।  गोस्वामी तुलसीदास रामचरित मानस में लिखते हैं –  पद कमल धोइ चढ़ाई नाव ,न नाथ उतराई चहौं।   अर्थात – “हे नाथ मैं चरण कमल धोकर आप लोगों को नाव पर चढ़ा दूंगा। मै आपसे कुछ उतराई नहीं चाहता हूं। क्योंकि मैं लोगों को नदी के पार उतारता हूं और आप भवसागर के पार उतारते हैं।”

अयोध्या के राजा प्रभु श्रीराम का सामाजिक समरसता में कोई सानी नहीं है।  श्री राम नर-लीला में हों या फिर राम राजा सरकार की भूमिका में हों। उन्होंने हमेशा सामाजिक समरसता का संदेश दिया है। बीते दशकों में सामाजिक समरसता कमजोर पड़ी। समरसता को फिर से पटरी पर लाने के लिए भारतीय जनता पार्टी, साधु –संतों एवं हिन्दू संगठनों ने भगवान श्रीराम की जन्म स्थली से संदेश दिया  और जब भाजपा सत्ता में आई तब समरसता के लिए प्रभावी कदम उठाये गए। आज वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत में समरसता ने निर्णायक भूमिका निभाई। वंचितों की नेता कही जाने वाली मायावती को ऐतिहासिक हार का सामना करना पड़ा। चुनाव परिणामों से स्पष्ट हो गया कि बसपा का वोट बैंक भाजपा के साथ जुड़ गया।

समरसता का अभियान आज रंग ले आया है मगर यह कई वर्षों की लगन और मेहनत का परिणाम है। रामपुर जनपद के भाजपा जिला महामंत्री रविंद्र रवि बताते हैं " बात 9 नवंबर 1989 की है। अयोध्या में श्रीराम मंदिर के  शिलान्यास कार्यक्रम में एक जनजाति युवक कामेश्वर चौपाल से नींव की पहली ईंट स्थापित कराई गई थी। उच्चतम न्यायालय का निर्णय आने के बाद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन किया। उसके बाद पहला प्रसाद जनजाति बिरादरी के महावीर के घर भिजवाया गया।"

उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनजाति उत्पीड़न पर सख्त कार्रवाई की। जनजाति को राशन दिया गया। आर्थिक सहायता सीधे खाते में भेजी गई। योगी सरकार ने बीते पांच वर्षों में सामाजिक समरसता के क्षेत्र में प्रभावी छाप छोड़ी। रामपुर जनपद के जिला पंचायत सदस्य हंसराज 'पप्पू' कहते हैं "समाजवादी पार्टी की सरकार में जनजाति बिरादरी के लोगों के साथ अत्याचार किया जाता था। पीड़ित व्यक्ति जब थाने पर जाता था तब दोषियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई नहीं करती थी। योगी सरकार ने जनजाति उत्पीड़न के दोषियों के विरुद्ध गैंगेस्टर एवं रासुका के अंतर्गत भी कार्रवाई की और बुलडोजर भी चलवाया। भारतीय जनता पार्टी, जनजाति समुदाय का अटूट भरोसा हासिल करने में सफल रही। जनजातियों ने यह महसूस किया कि सिर्फ जाति के आधार पर बसपा उनका मत हासिल करती चली आ रही है, जबकि उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए योगी और मोदी सरकार ने प्रभावी कदम उठाये हैं।"

सपा सरकार में रोक दी गई थी जनजाति विद्यार्थियों की स्कॉलरशिप 
वर्ष 2017 में जब भाजपा की सरकार बनी तब यह मामला प्रकाश में आया कि सपा सरकार में एससी- एसटी समाज के बच्चों की स्कॉलरशिप ही रोक दी गई थी। वर्ष 2016 से बच्चों की स्कॉलरशिप नहीं जा रही थी। भाजपा सरकार ने विद्यार्थियों की स्कॉलरशिप बहाल किया। वर्ष 2021 के दिसंबर माह में प्रदेश सरकार ने 12,17,631 विद्यार्थियों  के खातों में ऑनलाइन 458.66 करोड़ रुपये स्कालरशिप की धनराशि हस्तांतरित की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि “हमारी सरकार ने पूर्ववर्ती सरकार में जितने छात्रों को स्कॉलरशिप मिलती थी, उससे 40 लाख से अधिक बच्चों को इस योजना के साथ जोड़ा। पिछली सरकारें भेदभाव करती थीं। अनुसूचित जाति एवं जनजाति के बच्चों की स्कॉलरशिप रोक दी गई थी, जो सरकारें राजनीतिक प्रतिशोध और प्रतिद्वंद के अंतर्गत बच्चों के जीवन से खिलवाड़ करती थीं। उनकी मानसिकता का अंदाजा लगाया जा सकता है।” 

जनजाति उत्पीड़न पर सख्त योगी सरकार

  • लखनऊ के नीरज कुमार भारतीय बताते हैं कि जनजातियों की सुरक्षा एक बहुत बड़ा मुद्दा था। बसपा की सरकार में भी जनजातियों पर अत्याचार हुआ। सपा की सरकार में भी जनजाति समाज पर अत्याचार हुआ। भाजपा की सरकार बनने के बाद जनजातियों को सुरक्षा मिली एवं जीवन स्तर में सुधार आया। 
  • वर्ष 2021 की जुलाई माह में  उत्तर प्रदेश के बागपत जनपद में जनजाति किशोरी के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना को अंजाम दिया गया। परिजनों की तहरीर पर एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और मुख्य अभियुक्त शहजाद और उसके माता-पिता को गिरफ्तार करके जेल भेजा। 
  • वर्ष 2021 के मई माह में यूपी के फतेहपुर जनपद में जनजाति बिरादरी की नाबालिग लड़की को अभियुक्त मोईन ने अपने प्रेम जाल में फंसाया। धोखे से बलात्कार की घटना को अंजाम दिया। अभियुक्त ने अश्लील वीडियो भी बना लिया। वीडियो वायरल करने की धमकी देकर डेढ़ वर्ष तक पीड़िता का शोषण किया। घटना के संज्ञान में आने के बाद पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर जेल भेजा।
  • वर्ष 2021 के मार्च माह में प्रयागराज जनपद में एक जनजाति किशोरी के साथ छेड़खानी की गई। स्थानीय लोगों ने जब इसका विरोध किया तब अमन, तालिब, कौशल एवं अन्य अभियुक्तों ने जनजाति परिवार पर हमला कर दिया। पुलिस ने अमन, तालिब और कौशल को गिरफ्तार करके जेल भेजा।
  • वर्ष 2020 के अक्टूबर माह में बलरामपुर जनपद में शाहिद और साहिल ने 22 वर्षीय जनजाति लड़की के साथ दुष्कर्म किया। साहिल उस लड़की को धोखे से एक घर में लिवा गया, जहां पर साहिल और उसके साथी शाहिद ने लड़की के साथ दुष्कर्म किया। युवती की तबियत बिगड़ने पर उसे रिक्शे पर बैठाकर घर भेज दिया। इस मामले में पुलिस ने कुछ देर में ही दोनों अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया।
  • वर्ष 2020 के जुलाई माह में प्रतापगढ़ जनपद में नाग पंचमी के अवसर पर अखाड़े में कुश्ती हो रही थी। इसी बीच आशिक अली और असगर अली ने कुश्ती प्रतियोगिता में व्यवधान उत्पन्न करना शुरू कर दिया। इसके बाद वहां पर मार–पीट हुई तब आशिक और असगर को मौके से पीछे हटना पड़ा। उसी बात का बदला लेने के लिए 30 जुलाई को असगर अली 8 युवकों के साथ जनजातियों की बस्ती में पहुंचा। असगर और उसके साथियों ने जनजातियों को लाठी–डंडों से दौड़ा–दौड़ा कर पीटा। इस हमले में कई जनजाति युवक घायल हो गए। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। मुख्यमंत्री ने इस घटना का संज्ञान लिया। पुलिस ने तत्परता के साथ सभी 9 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया। मुख्यमंत्री ने सभी अभियुक्तों के खिलाफ गैंगस्टर लगाने का आदेश दिया।
  • जौनपुर जनपद में 9 जून 2020  को आम तोड़ने का विवाद इतना बढ़ गया कि मुस्लिम पक्ष के लोगों ने जनजाति बिरादरी के लोगों के घर में घुसकर मारपीट की और उनके घरों में आग लगा दी। इस घटना का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य आरोपी नूर आलम एवं जावेद सिद्दीकी समेत सभी आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर एवं राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई के आदेश दिए, जिन पीड़ितों के घरों को जलाया गया था उनको मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत घर मुहैया कराने के आदेश दिए गए।
  • आजमगढ़ जनपद में ट्यूबवेल पर पानी भरते समय एक जनजाति बालिका से आये दिन मुस्लिम युवक छेड़खानी करते थे। 12 जून 2020 को छेड़खानी का विरोध करने पर जनजातियों को मारपीट कर मुस्लिम युवकों ने घायल कर दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  ने इस घटना का  संज्ञान लेते हुए अभियुक्तों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई करने का आदेश दिया। 
  • विगत 19 जून 2020 को गाजीपुर के गहमर थाना अंतर्गत गोड़सरा गांव में शौकत, अश्लील गाना बजाते हुए ट्रैक्टर चला रहा था। जब वह जनजाति बस्ती के बगल से गुजर रहा था तभी मनरेगा में काम कर रहे कुछ मजदूरों ने अश्लील गाना बजाने के लिए मना किया। यह सुनते ही हैदर अपने साथियों के साथ लाठी–डंडे से लैस होकर पहुंचा और हमला कर दिया। इस हमले में जनजाति बस्ती की महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग समेत 13 लोग घायल हो गए। इस घटना के मुख्य आरोपी हैदर, तनवीर, मोहम्मद अली सहित 21 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। 

पूर्व आई.पी.एस अधिकारी बृज लाल बताते हैं कि "जब मैं अप्रैल 2018 में एससी-एसटी आयोग का अध्यक्ष नियुक्त हुआ तो मैंने देखा कि आयोग के अधिकतम सदस्य अन्य बिरादरी के थे। जनजाति बिरादरी के सदस्य बहुत कम थे। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के 21 नवम्बर 2007 के आदेश के बाद से ऐसा किया जाने लगा था। मायावती ने एससी–एसटी के अतिरिक्त अन्य किसी आयोग में कोई संशोधन नहीं किया था। 20 मई 2007 को मायावती ने शासनादेश जारी कराया कि हत्या, हत्या का प्रयास एवं दुष्कर्म के अतिरिक्त किसी भी घटना में एससी–एसटी अधिनियम नहीं लगाया जाएगा। जनजातियों का उत्पीड़न  होता रहा। बसपा की सरकार में ही जनजातियों को न्याय नहीं मिला। अधिकतर उत्पीड़न एक विशेष जाति और ख़ास मज़हब के लोग करते हैं। जब समाजवादी पार्टी की सरकार आई तब अखिलेश यादव ने मायावती के उस शासनादेश को बनाए रखा।”

बृज लाल ने आगे कहा कि “पहले कांग्रेस ने जनजातियों को बेवकूफ बनाया। फिर मुलायम सिंह यादव ने एक विशेष जाति और एक ख़ास मज़हब की राजनीति की। उसके बाद बसपा ने भी जनजातियों को भ्रमित किया। भाजपा की सरकार बनने के बाद जनजातियों ने यह देखा कि उनके हितों की रक्षा सिर्फ भाजपा ही कर रही है। 43 लाख से अधिक गरीब लोगों को पक्के मकान मिले। राशन, शौचालय, गैस चूल्हा और सुरक्षित वातावरण मिला। वहीं, जनजातियों को सपा की गुंडई से भय था। जनजातियों की मसीहा कही जाने वाली मायावती के दर्शन तक दुर्लभ हो चुके थे। ऐसे में जनजातियों ने भाजपा में एक बार फिर से अपना विश्वास व्यक्त किया।” बहरहाल , अब राजनीति एक ऐसी धुरी पर पहुच चुकी है,  जहां पर एक खास मज़हब और जाति विशेष की राजनीति करने वालों को जनता ने दरकिनार कर दिया है। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं “सामाजिक  समरसता और न्याय की लड़ाई भाजपा ने लड़ी है। सामाजिक न्याय यह है कि शासन की योजनाओं का लाभ हर गरीब को मिले, हर तबके के लोगों को मिले, उनके साथ सामाजिक-आर्थिक भेदभाव न हो। यही भाजपा का मूल मंत्र है। समतामूलक समाज की स्थापना, भ्रष्टाचार मुक्त, अपराध मुक्त व्यवस्था, सुशासन का हिस्सा है। वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बसु ने दो पौधा लगाया। एक पौधे के सामने जाकर उस पौधे से कहते थे कि बड़ा होकर खूब फल देना और लोगों को अपनी छाया प्रदान करना, जबकि दूसरे पेड़ के सामने जाकर उस पेड़ को बहुत दुत्कारते थे। जिस पेड़ को उन्होंने खूब सराहा था, वह बड़ा होकर खूब छायादार वृक्ष बना और जिसको दुत्कारते थे। वह दुर्बल होकर सूख गया। यही हाल हमारे समाज का है। मनुष्य सृष्टि की सबसे सर्वश्रेष्ठ कृति है। जब किसी को दिन रात कोसेंगे तो वह आपको अच्छा परिणाम कैसे देगा ? क्या यह सच नहीं है कि जब अस्पृश्यता को हमारे ऊपर थोपा गया, उसी समय अगर इसको उखाड़ कर फेंक दिया गया होता तो देश कभी गुलाम नहीं होता। हमारे वेद की ऋचाओं को रचने वाले ऋषि कौन हैं ?  आज उन लोगों को कथित रूप से जनजाति कहा जाता है। सभी प्रकार की रामकथा में वाल्मीकि कृत रामायण ही सभी का आधार है। वाल्मीकि कौन हैं ? भगवान राम हम सबको मुक्ति दिलाने वाले हैं। उनसे हम सबको परिचित कराने वाले वाल्मीकि हैं।  

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