दिब्य कमल बोरदोलोई
हाल ही में पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मेघालय और असम में भारत-बांग्लादेश की झरझरा सीमा रोहिंग्या मुसलमानों के लिए एक सुरक्षित जगह बन गई है। भारत में छिपे अपने हैंडलर नेटवर्क की मदद से सैकड़ों रोहिंग्या भारतीय क्षेत्र में आ गए हैं और नौकरी और आश्रय की तलाश में देश के बड़े शहरों में फैल गए हैं।
नॉर्थ फ्रंटियर रेलवे की रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) ने बुधवार रात न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन से 7 रोहिंग्याओं को गिरफ्तार किया। मेरी सहेली और चाइल्डलाइन की संयुक्त टीम को नियमित जांच के दौरान न्यू प्लेटफॉर्म नंबर 1 पर लोगों के एक समूह की गतिविधियां संदिग्ध लगीं। गिरोह में छह महिलाएं और एक पुरुष था। उन्हें पकड़कर पूछताछ की गई तो खुलासा हुआ कि वे बांग्लादेश में कॉक्स बाजार के पास कैंप नंबर 5 में रह रहे थे। वे अवैध रूप से भारत-बांग्लादेश सीमा पार कर भारत में तस्करों के रैकेट की मदद से त्रिपुरा के कुमारघाट रेलवे स्टेशन आ गए। तस्करों के नेटवर्क ने उनके लिए भारतीय दस्तावेज और रेल टिकटों की व्यवस्था की। रोहिंग्या समूह 15 मार्च को ट्रेन नंबर 13174, कंचनजंगा एक्सप्रेस से कोलकाता के सियालदह के लिए रवाना हुआ।
16 मार्च को ये सभी न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन पर उतरे। उनकी योजना ट्रेन नंबर 22449 (पूर्वोत्तार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस) से नई दिल्ली जाने की थी। ट्रेन बुधवार को दोपहर 13:25 बजे न्यू जलपाईगुड़ी से निकलने वाली थी। इस सभी आरोपियों को पूछताछ के लिए न्यू जलपाईगुड़ी के जीआरपी कार्यालय लाया गया।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पिछले रविवार को असम के कछार जिले में रोहिंग्या मुसलमानों की अवैध घुसपैठ में शामिल 4 लोगों को गिरफ्तार किया था। पिछले शुक्रवार को बेंगलुरु से 6 रोहिंग्या तस्करों की गिरफ्तारी के बाद एजेंसी को मिली जानकारी के आधार पर गिरफ्तारी की गई थी। एनआईए ने आशिकुल अहमद उर्फ कुमकुम अहमद चौधरी को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया। वह "कुमकुम रैकेट" का मास्टरमाइंड है। यह रैकेट रोहिंग्या मुसलमानों को असम, त्रिपुरा, मेघालय और पश्चिम बंगाल की सीमाओं के माध्यम से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कराता है। रैकेट रोहिंग्याओं को बेंगलुरु, दिल्ली, मुंबई आदि में भी भेजता है और उन्हें नौकरियों में लगवाता है।
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