कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा हिजाब प्रकरण पर 15 मार्च को दिए फैसले पर न सिर्फ पाकिस्तान के कठमुल्लाओं को सांप सूंघ गया है बल्कि वहां की सरकार के भी सुर बिगड़े हैं। भारत के एक राज्य के उच्च न्यायालय के फैसले पड़ोसी इस्लामवादी देश की इस तरह मुश्कें कसी हैं कि उसने निर्णय को 'मुस्लिम विरोधी' कहकर दुष्प्रचार किया है।
पिछले कई दिनों से कट्टर मजहबी तत्वों ने जिस तरह पहले कर्नाटक, फिर देश के अनेक हिस्सों में बेवजह का हिजाब विवाद उठाया और उसे सेकुलर मीडिया के जरिए तूल दिया, उससे पाकिस्तान के कठमुल्लाओं को भी शह मिली है। उन्होंने अपने यहां इस मुद्दे को लेकर बयान ही नहीं दिए बल्कि अपने स्कूल कालेजों में पढ़ रहीं लड़कियों को भी बरगला कर उनसे मीडिया में बयान दिलवाए।
लेकिन कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सभी दलीलें सुनने के बाद अपने फैसले में जब यह स्पष्ट कहा कि हिजाब पहनना इस्लामी मजहबी पहनावे में अनिवार्य नहीं है, तो पाकिस्तान के मुल्ला—मौलवी तक तिलमिला गए। इतना ही नहीं, पड़ोसी कट्टर इस्लामी देश ने इसे मुसलमान विरोधी अभियान का हिस्सा कहकर दुष्प्रचारित किया। अब उसके विदेश मंत्रालय ने भी एक बयान जारी किया है। इस बयान में कहा गया है कि न्यायालय का फैसला मजहबी परंपराओं की आजादी तथा मानवाधिकार का उल्लंघन करता है।
पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय, संयुक्त राष्ट्र तथा संबंधित अंतरराष्ट्रीय गुटों से भी अपील की है कि वे अल्पसंख्यकों पर बहुसंख्यकवादी भेदभाव रोकने के लिए इस मुद्दे को उठाएं। यहां पाकिस्तान बड़ी सहजता से भूल जाता है कि अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव का सबसे बड़ा और साबित दोषी वही है।
पाकिस्तान के विदेश विभाग ने इस बारे में आगे कहा है कि यह फैसला ऐसा है कि जिसके जरिए मुसलमानों को निशाना बनाया गया है। इतना ही नहीं, पाकिस्तान ने एक बार फिर से अपना पुराना रोना ही रोया है कि 'भारत अपनी पंथनिरपेक्षता खो रहा है, जिससे अल्पसंख्यकों का नुकसान हो रहा है'। दिलचस्प बात है कि यह वह पाकिस्तान बोल रहा है जहां अल्पसंख्यकों को आएदिन प्रताड़ित किया जा रहा है, उनकी आबादी अब नाममात्र की बची है, उन्हें कन्वर्ट करके कलमा पढ़ाया जा रहा है। उनकी लड़कियों को दिनदहाड़े अगवा करके उनसे अधेड़ उम्र के मुस्लिमों का जबरन निकाह कराया जा रहा है। पाकिस्तान खुद अल्पसंख्यकों के दमन को लेकर दुनिया के सामने कठघरे में खड़ा होता रहा है।
पाकिस्तान के विदेश विभाग ने बयान में भारत सरकार से अपील की है कि 'अल्पसंख्यकों, खासतौर पर मुसलमानों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और उनके मजहब का पालन करने के अधिकार सुनिश्चित किए जाएं'। पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय, संयुक्त राष्ट्र तथा संबंधित अंतरराष्ट्रीय गुटों से भी अपील की है कि वे अल्पसंख्यकों पर बहुसंख्यकवादी भेदभाव रोकने के लिए इस मुद्दे को उठाएं। यहां पाकिस्तान बड़ी सहजता से भूल जाता है कि अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव का सबसे बड़ा और साबित दोषी वही है।
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि हिजाब मजहब का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। स्कूल-कॉलेजों में छात्र यूनिफॉर्म पहनने से मना नहीं कर सकते हैं। अदालत ने कहा है कि स्कूल यूनिफॉर्म को लेकर बाध्यता एक उचित इंतजाम है। छात्र या छात्रा इससे मना नहीं कर सकते हैं।
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
टिप्पणियाँ