यूपी में योगी सरकार की फिर से अभी ताजपोशी भी नहीं हुई कि अपराधियों में कानून का खौफ गहराने लगा है। चुनाव के दौरान लापता हुए आठ हिस्ट्रीशीटरों ने चिलकाना थाने में जाकर आत्मसमर्पण कर दिया। पिछले साल शामली, बिजनौर, मुजफ्फरनगर में ऐसे कई दृश्य देखे गए। जब अपराध करने वाले अपराधी एनकाउंटर के भय से थानों में हाथ उठाकर आत्मसमर्पण करने आ रहे थे।
चुनाव के दौरान सहारनपुर पुलिस को ऐसे कई हिस्ट्रीशीटरों की तलाश थी जो कि लंबे समय से पुलिस की नजरों से बचते फिर रहे थे। चुनाव आयोग का मतदान कार्यक्रम घोषित होते ही पुलिस को ये निर्देशित किया गया था कि वो चुनाव शांतिपूर्ण कराने के लिए अपराधियों, गुंडों को काबू में करें। हिस्ट्रीशीटरों की परेड करवाएं और उन्हें शांति धाराओं में पाबंद करके निजी मुचकलों पर रिहा करें। सहारनपुर पुलिस ने चुनाव पूर्व ऐसा ही एक अभियान चलाया था, जिनमें कई हिस्ट्रीशीटर अपने घर के पतों से नदारद मिले थे। पुलिस ने उनके घर वालों को चेतावनी देकर उन्हें थाने में हाजिरी लगाने को कहा था।
दरअसल कोर्ट ने हिस्ट्रीशीटर के लिए ये व्यवस्था बनायी हुई है कि उन्हें थाने में आकर समय-समय पर हाजिर होना पड़ता है और यदि उनका आचरण सही रहता है वो किसी अपराधिक मामलों में लिप्त नहीं रहते तो उनका नाम हिस्ट्रीशीट से हटाया भी जाता है। चिलकाना थाने के आठ हिस्ट्रीशीटर चुनाव के तुरंत बाद हाथ उठाकर पुलिस अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने जा पहुंचे तो पुलिस कोतवाल सत्येंद्र राय भी हैरान हो गए। जब इसकी सूचना एसएसपी आकाश तोमर को हुई तो उन्होंने थाने को निर्देशित किया कि इनकों ये हिदायत दें कि नियमित हाजिरी लगाने आया करें और यदि किसी मामले में ये लिप्त पाए जाएंगे तो पुलिस सख्ती दिखाएगी।
एसएसपी के मुताबिक सभी आठों हिस्ट्रीशीटर उम्रदराज हैं और अपने-अपने कारोबार कर रहे हैं। एसएसपी के निर्देश पर इकरान, शौकत, रियासत, खालिद, नूर हसन, खालिद असगर, इस्लाम और इकरार को निजी मुचलकों पर थाने से रिहा भी कर दिया गया। योगी राज में पहले भी सहारनपुर पुलिस के आगे गैंगस्टर, गुंडा एक्ट में वांछित इसी तरह हाथ उठाकर आत्मसमर्पण कर चुके हैं।
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