अपनी भाषा में, सबके लिए डिजिटल साक्षरता
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विज्ञान और तकनीक

अपनी भाषा में, सबके लिए डिजिटल साक्षरता

by बालेन्दु शर्मा दाधीच
Mar 14, 2022, 04:10 am IST
in विज्ञान और तकनीक, साक्षात्कार, दिल्ली
प्रतीकात्मक चित्र

प्रतीकात्मक चित्र

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail
डिजिटल साक्षरता को समावेशी बनाने की जरूरत है। इसके लिए समाज के किसी भी तरह से वंचित तबकों को डिजिटल साक्षात्कार से जोड़ने के लिए उपाय करने होंगे

भारत में डिजिटल साक्षरता की अहमियत और चुनौती को अब पहचान लिया गया है और केंद्र तथा राज्य सरकारें इसके समाधान के प्रयास कर रही हैं। पीएमजीदिशा, दीक्षा और स्वयं जैसे कार्यक्रम इसके उदाहरण हैं। कौशल विकास के अनेक कार्यक्रमों में भी डिजिटल साक्षरता का पहलू मौजूद है। इन प्रयासों को सफल बनाने के लिए उन्हें समावेशी बनाने पर भी ध्यान देना होगा। 

समावेशी से तात्पर्य इन्हें समाज के उन तबकों से जोड़ना है, जो किसी न किसी रूप में वंचित हैं या जिनकी तरक्की के सामने कोई न कोई दीवार खड़ी है। यह दीवार आर्थिक, लैंगिक, सामाजिक विषमता या भाषा की दीवार हो सकती है। देखा गया है कि दिव्यांगों में साक्षरता तथा रोजगार की स्थिति बेहद चिंताजनक है, जबकि दुनिया की आबादी में उनकी 15 प्रतिशत हिस्सेदारी है। एक डिजिटली साक्षर समाज के निर्माण के लिए इन सभी वंचित, उपेक्षित तबकों को तकनीकी जागरूकता, शिक्षण और कौशल से जोड़ना जरूरी है। 

डिजिटल साक्षरता अभियानों का लक्ष्य केवल अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचना नहीं है बल्कि समग्र कवरेज सुनिश्चित करना है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति न छूटे—शारीरिक क्षमताओं, भाषाई पृष्ठभूमि, लिंग, आयु और इसी तरह के अन्य विशिष्ट मार्कर के कारण उन्हें इस तरह के कौशल से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।

चूंकि लगभग 93 प्रतिशत भारतीय आबादी स्थानीय भाषाएं बोलती है, इसलिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि लोग अपनी पसंदीदा भाषा में सामग्री, प्रशिक्षण और प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सकें। पीएमजीदिशा में 22 भाषाओं का प्रावधान है और कुछ अन्य सरकारी पहलें जैसे ‘दीक्षा’ और ‘स्वयं’ भी कई भाषाओं में सामग्री प्रदान करती हैं। हालांकि, शिक्षार्थियों को दिए जाने वाले अधिकांश पाठ्यक्रम और सामग्री का बड़ा हिस्सा अभी भी अंग्रेजी भाषा तक ही सीमित है और कई छात्रों के लिए यह एक बाधा बन जाता है। नई शिक्षा नीति में शिक्षा में प्रौद्योगिकी के उपयोग के महत्व को रेखांकित किया गया है, साथ ही स्थानीय भाषाओं में शिक्षा पर भी जोर दिया गया है। हमारा संकल्प और दृष्टि सकारात्मक है, स्पष्ट है। अब यह हम पर निर्भर है कि हम इन्हें लागू करने के लिए ईमानदार हों। 

दिव्यांगों को भी डिजिटल साक्षरता के दायरे में लाया जा सकता है। ऐसी तकनीकें खुद विंडोज जैसे आपरेटिंग सिस्टम और वर्ड-एक्सेल-पावरप्वाइंट जैसे सॉफ्टवेयरों में भी मौजूद हैं। जरूरत है, दिव्यांगों को इनके प्रयोग में सक्षम बनाने की। आज यह आवश्यक नहीं है कि दिव्यांगों के लिए पूरी तरह से अलग सामग्री का निर्माण किया जाए क्योंकि अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस तकनीक आने के बाद ब्रेल लिपि जानने की कोई मजबूरी नहीं रह गई है।

विभिन्न पाठ्यक्रमों को भारतीय भाषाओं में तब्दील करने के लिए एक तुरत-फुरत समाधान के रूप में मशीनी अनुवाद का प्रयोग करने की प्रवृत्ति दिखती है। मशीनी अनुवाद में व्यापक प्रगति हुई है किंतु फिलहाल वह इस स्थिति में नहीं है कि पाठ्यक्रमों का शुद्ध अनुवाद कर सके। यह एक मानवीय कार्य है, जिसमें मशीनी अनुवाद की मदद तो ली जा सकती है लेकिन कम समय में बड़ी मात्रा में सामग्री तैयार करने के मकसद से इसका प्रयोग करना समस्या का समाधान नहीं है। इस प्रक्रिया में इनसान की भूमिका महत्वपूर्ण है। भले ही हम एक हजार पाठ्यक्रमों की जगह पर सिर्फ सौ पाठ्यक्रमों का अनुवाद करें लेकिन वह स्वाभाविक और उत्कृष्ट अनुवाद होना चाहिए। ज्यादा बेहतर तो यही होगा कि हर भाषा के लिए अलग से सामग्री बनाई जाए। दिव्यांग लोग समाज के एक और वंचित वर्ग का निर्माण करते हैं, जिनकी जरूरतों और आकांक्षाओं को अक्सर हमारी शिक्षा प्रणाली में छोड़ दिया जाता है। क्या हमने अपनी सामग्री, प्रौद्योगिकी और सीखने की प्रक्रिया को उनके लिए सुलभ बनाया है, यह एक ऐसा सवाल है जो हमें खुद से पूछना है। ऐसा इसलिए है क्योंकि शिक्षा सभी के लिए होनी चाहिए, न कि केवल उनके लिए जो किसी न किसी रूप में विशेषाधिकार प्राप्त हैं। 

हमें उन प्रणालियों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो अंधेपन, शारीरिक अक्षमता, सुनने की अक्षमता, भाषण अक्षमता, सीखने की अक्षमता आदि से ग्रस्त लोगों द्वारा भी उसी तरह उपयोग की जा सकती हैं जैसी कि अन्य लोगों के लिए। इसे चुनौती के रूप में देखा जा सकता है लेकिन वास्तव में यह एक बड़ा अवसर है। सही मायने में सभी को सशक्त बनाने के लिए। डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम और मिशन इसके अपवाद नहीं हैं। आज ऐसी तकनीकें उपलब्ध हैं जिनके प्रयोग से दिव्यांगों को भी डिजिटल साक्षरता के दायरे में लाया जा सकता है। ऐसी तकनीकें खुद विंडोज जैसे आपरेटिंग सिस्टम और वर्ड-एक्सेल-पावरप्वाइंट जैसे सॉफ्टवेयरों में भी मौजूद हैं। जरूरत है, दिव्यांगों को इनके प्रयोग में सक्षम बनाने की। आज यह आवश्यक नहीं है कि दिव्यांगों के लिए पूरी तरह से अलग सामग्री का निर्माण किया जाए क्योंकि अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस तकनीक आने के बाद ब्रेल लिपि जानने की कोई मजबूरी नहीं रह गई है।
(लेखक माइक्रोसॉफ़्ट में ‘निदेशक- स्थानीय भाषाएं और सुगम्यता‘ के पद पर कार्यरत हैं)

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

दिल्ली-एनसीआर में 3.7 तीव्रता का भूकंप, झज्जर था केंद्र

उत्तराखंड : डीजीपी सेठ ने गंगा पूजन कर की निर्विघ्न कांवड़ यात्रा की कामना, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के लिए दिए निर्देश

काशी में सावन माह की भव्य शुरुआत : मंगला आरती के हुए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, पुष्प वर्षा से हुआ श्रद्धालुओं का स्वागत

वाराणसी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पर FIR, सड़क जाम के आरोप में 10 नामजद और 50 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज

Udaipur Files की रोक पर बोला कन्हैयालाल का बेटा- ‘3 साल से नहीं मिला न्याय, 3 दिन में फिल्म पर लग गई रोक’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

दिल्ली-एनसीआर में 3.7 तीव्रता का भूकंप, झज्जर था केंद्र

उत्तराखंड : डीजीपी सेठ ने गंगा पूजन कर की निर्विघ्न कांवड़ यात्रा की कामना, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के लिए दिए निर्देश

काशी में सावन माह की भव्य शुरुआत : मंगला आरती के हुए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, पुष्प वर्षा से हुआ श्रद्धालुओं का स्वागत

वाराणसी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पर FIR, सड़क जाम के आरोप में 10 नामजद और 50 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज

Udaipur Files की रोक पर बोला कन्हैयालाल का बेटा- ‘3 साल से नहीं मिला न्याय, 3 दिन में फिल्म पर लग गई रोक’

कन्वर्जन की जड़ें गहरी, साजिश बड़ी : ये है छांगुर जलालुद्दीन का काला सच, पाञ्चजन्य ने 2022 में ही कर दिया था खुलासा

मतदाता सूची मामला: कुछ संगठन और याचिकाकर्ता कर रहे हैं भ्रमित और लोकतंत्र की जड़ों को खोखला

लव जिहाद : राजू नहीं था, निकला वसीम, सऊदी से बलरामपुर तक की कहानी

सऊदी में छांगुर ने खेला कन्वर्जन का खेल, बनवा दिया गंदा वीडियो : खुलासा करने पर हिन्दू युवती को दी जा रहीं धमकियां

स्वामी दीपांकर

भिक्षा यात्रा 1 करोड़ हिंदुओं को कर चुकी है एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने का संकल्प

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies