अउप्रमोद सावंत ने सरकार बनाने का दावा किया है।
भाजपा ने एग्जिट पोल को धता बताते हुए गोवा विधानसभा में लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की है। गोवा के इतिहास में पहली बार कोई पार्टी तीसरी बार सत्ता में आई है। तमाम एग्जिट पोल गोवा में त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणी कर रहे थे और कांग्रेस को सबसे आगे बता रहे थे। 40 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के खाते में 20 सीटें आई हैं। हालांकि सरकार बनाने में कोई दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि 3 निर्दलीयों और 2 सीटें जीतने वाली महाराष्ट्रवादी गोमांतक (एमजीपी) पार्टी ने भाजपा को समर्थन दे दिया है। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने नतीजों की घोषणा के बाद कहा कि तीन सीटों पर पार्टी को मात्र 77 वोटों के अंतर से पराजय मिली।
मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद गोवा में यह पहला चुनाव था। 2012 और 2017 में उनके नेतृत्व में ही पार्टी की सरकार बनी थी। इस ईसाई बहुल सूबे में उन्होंने पार्टी को जो मजबूत आधार दिया, यह जीत उसी का परिणाम है। हालांकि मनोहर पर्रिकर के पुत्र उत्पल पर्रिकर पार्टी से नाराज होकर पणजी से निर्दलीय चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। उन्हें भाजपा प्रत्याशी ने 716 वोटों से हराया। बता दें कि पणजी सीट 28 वर्ष से भाजपा के पास है। दिवंगत मनोहर पर्रिकर 1994 से 2017 तक लगातार यहां से जीते।
40 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के खाते में 20 सीटें आई हैं। हालांकि सरकार बनाने में कोई दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि 3 निर्दलीयों और 2 सीटें जीतने वाली महाराष्ट्रवादी गोमांतक (एमजीपी) पार्टी ने भाजपा को समर्थन दे दिया है।
भाजपा को अपदस्थ करने के लिए एक ओर कांग्रेस और दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने पूरा जोर लगा दिया। तृणमूल ने 40, जबकि आआपा ने 39 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे। इस कारण विपक्ष का वोट बंट गया। दोनों दलों ने कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी की, जिससे कांग्रेस को नुकसान हुआ और भाजपा इसका लाभ भाजपा को मिला। इस चुनाव में कांग्रेस को 11 सीटें मिली हैं, जबकि जीत का दावा करने वाली आआपा को महज दो सीटें मिली हैं। यहां तक कि पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा भी जीत दर्ज नहीं कर सका। ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल को तो खाता भी नहीं खुला।
कांग्रेस की असुरक्षा का आलम यह है कि मतगणना से एक दिन पहले ही उसने अपने सभी उम्मीदवारों को पणजी के एक लग्जरी रिजॉर्ट में भेज दिया था। पार्टी को अपने नेताओं पर ही भरोसा नहीं है। उसे टूट का डर है।
दरअसल, 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी। उसने 17 सीटें पर जीत दर्ज की थी, जबकि भाजपा को 13 सीटें ही मिली थीं। इसके बावजूद कांग्रेस सरकार नहीं बना पाई थी। इसलिए इस बार वह फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।
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