उत्तराखंड : बीजेपी के बाजीगर पुष्कर सिंह धामी, पूरे राज्य की चिंता में गंवा बैठे अपनी सीट
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उत्तराखंड : बीजेपी के बाजीगर पुष्कर सिंह धामी, पूरे राज्य की चिंता में गंवा बैठे अपनी सीट

by दिनेश मानसेरा
Mar 11, 2022, 03:55 am IST
in भारत, उत्तराखंड
चित्र - पुष्कर सिंह धामी

चित्र - पुष्कर सिंह धामी

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हार कर भी जीत जाने वाले को बाजीगर कहते है, कुछ इसी तरह से ही पुष्कर सिंह धामी के साथ हुआ और उन्हें अब बाजीगर ही कहा जाने लगा है। वो खुद चुनाव हार गए लेकिन बीजेपी को हार के मुंह से जीत की दहलीज तक ले गए। उत्तराखंड में बीजेपी की दो तिहाई बहुमत से हुई जीत तो हुई लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की हार ने इस जीत को बेस्वाद कर दिया।

 

पुष्कर सिंह धामी चुनाव से पहले अपनी विधानसभा की चिंता छोड़ कर अन्य 69 सीटो को जिताने के लिए मेहनत करते रहे और इसका परिणाम ये हुआ कि वो अपनी ही सीट को गंवा बैठे।

चुनाव से छह माह पहले मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते वक्त यही कयास लगाए जारहे थे कि क्या पुष्कर धामी बीजेपी को दोबारा सत्ता दिला पाएंगे? उस वक्त ये भी मिथक था कि उत्तराखंड में पांच साल बीजेपी पांच साल कांग्रेस की सरकार रहती है। मिथक एक ये भी था कि मुख्यमंत्री उत्तराखंड में चुनाव हारते है। 

पुष्कर सिंह धामी पिछला विधानसभा चुनाव करीब दो हज़ार वोट से जीते थे, इस बार तमाम सर्वे ने उनकी हार का अंदेशा पहले ही जताया हुआ था इसके बावजूद  वो अपनी खटीमा विधानसभा छोड़ कर राज्य की अन्य सीटो को जीतने के लिए रात दिन मेहनत करते दिखाई दिए वो अपने छह माह के कार्यकाल में रोज तीन विधानसभा क्षेत्रों में जाकर बीजेपी के लिए अनुकूल चुनाव माहौल बनाते रहे।

पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए खटीमा में अपनी तैयारियों को समय कम दिया जिस वजह से उनकी पत्नी ने उनका साथ दिया और घर घर जाकर वोट मांगे।

पुष्कर सिंह धामी को ये विश्वास था कि उनके क्षेत्र में रहने वाली थारू जनजाति उन्हें जरूर समर्थन देगी लेकिन ऐसा न होकर जनमत  कांग्रेस के साथ चला गया और पुष्कर सिंह धामी चुनाव हार गए। पुष्कर सिंह धामी चुनाव हार कर भी प्रदेश की जनता की नज़रों में जीत गए क्योंकि उत्तराखंड की जनता ने मोदी धामी की सरकार में ही विश्वास करके वोट दिया है।

बीजेपी के उत्तराखंड राज्य चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी,  संगठन प्रभारी दुष्यंत गौतम और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी चुनावों की जीत के लिए पुष्कर सिंह धामी की मेहनत को सराहा। बीजेपी के प्रदेश महामंत्री सुरेश भट्ट ने कहा कभी कभी टीम मैच जीत जाती है किंतु कैप्टन जीरो पर आउट हो जाता है इसका अर्थ ये नही कि उनके एफर्ट में कोई कमी थी ये जीत सबकी सामूहिक  जीत है।

पुष्कर सिंह धामी ही फिर से मुख्यमंत्री बने और इसके लिए कपकोट विधायक सुरेश गड़िया और चम्पावत के विधायक कैलाश गहतोड़ी ने इस्तीफा देने की पेशकश की है। 

अगला मुख्यमंत्री कौन होगा ?  ये निर्णय बीजेपी के हाई कमान को करना है, यदि विधायकों में से नया नेता चुनने की परंपरा निभाई गयी तो चेहरा कोई और होगा और यदि हाई कमान ने किसी अन्य विकल्प पर विचार किया तो पुष्कर सिंह धामी के हाथ फिर से उत्तराखंड सरकार की कमान हो सकती है।
 

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