डॉ यशोधन आगलगावकर
रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला शुरू होने के बाद से हजारों लोगों को खौफ और पीड़ा से गुजरना पड़ा है। भीषण हमलों के साथ यूक्रेन के कई शहरों में लड़ाकू विमानों की गर्जना सुनाई पड़ रही है। ऐसे कठिन समय में हिन्दू स्वयंसेवक संघ ने सेवा कार्य करने का ठाना। भारत के लगभग 20 हजार छात्र पढ़ाई करने यूक्रेन गए, जो युद्ध के बीच में फंस गए। वहां से उन्हें युद्धजन्य स्तिथि में निकालना बहुत बड़ी चुनौती थी। इस दौरान संगठन की ओर से एक सूची बनाई गई, जिनको मदद की जरूरत थी। उन्हें क्या मदद चाहिए, इसकी जानकारी संग्रहित की गई। इस सूची में हज़ारों विद्यार्थी थे। फिर खारकिव, ल्वीव एवं अन्य शहरों में फंसे विद्यार्थियों को फोन से संपर्क किया। उनके व्हाट्सअप ग्रुप बनाये गए। इन छात्रों को पोलैंड, रोमानिया, हंगरी की सीमा से पार कराके लाना था। इस भयावह हालात में छात्रों का मानसिक संतुलन बना रहे, इसके लिए सेवा—यूरोप के कार्यकर्ताओं ने उनका मार्गदर्शन करना शुरू किया। फिर धीरे—धीरे जो छात्र संपर्क में आते गए उनको सीमा की स्थिति से रूबरू कराना शुरू किया तो कुछ कार्यकर्ता सीमाओं पर डटकर छात्रों की मदद में जुट गए।
अमेरिका स्थित सेवा इंटरनेशनल के समन्वय में सेवा—यूरोप के कार्यकर्ताओं ने इन हताश—निराश छात्रों की जमीनी स्तर पर सेवा की। यूक्रेन के 10 प्रमुख शहरों में कार्यकर्ता और स्वयंसेवकों की मौजूदगी रही। वे इन स्थानों पर छात्रों के लिए परिवहन और भोजन व्यवस्था का समन्वय कर रहे थे। इस दौरान सेवा इंटरनेशनल के लगभग 300 से अधिक स्वयंसेवक रहे। इनमें करीब 100 महिला स्वयंसेविका भी शामिल रहीं, जो विभिन्न देशों की थीं।
क्या सेवा के स्वयंसेवक और कार्यकर्ताओं ने सिर्फ भारत के छात्रों की मदद की ? नहीं। उन्होंने कई सारे अफ्रीकन छात्रों की भी मदद की। सूमी शहर में बड़ी संख्या में दूसरे देशों के छात्र फंसे होने की सूचना थी। यह सभी अपने-अपने देशों से मदद की गुहार लगा रहे थे। इस दौरान सेवा— यूरोप ने न सिर्फ भारतीय छात्रों की निकासी में मदद की बल्कि दूसरे देशों के छात्रों को भी सहायता प्रदान की। इस दौरान सूमी से लगभग 470 से अधिक अफ्रीकी छात्रों को निकाला गया। सेवा इंटरनेशनल—यूरोप द्वारा नामीबिया, जाम्बिया, दक्षिण अफ्रीका से अन्य अफ्रीकी छात्रों को निकालने में मदद करने का नाइजीरिया के राजदूत शिना एलेगे द्वारा अनुरोध किया गया। निकासी की इस सफलता के बाद नाइजीरिया के विदेश मंत्री जेफ्री ओनेयामा ने सेवा इंटरनेशनल के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कार्यकर्ताओं के "अद्भुत प्रयास और समन्वय" की सराहना की।
गौरतलब है कि यूक्रेन में 100 से अधिक स्वयंसेवक, 50 से अधिक सीमा स्वयंसेवक, 18 से अधिक शहरों में एक साथ काम कर रहे हैं। 350 से अधिक टेलीफोनिक हेल्पलाइन स्वयंसेवक, 12000 से अधिक छात्रों एवं अन्य लोगों को यूक्रेन से निकालने में मदद, 6000 से अधिक हेल्पलाइन से अनुरोध, 35000 से अधिक फंसे हुए लोगों की सहायता और 12 से अधिक दूसरे देशों के लोगों की सहायता स्वयंसेवकों और कार्यकर्ताओं द्वारा की गई।
(लेखक डेन्वर,अमेरिका से हैं और Friends of India, Colorado,USA संस्था की टोली में अनुसंधान का कार्य करते हैं.)
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