फ्रांस में जिस शार्ली हेब्दो के दफ्तर में 2015 की जनवरी में दो इस्लामी जिहादियों ने अंधाधुंध गोलियां चलाकर स्टाफ के 12 लोगों की हत्या की थी, उसी में स्तम्भकार रहे एक डॉक्टर ने एक सनसनीखेज खुलासा किया है।
फ्रांस के ये डाक्टर और शार्ली एब्दो के पूर्व स्तंभकार हैं पैट्रिक पेलौक्स। हाल में उन्होंने एक साक्षात्कार में बताया है कि फ्रांस के अस्पतालों में कार्यरत कट्टर इस्लामी तत्व स्वास्थ्य विभाग और अस्पतालों में एक अलग तरह का जिहाद चलाए हुए हैं। ये तत्व महिलाओं, यहूदियों और 'होमोसेक्सुअल' लोगों के इलाज में कोताही करते हैं, उनके साथ भेदभाव बरतते हैं।
फ्रांस की राजधानी पेरिस से छपने वाली एक पत्रिका 'मैरिएन' ने डाक्टर पैट्रिक का पिछले दिनों एक साक्षात्कार किया था, उसी में डाक्टर ने यह खुलासा किया है।
डाक्टर पेलौक्स का कहना है कि इस संबंध में उन्होंने फ्रांस सरकार को भी रिपोर्ट सौंप दी है। पत्रिता से चर्चा करते हुए डॉ. पेलौक्स कहते हैं, “अस्पताल के दूसरे कर्मचारियों, बाहर से आए कर्मचारियों अथवा पादरियों को देखते ही ये मजहबी कट्टरपंथी तत्व यहूदी-विरोधी मानसिकता से भर जाते हैं।”
डॉ. पेलौक्स ने फ्रांस की सरकार को जो रिपोर्ट भेजी है उसमें किसी सेंट केमिली अस्पताल का जिक्र किया गया है। उस अस्पताल पर तब मजहबी उन्मादियों ने कब्जा कर लिया था जब सरकार अस्पताल के पास की एक मस्जिद को बंद कर दिया था। तब नमाज़ पढ़ने के नाम पर 200 मजहबी उन्मादियों की भीड़ ने अस्पताल पर ही कब्जा कर लिया था।
इन मशहूर चिकित्सक का कहना है, ''ऐसी अड़चनें चिकित्सकों के इलाज करने में दिक्कतें पैदा करती हैं, वे कुछ तकनीकों का उपयोग नहीं कर पाते। एक डॉक्टर के केस की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया, कि वह डाक्टर अंग प्रत्यारोपण करने को तैयार ही नहीं हुआ, क्योंकि 'इस्लाम में यह हराम' है।
अस्पताल ऐसे डाक्टरों या कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं करते? यह पूछने पर डॉ. पेलौक्स का कहना है कि स्टाफ में शामिल मुसलमान अस्पतालों में भी तेजी से कन्वर्जन कराने में लिप्त हैं। वे बताते हैं, “पूछताछ में फ्रांस के पश्चिम हिस्से के एक अस्पताल में काम करने वाली एक नर्स ने बताया था कि उसका एक साथी स्टाफ, जो कट्टर मजहबी है, वह कन्वर्जन करते पाया गया था, उसने तो अपने साथ काम करने वालों को भी कन्वर्ट करने की कोशिश की थी।'' लेकिन दिक्कत यह है कि इस स्थिति में क्या करना है, यह स्पष्ट नहीं है। क्योंकि अस्पतालों को भी भय है कि उन पर नस्लवादी होने का लेबल लगा दिया जाएगा''।
डॉ. पेलौक्स ने बताया कि अस्पताल के प्रबंधन को यह आशंका रहती है कि इस्लामिक तत्व उनके विरुद्ध ‘नस्लवादी’ होने का आरोप लगा देंगे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस तरह के प्रकरणों में सावधानी कम होने से खतरनाक सोच के कट्टरपंथी तत्व अस्पतालों में और बढ़ सकते हैं।
डॉ. पेलौक्स ने फ्रांस की सरकार को जो रिपोर्ट भेजी है उसमें किसी सेंट केमिली अस्पताल का जिक्र किया गया है। उस अस्पताल पर तब मजहबी उन्मादियों ने कब्जा कर लिया था जब सरकार अस्पताल के पास की एक मस्जिद को बंद कर दिया था। तब नमाज़ पढ़ने के नाम पर 200 मजहबी उन्मादियों की भीड़ ने अस्पताल पर ही कब्जा कर लिया था।
क्या फ्रांस में कट्टरपंथी तत्व अस्पतालों पर निशाना साधे हुए हैं? इस सवाल के जवाब में डॉ. पेलौक्स का कहना था कि कट्टरपंथी मजहबियों से नजदीकी की वजह से साल 2020 में फ्रांस की सरकार को 2020 में एक कट्टर उन्मादी मुस्लिम एनजीओ बाराकासिटी पर पाबंदी लगानी पड़ी थी।
शार्ली एब्दो केे इस पूर्व स्तम्भकार ने चेतावनी के स्वर में कहा कि हमें भूलना नहीं चाहिए कि सीरिया में 'दाएश' संगठन तो जनता के लिए चिकित्सा सेवाएं मुफ्त उपलब्ध कराने की हद तक जा पहुंचा था। यह मामूली बात नहीं है। मुस्लिम ब्रदरहुड के 'पॉलिटिकल लैटर्स' का अनुवाद करने वाले ज़िनेब एल रहज़ौई ने स्पष्ट बताया है कि ऐसे कट्टर मजहबी संगठनों को मकसद, खासकर फ्रांस में सामाजिक व्यवस्थाओं में दखल के जरिए अस्पतालों पर कब्ज़ा करना है।
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
टिप्पणियाँ