संकट में हैं गिद्ध, वन विभाग नहीं है गंभीर
May 21, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

संकट में हैं गिद्ध, वन विभाग नहीं है गंभीर

by दिनेश मानसेरा
Mar 9, 2022, 12:58 am IST
in भारत, उत्तराखंड
प्रतीकात्मक चित्र

प्रतीकात्मक चित्र

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail
सवाल यही सामने आता है कि आखिरकार ये गिद्ध कहां चले गए ? जबकि ये गिद्ध हमारे पर्यावरण संतुलन के लिए जरूरी थे। गिद्ध ऐसा पंछी है, जिसे प्राकृतिक सफाई कर्मी का दर्जा प्राप्त है।

 

उत्तराखंड में गिद्धों के संरक्षण के लिए कोई उपाय नहीं खोजे जा रहे, जबकि हिमालय और शिवालिक में पाए जाने वाले गिद्दों की प्रजातियां दुनिया में और कहीं नहीं पायी जातीं। राज्य की पहाड़ियों के ऊंचे पेड़ों में वास करने वाले गिद्दों के अस्तित्व पर संकट पिछले कई सालों से मंडरा रहा है। गिद्ध ऐसा पंछी है जिसे प्राकृतिक सफाई कर्मी का दर्जा प्राप्त है। कुछ साल पहले तक किसी भी जीव के मरने पर गिद्धों का झुंड आसमान से उतर आता था और मरा जीव गिद्धों का भोजन बन जाता था। लेकिन आजकल ऐसा दृश्य देखने को नहीं मिलता। 

सवाल यही सामने आता है कि आखिरकार ये गिद्ध कहां चले गए ? जबकि ये गिद्ध हमारे पर्यावरण संतुलन के लिए जरूरी थे। पिछले कुछ सालों में ये रिसर्च हुआ और जानकारी मिली कि गिद्धों के लुप्त होने की चार बड़ी वजह हैं। पहली सबसे बड़ी वजह "डाइक्लोफिनिक" दवा है जो कि पालतू गाय भैसों को खिलाई जाती है। ये दर्द निवारक दवा पालतू जीवों के मरने के बाद भी उनके शरीर मे बसी रहती है और इस दवा से लिप्त मांस खाने से गिद्धों की ज़िंदगी भी खत्म हो रही है। दूसरी बड़ी वजह शहरों और आसपास के जंगलों में ऊंचे पेड़ों का समाप्त होना भी है इन ऊंचे पेड़ों पर गिद्ध अपने वास बनाते हैं। एक वजह यह भी है कि गिद्धों की प्रजनन क्षमता सीमित होती है। गिद्धों की उम्र कम से कम सौ साल होती है कोई कोई गिद्ध तो दो-दो सौ साल के भी देखे गए हैं। गिद्धों की अब सीमित संख्या भी अब कम होते गिद्धों का कारण है।

उत्तराखंड में गिद्धों की चमर सफेद, काला गिद्ध, हिमालय गिद्ध और जटायु प्रजाति के गिद्धों को चिन्हित किया जा चुका है। उत्तराखंड में 2004 और 2008 में गिद्धों की गणना वन विभाग ने करवायी थी, जिसमें वन क्षेत्र में 1272 और संरक्षित वन क्षेत्र में 3794 यानि कुल 5066 गिद्धों की गिनती की गई। दिलचस्प बात यह है कि उसके बाद से वन विभाग ने गिद्धों की गणना ही नहीं करवायी। जबकि लुप्त होते इन गिद्धों को लेकर वन विभाग को गंभीर होना चाहिए था।

गिद्ध को बचाने के लिए जनजागरण अभियान में लगे हिमालयन वल्चर सोसाइटी के सुमंता घोष का कहना है कि जब तक पशु और कृषि दवा विक्रेता "डाइक्लोफिनिक " दवा की बिक्री पर सख्ती से रोक नहीं लगाते तब तक इसके संरक्षण की बात बेमानी है, हमने प्रशासन को कई बार कहा है कि वो इस पर रोक लगाए किंतु कुछ हुआ नहीं। पौड़ी में रहने वाले शिक्षक दिनेश कुकरेती ने कई गांवों में जाकर लोगों को इस दवा के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए जागरुक भी किया है। वन विभाग के वन्यजीव प्रतिपालक डॉ पराग मधुकर धकाते कहते हैं कि हम इस साल गिद्धों की गणना करने की योजना बना रहे हैं और हमने राजा जी टाइगर रिजर्व और उसके आसपास के गांव शहरों को फ्री "डाइक्लोफिनिक" ज़ोन बनाने का फैसला लिया है। उम्मीद है इस साल से हमे गिद्ध के संरक्षण के बेहतर परिणाम मिलेंगे। उत्तराखंड में तीन सौ से ज्यादा वास स्थल चिन्हित किये गए हैं। 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

मुर्शिदाबाद हिंसा की पीड़िताएं

मुर्शिदाबाद: हिंदुओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया, TMC नेता थे शामिल, दंगाइयों ने काटा पानी कनेक्शन ताकि घर में आग न बुझे

सुप्रीम कोर्ट

जज बनने के लिए तीन वर्ष की वकालत जरूरी, सुप्रीम कोर्ट का फैसला

शिक्षा के साथ संस्कार से होगा मानव का समग्र विकास : सुरेश सोनी

अली खान महमूदाबाद

अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को भेजा गया जेल

भारतीय ज्ञान परंपरा में मास और ऋतुचक्र : हमारी संस्कृति, हमारी पहचान

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (दाएं) ने बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस को संभवत: उनका कद याद दिलाया

मैक्रों से अलग से बैठक की यूनुस की मंशा पर फिरा पानी, France के राष्ट्रपति ने नहीं दिया मिलने का वक्त

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

मुर्शिदाबाद हिंसा की पीड़िताएं

मुर्शिदाबाद: हिंदुओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया, TMC नेता थे शामिल, दंगाइयों ने काटा पानी कनेक्शन ताकि घर में आग न बुझे

सुप्रीम कोर्ट

जज बनने के लिए तीन वर्ष की वकालत जरूरी, सुप्रीम कोर्ट का फैसला

शिक्षा के साथ संस्कार से होगा मानव का समग्र विकास : सुरेश सोनी

अली खान महमूदाबाद

अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को भेजा गया जेल

भारतीय ज्ञान परंपरा में मास और ऋतुचक्र : हमारी संस्कृति, हमारी पहचान

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (दाएं) ने बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस को संभवत: उनका कद याद दिलाया

मैक्रों से अलग से बैठक की यूनुस की मंशा पर फिरा पानी, France के राष्ट्रपति ने नहीं दिया मिलने का वक्त

नई दिल्ली : SSB ने 27 उग्रवादी किए ढेर, 184 घुसपैठिए भी गिरफ्तार

क्या ट्रांस-टोडलर्स हो सकते हैं? कितना घातक है यह शब्द?

1-2 बार नहीं 100 बार पकड़ा गया पाकिस्तान : BSF ने 3 घुसपैठिए किए ढेर, घातक हथियार बरामद

भारतीय नौसेना के समुद्री बेड़े में शामिल किये जाएंगे ‘प्राचीन सिले हुए जहाज’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies