पंजाब लोक कांग्रेस ने कांग्रेस पर हमला बोल दिया है। पार्टी के प्रवक्ता प्रीतपाल सिंह बलियावाल ने ट्वीट किया, “@INCPunjab के उम्मीदवार और उनके परिवार के सदस्य राजस्थान में क्यों हैं! क्या बचाव शुरू हो गया है! उलटी गिनती शुरू है ! पंजाब चुनाव2022”
प्रीतपाल सिंह बलियावाल ने कहा कि कांग्रेस के लगभग 75 उम्मीदवार राजस्थान जा रहे हैं। पार्टी ने उनके लिए 3 मार्च, 2022 से विभिन्न स्थानों- जयपुर, जैसलमेर, जोधपुर आदि में रिसॉर्ट, होटल बुक किए हैं। कुछ उम्मीदवार आज पहुंच चुके हैं और कुछ के आज शाम और कल सुबह तक पहुंचने का कार्यक्रम है।
हालांकि कांग्रेस की ओर से इसका खंडन किया गया है। लेकिन पार्टी के शीर्ष सूत्र भी इस तथ्य को मान रहे हैं कि उम्मीदवार पंजाब छोड़ चुके है। पंजाब में भले ही कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सरकार बनाने का दावा कर रही हैं, लेकिन खुद इस बात को लेकर निश्चित नहीं हैं। इसलिए कांग्रेस की कोशिश है कि जो उम्मीदवार जीत हासिल कर सकते हैं, कम से कम उन्हेें संभाला तो जाए। इसी सोच के चलते उन्हें पंजाब से हटा कर राजस्थान शिफ्ट किया गया है। पंजाब की राजनीति पर नजर रखने वालों का मानना है कि इस बार पंजाब में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल रहा है। सत्ता की कुर्सी के लिए विधायकों में सेंध लगाने की आशंका है।
जीत के अंतर के हिसाब से चार श्रेणी में बांटे उम्मीदवार
कांग्रेस ने उम्मीदवारों को उनकी जीत के अंतर के अनुसार ए, बी, सी, डी श्रेणी में बांट दिया है। जिन उम्मीदवारों के बारे में तय है कि वह हार रहे हैं, उन्हें राजस्थान की लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है। कुछ उम्मीदवारों ने एक फोटो शेयर की है, जिसमें वह सालासर धाम में मत्था टेक रहे हैं।पार्टी कम से कम 22 उम्मीदवारों को लेकर खासी संजीदा है। इन्हें ए श्रेणी में रखा गया है। इसमें से 18 की तो जीतने की भी काफी ज्यादा संभावना है। बी श्रेणी में वैसे उम्मीदवार हैं, जो जीत सकते हैं। तीसरी श्रेणी में महत्वपूर्ण उम्मीदवार और चौथी में वैसे उम्मीदवार हैं, जो हार रहे हैं।
तो क्या कांग्रेस मान बैठी पंजाब में हंग असेंबली के आसार हैं? पंजाब में इस बार का चुनाव पहली बार चार और पांच कोणीय मुकाबला हुआ है। इस वजह से यह माना जा रहा है कि 53 साल बाद पंजाब में हंग असेंबली के आसार बन रहे हैं। कांग्रेस ने एक सर्वे कराया। इसमें भी माना गया कि किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल रहा है। इसी तरह का एक सर्वे अकाली दल की ओर से भी कराया गया है। इसमें भी जिक्र है कि कोई पार्टी सत्ता की कुर्सी तक नहीं पहुंच रही। इसलिए कांग्रेस चाहती है कि यदि इस तरह की स्थिति बनती है तो पार्टी के उम्मीदवार जो जीत गए, टूट न पाएं। पार्टी मान कर चल रही है कि उसके 10 से 12 विधायक टूट सकते हैं।
कांग्रेस का डर यूं ही नहीं है
पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की स्थिति यह है कि उन्हें न तो अकाली दल का समर्थन मिल सकता है, न ही भाजपा का। जानकारों तो यहां तक कहना है कि कांग्रेस और आप सरकार बनाने के लिए एक-दूसरे का साथ भी नहीं दे सकते। इस स्थिति में शिरोमणि अकाली दल 35 से अधिक सीटें लेता है और पंजाब लोक कांग्रेस, भाजपा और शिअद (ढींडसा ) को 15 सीटें भी मिलती हैं तो भी उन्हें किसी दूसरी पार्टी में सेंध लगानी पड़ेगी, क्योंकि इसके बिना बहुमत का आंकड़ा हासिल नहीं हो सकता। टूट का खतरा कांग्रेस को सबसे ज्यादा है। इसलिए पार्टी डर रही है।
केंद्रीय नेतृत्व ने संभाली कमान
बताया जा रहा है कि 22 उम्मीदवार जैसलमेर में ठहराए गए हैं। आठ को जोधपुर के में ठहराया गया है। योजना यह है कि मतगणना के बाद भी उम्मीदवारों को वहां रखा जाए, जिससे किसी भी तरह की टूट से बचा जा सके। इसकी कमान पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने संभाल रखी है। पंजाब में दिक्कत यह है कि पार्टी का कोई भी नेता इस स्थिति को संभालने में सक्षम नहीं है। इसलिए भी केंद्रीय नेतृत्व ने हस्तक्षेप किया है। खासतौर पर जब से पार्टी प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू एक तरह से निष्क्रिय से हो गए हैं।
कैप्टन लगा सकते हैं सेंध
पार्टी को सबसे ज्यादा डर कैप्टन अमरिदर सिंह से लग रहा है। क्योंकि ज्यादातर उम्मीदवार कैप्टन के किसी ने किसी तरह से प्रभाव में हैं। इसका इस्तेमाल कैप्टन कांग्रेस में टूट कराने के लिए कर सकते हैं। पार्टी के रणनीतिकार यह भी मान कर चल रहे हैं कि अकाली-भाजपा गठबंधन सत्ता के लिए जादुई आंकड़ा पाने के लिए कोई भी दांव आजमा सकते हैं। जिस तरह से कांग्रेस चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह के बीच विवाद में फंसी हुई है, इससे भी ज्यादातर उम्मीदवार नाराज बताए जा रहे हैं। कांग्रेस के भीतर इस बार विधानसभा चुनाव में खींचतान भी व्यापक स्तर पर रही है। यह भी एक कारण है कि पार्टी में टूट हो सकती है। ज्यादातर विधायक यह मान रहे हैं कि पार्टी में जो हालात बन गए हैं, इससे उन्हें आने वाले समय में दिक्कत आ सकती है। यह भी एक कारण है सत्ता में हिस्सेदारी को लेकर उम्मीदवार टूट सकते हैं।
भाजपा की सक्रियता से डरी हुई है कांग्रेस
जिस तरह से भाजपा ने पंजाब में जोरदार वापसी की है। इससे कांग्रेस के भीतर घबराहट है। भाजपा भी पंजाब में अब बड़ी भूमिका निभाना चाह रही है। इसकी तैयारी इस बार के विधानसभा चुनाव में पार्टी की ओर से हो चुकी है। भाजपा को लगता है कि थोड़ी तोड़फोड़ से प्रदेश में गैर कांग्रेसी सरकार बन सकती है तो यह प्रयोग यहां किया जा सकता है। यह भी एक बड़ा डर कांग्रेस को भीतर ही भीतर सता रहा है।
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