रूस के यूक्रेन पर जारी हमले के बीच एक कड़ा कदम उठाते हुए अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने रूस को हाशिए पर लाने का फैसला किया है। समिति ने 28 फरवरी को एक सख्त फैसला करते हुए सभी खेल निकायों से अपील की है कि रूस के खिलाड़ियों और अधिकारियों को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं से बाहर रखा जाए।
आईओसी का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं की एकजुटता को बचाने तथा सभी खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए यह करना जरूरी हो गया है। समिति की इस अपील के बाद विश्व फुटबॉल के सबसे बड़े संगठन 'फीफा' संभवत: रूस को आगामी 24 मार्च को होने वाले विश्व कप योग्यता प्रतियोगिता के मैच से बाहर कर दे। इसमें शामिल होने वाले देश पोलैंड ने तो रूस से पहले से तय मैच खेलने से ही मना कर दिया था।
ओलंपिक आयोजित करतने वाली इस समिति की अपील रूस के साथ ही उस बेलारूस देश के खिलाड़ियों तथा अधिकारियों पर भी लागू होगी जो यूक्रेन पर रूस के हमले का समर्थन करता है। आईओसी का कहना है कि उसने बहुत सोचने के बाद दुखी मन से यह कड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया है। उसका कहना है कि इस लड़ाई की वजह से यूक्रेन के खेलों पर कहीं ज्यादा असर पड़ेगा, रूस तथा बेलारूस के खिलाड़ियों पर पड़ने वाले असर के मुकाबले और यह कहीं ज्यादा गंभीर होगा।
यूरोप की अनेक खेल संस्थाएं रूस के प्रति अपना विरोध पहले ही दर्ज करा चुकी हैं। इन संस्थाओं ने रूस की टीम को अपने यहां बुलाने या उनके विरुद्ध कोई मैच खेलने से साफ मना कर दिया है। फिनलैंड की तरफ से अपील की गई है कि रूस की आइस हॉकी टीम को पुरुषों की विश्व प्रतियोगिता में हिस्सा लेने से रोकना चाहिए।
हालांकि आईओसी ने रूस और बेलारूस पर पूरी तरह पाबंदी नहीं लगाई है। उसका कहना है कि जहां संगठन अथवा कानूनी वजहों से इतने कम वक्त में खिलाड़ियों तथा अधिकारियों को बाहर करना संभव नहीं है वहां रूस तथा बेलारूस के खिलाड़ियों को तटस्थ खिलाड़ियों के रूप में भाग लेना चाहिए। इतना ही नहीं, वे खिलाड़ी अपने राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रगान अथवा प्रतीक चिन्हों का उपयोग नहीं कर पाएंगे। बता दें कि जल्दी होने जा रहे खेलों में बीजिंग में होने जा रहे आगामी विंटर पैरालंपिक खेल भी सम्मिलित हैं।
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को से ‘ओलंपिक आर्डर’ भी वापस ले लिया है जो उन्हें 2011 में दिया गया था। इतना ही नहीं, रूस के जिन दूसरे अधिकारियों को यह सम्मान दिया गया था, उनसे भी ये वापस लिया जा चुका है।
उल्लेखनीय है कि यूरोप की अनेक खेल संस्थाएं रूस के प्रति अपना विरोध पहले ही दर्ज करा चुकी हैं। इन संस्थाओं ने रूस की टीम को अपने यहां बुलाने या उनके विरुद्ध कोई मैच खेलने से साफ मना कर दिया है। फिनलैंड की तरफ से अपील की गई है कि रूस की आइस हॉकी टीम को पुरुषों की विश्व प्रतियोगिता में हिस्सा लेने से रोकना चाहिए। फिनलैंड में यह प्रतियोगिता इसी साल मई में होनी है।
उधर स्विट्जरलैंड के फुटबॉल महासंघ का भी कहना है कि उनकी महिला टीम आगामी जुलाई में यूरोपीय चैंपियनशिप में रूस में खेलने नहीं जाएगी। जर्मन फुटबॉल क्लब की तरफ से कहा गया है कि क्लब ने रूस की सरकार के नियंत्रण वाली ऊर्जा कंपनी गाजप्रोम से लंबे समय से बना नाता तोड़ने का फैसला लिया है। इधर स्वीडन और चेक गणराज्य का भी कहना है कि वे भी रूस के विरुद्ध अपनी टीमें मैदान में नहीं उतारेंगे।
टिप्पणियाँ