यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की की भावुक अपील से पिघले एक बहुत पैसे वाले जापानी ने रूस के बमों, गोलों से हताहत हुए यूक्रेनियों के लिए करोड़ों रुपए की राशि दानकर यूक्रेनियों की वाहवाही लूट ली है। ये जापानी कारोबारी हैं हिरोशी मिकितानी। वे जेलेंस्की से 2019 में मिलने के बाद यूक्रेन में दिलचस्पी लेने लगे थे। मिकितानी ने यूक्रेन पर रूस के हमले को लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ी चुनौती बताते हुए यूक्रेन की सलामती की प्रार्थना की है।
उल्लेखनीय है कि इस समय रूस यूक्रेन पर जबरदस्त बमबारी कर रहा है। ताजा समाचारों के अनुसार, रूसी सेना यूक्रेन के अनेक शहरों में लगातार मिसाइलें दाग रही है। सांसत में फंसा यूक्रेन दुनिया से मदद मांग रहा है। नि:संदेह वह खुद को अकेला भी महसूस कर रहा है। राष्ट्रपति जेलेंस्की की ये भावुक अपील सुनकर जापान के अरबपति कारोबारी हिरोशी मिकितानी से न रहा गया। उन्होंने 27 फरवरी को यह कहते हुए 8.7 मिलियन डॉलर (करीब 65 करोड़ रुपये) देने की घोषणा की है कि रूस का यूक्रेन पर आक्रमण लोकतंत्र के लिए चुनौती है।
अरबपति मिकितानी ने बताया कि वे 2019 में कीव गए थे और वहां तब उनकी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से भेंट हुई थी। हिरोशी मिकितानी ई-कॉमर्स की नामी कंपनी राकुटेन के मालिक हैं। करोड़ों रुपए दान करने के साथ ही उन्होंने एक दर्दभरा पत्र भी लिखा है यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की को। इसमें वे कहते हैं कि वे 'यूक्रेन में हिंसा के शिकार हुए लोगों की सहायतार्थ मानवीय गतिविधियों' के लिए 8.7 मिलियन डॉलर दान दे रहे हैं। वे मानसिक तौर पर यूक्रेन के लोगों के साथ हैं। उनका कहना है कि एक शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक यूक्रेन को अन्यायपूर्ण ताकत द्वारा मसला जाना लोकतंत्र के लिए चुनौती है।
मिकितानी का मानना है कि रूस तथा यूक्रेन के बीच चल रहे तनाव को शांति से सुलझाया जा सकता है। इससे यूक्रेन के लोगों को जल्दी ही राहत नसीब हो सकती है। उल्लेखनीय है कि दुनिया के तमाम देशों और बड़ी—बड़ी सरकारी व गैर सरकारी कंपनियों ने यूक्रेन की तरफदारी करते हुए रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। लेकिन रूस खुद को इस सबसे बेअसर दिखा रहा है और यूक्रेन को रौंदने के अपने सैन्य अभियान में जुटा हुआ है।
मिकितानी का मानना है कि रूस तथा यूक्रेन के बीच चल रहे तनाव को शांति से सुलझाया जा सकता है। इससे यूक्रेन के लोगों को जल्दी ही राहत नसीब हो सकती है। उल्लेखनीय है कि दुनिया के तमाम देशों और बड़ी—बड़ी सरकारी व गैर सरकारी कंपनियों ने यूक्रेन की तरफदारी करते हुए रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। लेकिन रूस खुद को इस सबसे बेअसर दिखा रहा है और यूक्रेन को रौंदने के अपने सैन्य अभियान में जुटा हुआ है।
जापान की सरकार भी अपनी तरफ से रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा चुकी है। इन पाबंदियों में संपत्ति को फ्रीज करने से लेकर रूस की सेना से जुड़े अनेक संगठनों को सेमीकंडक्टर आदि देने पर रोक भी शामिल है। अब तक के आंकड़े बताते हैं कि दोनों पक्षों के सैकड़ों सैनिक इस युद्ध की भेंट चढ़ चुके हैं। बड़ी संख्या में यूक्रेनी नागरिक हताहत हैं और यूक्रेनियों की भी एक बड़ी संख्या है जो हाथों में हथियार लेकर मैदान में आ डटी है।
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