किसी समय नक्सलवाड़ी आतंक और वर्तमान में नक्सली किसान यूनियनों की सक्रियता के लिए कुख्यात रहे बठिण्डा में सोमवार को खालिस्तान के समर्थन में रैली निकली। इस रैली की वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई। रैली में शामिल लोग केवल जहरीले भड़काऊ नारे लगा रहे थे और इसके पीछे का कारण स्पष्ट नहीं हो पा रहा था परन्तु प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि यह रैली लाल किला अपमान प्रकरण के आरोपी दीप सिद्धू की मौत को लेकर निकाली गई थी। बता दें कि दीप सिद्धू की कुछ दिन पहले ही सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। उसके अन्तिम संस्कार के समय भी लुधियाना में इसी तरह के विषैले नारे लगे थे।किसान आन्दोलन के दौरान चर्चा में आए दीप सिद्धू के खालिस्तानी विचारधारा से पीडि़त होने की बात किसी से छिपी नहीं है। एक टीवी साक्षात्कार में भी वो दुर्दांत आतंकवादी जरनैल सिंह भिण्डरांवाला को आतंकी न बता कर योद्धा बता चुका था और खुद भी एक संगठन बना कर पंजाब पर अत्याचार, पंजाब की लूट, पंजाब से भेदभाव आदि वैसी ही बातें करता था जैसा कि किसी समय भिण्डरांवाला करता था।
That’s Bathinda, Punjab ? pic.twitter.com/O7quFfbjtw
— Flt Lt Anoop Verma (Retd.) ?? (@FltLtAnoopVerma) February 22, 2022
दीप सिद्धू का जन्म पंजाब के मुक्तसर में हुआ था और उसने स्कूली शिक्षा के बाद कानून की पढ़ाई की। इसके बाद उसने मॉडलिंग की ओर रुख किया और अपने नाम कई अवॉर्ड जीते। इसके बाद उसने फिल्मों में काम करना शुरू किया। उसकी पहली फिल्म 2015 में रिलीज हुई थी, जिसका नाम रमता जोगी था। इसके बाद वह लगातार पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय रहा और अपने दमदार लुक्स और एक्टिंग के दम पर यूथ आइकॉन बन गया। पंजाब के युवाओं को फिल्मों में उनका गैंगस्टर रोल पसन्द आया, जिससे पूरे राज्य में उसकी जबरदस्त फैन फॉलोइंग थी।
दिल्ली की सीमा पर चले पंजाब, हरियाणा व पश्चिमी यूपी के किसानों के आन्दोलन ने दीप सिद्धू को बड़ा प्लेटफार्म उपलब्ध करवाया। 26 जनवरी 2021 को गणतंत्र दिवस के मौके पर जब कथित किसान दिल्ली पहुंचे तो ट्रैक्टर रैली हिंसक हो गई। बाद में इस पूरे मामले में दीप सिद्धू का नाम सामने आया। जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने उसे इस मामले में गिरफ्तार भी किया था। इसी 15 फरवरी को उसका सड़क दुर्घटना में देहान्त हो गया।
सिद्धू धीरे-धीरे पंजाब में खालिस्तानी पोस्टर ब्वॉय बनता दिखाई दे रहा था। पंजाब के ग्रामीण इलाकों के युवा उसकी बातों को गम्भीरता से लेते दिखते थे और वह उन्हें भटकाने का काम करता था। गत दिनों बठिंडा में हुई खालिस्तान समर्थक रैली इसी का परिणाम बताई जा रही है।
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