चंडीगढ़ प्रशासन की लापरवाही से लाखों लोग 40 घंटे से अधिक समय तक अंधेरे में रहे। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की फटकार के बाद चंडीगढ़ प्रशासन सतर्क हुआ और सेना की मदद से बिजली आपूर्ति बहाल करवाई। साथ ही हड़ताली कर्मचारियों को मांगों पर कार्रवाई का भरोसा दिया। बुधवार शाम शहर में स्थिति सामान्य हुई।
चंडीगढ़ के बिजली कर्मचारी सोमवार रात 11 बजे बिजली आपूर्ति बंद कर हड़ताल पर चले गए थे। मंगलवार को यहां दिनभर सेवाएं प्रभावित हुईं। चंडीगढ़ के लोग प्रशासन के खिलाफ सड़कों पर उतर आए। मंगलवार देररात प्रशासन ने एस्मा लागू किया। कर्मचारी नहीं माने। देर रात पुलिस ने कर्मचारी नेता सुभाष लांबा को समर्थकों समेत हिरासत में लिया।
इसके बावजूद यूटी पॉवरमैन यूनियन ने हड़ताल समाप्त नहीं की और लोग दूसरे दिन बुधवार को भी परेशान हुए। चंडीगढ़ प्रशासन ने बिजली आपूर्ति बहाल करने के लिए हरियाणा और पंजाब के बिजली कर्मियों से सहयोग मांगा लेकिन उन्होंने भी हड़ताल का समर्थन करते हुए मदद से इनकार कर दिया।
इस बीच बुधवार सुबह चंडीगढ़ के चीफ इंजीनियर हाई कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने अदालत से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दोपहर दो बजे तक का समय मांगा। हाई कोर्ट ने प्रशासन को फटकार लगाते हुए कहा कि उन्हें जब इस हड़ताल का पता था तो पहले से प्रबंध क्यों नहीं किए गए। हाई कोर्ट ने कहा कि जो लोग समय पर बिल भरते हैं और सभी नियमों का पालन करते हैं, उन्हें बिजली देना जरूरी है। प्रशासन और कर्मचारियों के विवाद का खामियाजा आम नागरिक क्यों भुगत रहे हैं।
हाई कोर्ट की कठोर टिप्पणी के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने बुधवार को होने वाले सभी कार्यक्रम रद्द करके केंद्र का सहयोग मांगा। इसके बाद सेना इंजीनियरिंग सर्विस की टीमें चंडीगढ़ प्रशासन की मदद को आगे आईं और बिजली आपूर्ति बहाल की। प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक के बाद कर्मचारी भी हड़ताल वापस लेने को राजी हो गए।
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