पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर डेरा सच्चा सौदा ने अब तक किसी भी दल को समर्थन देने की घोषणा नहीं की है। समर्थन किसे देना है, इस पर डेरे ने चुप्पी साध रखी है। डेरा भले ही खुलकर कुछ नहीं बोले, लेकिन अंदरखाने उसने फैसला ले लिया है। इस बार डेरा किसी किसी पार्टी को स्पष्ट समर्थन न देकर अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग उम्मीदवारों को समर्थन देने का फैसला किया है।
डेरा से जुड़े पदाधिकारी यह भी नहीं बता रहे हैं कि समर्थन किस आधार पर और किस पार्टी या उम्मीदवार को दिया जाएगा। हालांकि सूत्रों का कहना है कि फैसला ले लिया गया है, डेरा समर्थकों के जरिये आगे पहुंचाया जा रहा है। इस बार किसी एक पार्टी को स्पष्ट समर्थन नहीं देने के पीछे कई तर्क दिए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि किसी एक पार्टी को समर्थन देने से बाकी सभी पार्टियां डेरा विरोधी हो जाती हैं। डेरा की कोशिश है कि हर पार्टी में उनके समर्थक होने चाहिए, ताकि किसी मुश्किल वक्त में उनकी मदद ली सके। साथ ही, डेरा अब अपनी छवि ऐसी बनाना चाहता है कि उसके लिए सभी राजनीति दल बराबर हैं।
भाजपा के प्रति नरम रुख
डेरा का भाजपा के प्रति नरम रुख है। लेकिन दिक्कत यह है कि भाजपा कुछ सीटों पर ही मजबूत है। इसलिए डेरा का राजनीतिक विंग सोच रहा है कि क्यों न समर्थन देने में इस बार उम्मीदवारों का ध्यान रखा जाए। इस कम में कुछ सीट पर डेरा आम आदमी पार्टी को भी समर्थन दे सकता है। इस बात को लेकर भी चर्चा चल रही है। कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में अकाली दल और कुछ जगह भाजपा को राजनीतिक समर्थन देने का फैसला लिया गया है, जबकि कई निर्वाचन क्षेत्रों में अपने अनुयायियों को आआपा को भी समर्थन देने के लिए कहा गया है।
लेकिन कांग्रेस से दूरी बनाएगा
यह भी तय है कि डेरा की ओर से कांग्रेस को समर्थन देने से बचने की कोशिश की जा रही है। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, जो पिछले बुधवार को डेरा सिरसा प्रमुख के समधी और तलवंडी साबो से निर्दलीय उम्मीदवार हरमिंदर सिंह जस्सी के साथ बैठक की थी। लेकिन दोनो के बीच कोई बात नहीं बनी। बता दें कि कांग्रेस ने इस बार जस्सी को टिकट नहीं दिया है और वे निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। बेअदबी मामले में कांग्रेस ने डेरे की सबसे ज्यादा आलोचना की है। खासतौर पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू बेअदबी मामले में डेरा पर आक्रामक रहे हैं। इस वजह से डेरा समर्थकों ने कांग्रेस का समर्थन नहीं करने का मन बनाया है।
मालवा की सीटों पर प्रभाव
मालवा क्षेत्र के 69 विधानसभा क्षेत्रों में से, जिन्होंने पंजाब की सत्ता में निर्णायक भूमिका निभाई है, उनमें 40 से 43 निर्वाचन क्षेत्र डेरा सच्चा सौदा से प्रभावित हैं। बाकी विधानसभा क्षेत्र में भी डेरा का प्रभाव है। कुछ जगह जब डेरा के प्रमुख समर्थकों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि हालांकि अभी कोई अंतिम आदेश नहीं आया है। फिर भी ऐसा माना जा रहा है कि इस बार किसी एक पार्टी को पूरा समर्थन नहीं दिया जाएगा।
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