पाकिस्तान भारत में इन दिनों सेकुलर तत्वों द्वारा एक एजेंडे के तहत भड़काए जा रहे हिजाब विवाद में बेवजह कूदने से बाज नहीं आया। उसने भारत को ही सेक्युलरवाद का ज्ञान बांटने की शरारत की। लेकिन पड़ोसी इस्लामी देश की तेज—तर्रार महिला सांसद ने ही इमरान सरकार को आईना दिखा दिया है।
कौन नहीं जानता कि इस्लामी पाकिस्तान में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की जो बदतर स्थिति है वैसी शायद ही किसी और देश में होगी। वहां पिछले दिनों सरेआम महिलाओं को निर्वस्त्र करने की घटनाएं हुईं, 400 लोगों की उन्मादी भीड़ द्वारा एक लड़की को 'एक मनोरंजक वस्तु' की तरह लेते हुए उसके साथ खुलेआम अश्लील हरकतें की गईं, राह चलती लड़कियों की इज्जत उछाली गई। वह पाकिस्तान 'हिजाब' की आड़ में खुद को 'हया' का रहनुमा दिखाने की हास्यास्पद कोशिश करता है!
लेकिन पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सांसद शैरी रहमान ने इमरान सरकार को आड़े हाथों लेकर पहले अपने गिरेबां में झांकने की सलाह दी। शैरी ने पाकिस्तान सरकार तथा उसके मंत्री पर सवाल उठाते हुए कहा कि हिजाब पर पाकिस्तान भारत को अक्लमंदी दिखा रहा है, लेकिन यहां इस देश में ही महिलाओं के अधिकार उनसे छीने जा रहे हैं। यह बात शैरी ने अपने ट्वीट में कही है।
सांसद शैरी रहमान ने बड़ा सही सवाल उठाया है। वे कहती हैं, एक तरफ तो हम हिजाब को लेकर भारत के मामलों में दखल देते हैं, लेकिन अपने यहां महिलाओं को रैली निकालने पर रोक लगाने की बातें करते हैं।
शैरी ने पाकिस्तान सरकार तथा उसके मंत्री पर सवाल उठाते हुए कहा कि हिजाब पर पाकिस्तान भारत को अक्लमंदी दिखा रहा है, लेकिन यहां इस देश में ही महिलाओं के अधिकार उनसे छीने जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि शैरी का इशारा केन्द्रीय मंत्री नूरुल हक कादरी के उस आह्वान की तरफ था, जो उन्होंने 8 मार्च को महिला दिवस को 'हिजाब दिवस' के तौर पर मनाने का लेकर किया था। कादरी ने इस दिन होने वाले 'औरत मार्च' को रोकने की बात भी की थी। कादरी पाकिस्तान के मजहबी और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री हैं।
इस बात से नाराज होकर शैरी रहमान ने लिखा कि, केंद्रीय मंत्री का 8 मार्च को महिलाओं के मार्च पर रोक लगाने की बात करना चिंताजनक है। महिलाओं के मार्च पर प्रतिबंध लगाकर वे क्या सिद्ध करना चाहते हैं। शैरी ने आगे कहा कि महिलाओं को 'हिजाब दिवस' मनाने से कोई नहीं रोक रहा। लेकिन एक ओर हम हिजाब पर महिलाओं के अधिकार की बात करते हैं, और भारत की आलोचना करते हैं, वहीं दूसरी ओर अपने देश में 'औरत मार्च' का विरोध करते हैं। यह महिलाओं की आजादी तथा हकों का हनन करना है।
सांसद कहती हैं कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर तबके की महिला की अगुआई करता है। इसका उद्देश्य समाज में लिंगाधारित रूढ़ियों को खत्म करना है, महिलाओं में जागरूकता पैदा करना है। इस पर रोक लगाने का मतलब है उनके हकों को छीनना।
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
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