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फ्रांस में भी नहीं चलेगा हिजाब, अब खेलों में हिजाब पर रोक की तैयारी

by WEB DESK
Feb 18, 2022, 05:34 am IST
in विश्व, दिल्ली
प्रतीकात्मक चित्र

प्रतीकात्मक चित्र

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सार्वजनिक स्थानों पर मजहबी प्रतीकों को पहनने को लेकर फ्रांस लंबे वक्त से एक बहस का सामना करता आ रहा है। यह देश पंथनिरपेक्ष मूल्यों को मानने वाला देश है और यहां यूरोप में किसी अन्य देश के मुकाबले सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी बसी है

फ्रांस में इस्लामी कट्टरता के विरुद्ध एक के बाद एक कड़े फैसले लिए जा रहे हैं। ये वही देश है जिसने इस्लामी जिहादी हरकतों का निर्मम दंश झेला है और हर बार उसका कड़ा प्रतिकार किया है। भारत में कुछ सेकुलरों ने एक एजेंडे के तहत जिस तरह से समाज को बांटने के लिए हिजाबी आग लगाई है, उसे दे​खकर वहां भी हिजाब के विरुद्ध नए सिरे से माहौल बना है। 

फ्रांस में अब खेलों से भी हिजाब को बाहर करने की मांग जोर पकड़ती जा रही है। उल्लेखनीय है कि फ्रांस में राष्ट्रपति पद के चुनाव होने जा रहे हैं, इसलिए यह मुद्दा प्रमुख तौर पर उभरा है। इस पर वहां एक विधेयक पारित होने की कगार पर है। 

दरअसल, सार्वजनिक स्थानों पर मजहबी प्रतीकों को पहनने को लेकर फ्रांस लंबे वक्त से एक बहस का सामना करता आ रहा है। यह देश पंथनिरपेक्ष मूल्यों को मानने वाला देश है और यहां ही यूरोप में किसी अन्य देश के मुकाबले सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी बसी है। 

 

महत्वपूर्ण बात है कि फ्रांस के समाज में पहचान और इस्लाम की जगह को लेकर चर्चा शुरू हुई है। वहां आगामी अप्रैल महीने में राष्ट्रपति पद के चुनाव होने हैं और ये ऐसा मुद्दा है कि जो राष्ट्रपति के चुनाव पर असर डालने की क्षमता रखता है। 
 

 

इन दिनों फ्रांस में खेल प्रतियोगिताओं में हिजाब पहनने पर रोक लगाने की बात पर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो चली है। हिजाब पर रोक लगाने से जुड़े विधेयक का खाका तैयार हो चुका है। हालांकि फ्रांस की सीनेट ने इस पर मतदान से मना किया है, लेकिन अब इसे वहां की नेशनल असेंबली में पारित कराया जाना तय है। 

इस विधेयक में लिखा गया है कि फ्रांस में तमाम खेल संघ जो भी प्रतियोगिताएं या कार्यक्रम आयोजित करेंगे उनमें मजहबी प्रतीकों को पहनना मना है। फिलहाल इस पहल का राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉ की सरकार तथा उसके सहयोगी दलों की ओर से साथ नहीं दिया गया है। 

यह महत्वपूर्ण बात है कि फ्रांस के समाज में पहचान और इस्लाम की जगह को लेकर चर्चा शुरू हुई है। वहां आगामी अप्रैल महीने में राष्ट्रपति पद के चुनाव होने हैं और ये ऐसा मुद्दा है कि जो राष्ट्रपति के चुनाव पर असर डालने की क्षमता रखता है। 

इस पूरे मुद्दे पर टिपपणी करते हुए नागरिकता मामलों के मंत्री मार्लीन शियाप्पा का कहना है कि 'हमारा दुश्मन है कट्टरपंथी इस्लामवाद, न कि इस्लाम।' यहां बता दें कि 2024 में फ्रांस ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों का आयोजन करेगा। इसे ध्यान में रखते हुए दक्षिणपंथी माने जाने वाले सीनेटर स्टेफेन पीडनॉयर का कहना है कि ओलंपिक चार्टर राजनीतिक तथा मजहबी तटस्थता का हामी है।

हाल में पीडनॉयर ने ऊपरी सदन में कहा था कि 'हम पंथनिरपेक्षता से समझौता नहीं कर सकते। फ्रांस ओलंपिक आंदोलन को कमतर नहीं कर सकता।' ओलंपिक के चार्टर में लिखा है कि 'ओलंपिक के आयोजन की किसी भी जगह, स्थलों या अन्य इलाकों में किसी भी प्रकार के प्रदर्शन या राजनीतिक, मजहबी या नस्लीय प्रचार की अनुमति नहीं है।' 

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