कनाडा में उच्च शिक्षा के लिए गए भारत के करीब 2 हजार छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। ताजा समाचारों के अनुसार, जिन कॉलेजों में वे लाखों की फीस जमा करा चुके हैं, उन्होंने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है। कॉलेज में ताले लटकने से अब भारत से जाकर उनमें पढ़ रहे छात्र बेचैन हैं। ऐसे करीब 2 हजार छात्रों ने कनाडा की सरकार से मदद की गुहार की है।
कनाडा के जिन तीन कॉलेजों ने खुद को दिवालिया बताकर दरवाजे बंद कर लिए हैं वे कॉलेज हैं 'सीसीएसक्यू','एम' तथा 'सीडीई'। इनमें भारत से बड़ी बड़ी तादाद में छात्रों ने दाखिला लिया हुआ है। लेकिन अब वे चिंतित हैं। कॉलेज बस इतना ही कह रहे हैं कि वे कंगाल हो गए हैं, आगे पढ़ाने में लाचार हैं। ऐसे में निराश भारतीय छात्रों ने कनाडा की जस्टिन त्रूदो सरकार मदद की अपील करते हुए न्याय दिलाने की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि भारत के अनेक राज्यों के छात्र कनाडा के इन कॉलेजों में पढ़ने गए हुए हैं। ये छात्र लाखों रुपए की फीस भरकर सुनहरे भविष्य के सपने संजोए वहां पढ़ने गए थे। लेकिन अब उनका कॉलेज दिवालिया ठहरा दिया जाए, तो वे कहां जाएं! यह सवाल सिर्फ इन छात्रों को ही परेशान नहीं किए हुए है, बल्कि इधर भारत में उनके माता—पिता भी पसोपेश में हैं कि ऐसे में क्या किया जाए। पैसे तो गए ही, अब डिग्री भी मिलनी मुश्किल है।
पंजाब के लोंगोवाल से वहां पढ़ने गई मनप्रीत कौर का कहना है कि उसने एम कॉलेज में कम्प्यूटर विज्ञान में दाखिला लिया है जिसके लिए साल की 14 हजार डॉलर की फीस भरी है। वह पिछले साल अक्तूबर में कनाडा पढ़ने गई थी। लेकिन अभी तक पढ़ाई शुरू नहीं हो पाई थी। जनवरी के पहले हफ्ते में एक ईमेल भेजकर उसे बताया गया कि कॉलेज दिवालिया हो गया है।
इन छात्रों के साथ दिक्कत सिर्फ उनके कॉलेजों के दिवालिए होकर बंद होने को लेकर ही नहीं है, बल्कि अब नई समस्या वहां रहने को लेकर आन खड़ी हुई है। कॉलेजों के छात्रावास बंद होेने के कारण वे बाहर कहीं रहने को मजबूर हैं। कुछ छात्र दूसरे शहरों में अपने जानने वालों या दोस्तों के घर रहने चले गए हैं। तो अनेक ऐसे हैं जो दूसरे भारतीय परिवारों के साथ उनकी भलमनसाहत की वजह से टिके हुए हैं।
ये छात्र आएदिन रैलियां निकालकर सरकार का ध्यान खींचने की कोशिश कर रहे हैं। अभी 16 फरवरी को भी इन भारतीय छात्रों ने टोरंटो में ब्रेम्पटन इलाके में अपनी दिक्कतों की तरफ सबका ध्यान खींचने के लिए एक विशाल रैली की थी।
इधर भारत में रह रहे उनके परिवार भी उनके साथ हमदर्दी जताते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं। 17 फरवरी को यानी कल चंडीगढ़ में ऐसे कुछ छात्रों ने परिवारों के साथ प्रदर्शन किया है। इनकी एक ही मांग है कि इन्हें न्याय दिलाया जाए। कनाडा सरकार इस मामले में दखल दे। खुद को दिवालिया घोषित करने वाले कॉलेजों पर कार्रवाई हो। इनकी एक मांग यह भी है कि जिन छात्रों की पढ़ाई बीच में अटक गई है उन्हें दूसरे कॉलेजों में भर्ती किया जाए और पुराने कॉलेज में जमा कराई गई फीस में से उसकी भरपाई हो।
पंजाब के लोंगोवाल से वहां पढ़ने गई मनप्रीत कौर का कहना है कि उसने एम कॉलेज में कम्प्यूटर विज्ञान में दाखिला लिया है जिसके लिए साल की 14 हजार डॉलर की फीस भरी है। उसे उम्मीद तो है कि पढ़ाई फिर से शुरू होगी, पर कब, यह नहीं पता। वह पिछले साल अक्तूबर में कनाडा पढ़ने गई थी। लेकिन अभी तक पढ़ाई शुरू नहीं हो पाई थी। जनवरी के पहले हफ्ते में एक ईमेल भेजकर उसे बताया गया कि कॉलेज दिवालिया हो गया है।
उल्लेखनीय है कि एक मनप्रीत ही नहीं, सैकड़ों ऐसे छात्र हैं जो मोटी फीस भरने के बाद अपनी कक्षाएं शुरू होने की बाट देख रहे थे। लेकिन अब उनका कॉलेज खुद को दिवालिया बताकर कन्नी काट चुका है। इतना ही नहीं, लगभग 700 छात्र तो फीस भरने के बाद भारत में ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे थे। लेकिन अब कॉलेज पर ताला लटकने के बाद अब अपने आगे के भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
टिप्पणियाँ