नेपाल में पिछले कई दिनों से अमेरिका और चीन की तरफ झुकाव को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन में जारी रस्साकशी का निपटारा होता दिखाई दे रहा है। गठबंधन के कम्युनिस्ट दल चीन से आर्थिक मदद लेकर तानाशाह ड्रैगन के पाले में जाने का जोर डाल रहे थे, तो बाकी के दल अमेरिका की तरफ झुकते दिखते थे। इससे सरकार के कायम रहने पर भी संदेह बना हुआ था। लेकिन 16 फरवरी को आखिरकार प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने साफ कह दिया कि उन्होंने अमेरिकी संस्था मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (एमसीसी) से मदद लेने का मन पक्का कर लिया है।
उनके ऐसा कहने से विशेषज्ञ इस सवाल में उलझ गए हैं कि अब क्या गठबंधन आगे चल पाएगा? क्या इसका अर्थ यह है कि प्रधानमंत्री ने इस बारे में सत्तारूढ़ गठबंधन की घटक दो कम्युनिस्ट पार्टियों के नाराज होने का जोखिम मोल लेने की ठान ली है? चर्चा है कि पुष्प कमल दहल अथवा प्रचंड के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओइस्ट सेंटर) तथा माधव कुमार नेपाल के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूनिफाइड सोशलिस्ट) अपने रवैए पर सख्त रहती है, तो सत्तारूढ़ गठबंधन का बिखरना लगभग तय है।
प्रधानमंत्री देउबा ने स्पष्ट कहा है कि एमसीसी से 50 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद लेने हेतु जो समझौता हुआ है उसके संसदीय अनुमोदन की प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए वे संसद के निचले सदन के अध्यक्ष अग्नि प्रसाद सपकोटा से बात कर चुके हैं। देउबा नेपाली कांग्रेस के नेता है, जिसकी अगुआई में सत्तारूढ़ गठबंधन बना हुआ है। इसमें जुड़ी उपरोक्त दोनों कम्युनिस्ट पार्टियों ने भी खुलकर कहा है कि अमेरिका ये मदद दक्षिण एशिया में चीन का असर बढ़ने से रोकने की कोशिश के तहत कर रहा है इसलिए हमें इसे स्वीकारना नहीं चाहिए। दरअसल गत सप्ताह ही अमेरिका ने एक तरह से चेतावनी के लहजे में कह दिया था कि यदि नेपाल ने उसकी आर्थिक मदद नहीं ली, तो अमेरिका नेपाल के साथ अपने संबंधों को फिर से आंकेगा।
काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट है, नेपाली कांग्रेस में आम राय है कि एमसीसी से आर्थिक मदद की प्रक्रिया पूरी हो। पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व वित्त मंत्री राम शरण महत का कहना है कि एमसीसी समझौते का अनुमोदन न करना अमेरिका से विश्वासघात करना ही होगा। नेपाली कांग्रेस के महासचिव गगन थापा का कहना है कि नेपाली कांग्रेस समझौते के अनुमोदन के प्रति संकल्पबद्ध है। लेकिन माओइस्ट सेंटर और यूनिफाइड सोशलिस्ट पार्टी का क्या मत रहने वाला है, इसे लेकर संशय बना हुआ है।
देउबा ने गत 15 फरवरी को नेपाली कांग्रेस के सांसदों को संबोधित करते हुए विश्वास जताया था कि एमसीसी से हुए समझौते को पारित कराने में सभी दल साथ आएंगे। नेपाल के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भ गर्म थी कि सदन के अध्यक्ष सपकोटा इस अनुमोदन प्रस्ताव को सदन में प्रस्तुत होने से रोक सकते हैं। इसी संदर्भ में प्रधानमंत्री देउबा और सपकोटा की वार्ता को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
एमसीसी की तरफ से प्रस्ताव के अनुमोदन के लिए 28 फरवरी का दिन आखिरी दिन तय किया गया है। इसी बीच नेपाली कांग्रेस, माओइस्ट सेंटर तथा यूनिफाइड सोशलिस्ट पार्टी ने संसद में मुख्य न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा को बर्खास्त करने के लिए महाभियोग प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। हालांकि यूएमएल ने इसका विरोध किया है। लेकिन यूएमएल ने अभी तक यह नहीं बताया है कि एमसीसी वाले समझौते के अनुमोदन पर उसका क्या मत रहने वाला है।
अखबार काठमांडू पोस्ट में छपी एक रिपोर्ट पर गौर करें तो नेपाली कांग्रेस में आम राय है कि एमसीसी से आर्थिक मदद की प्रक्रिया पूरी हो। पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व वित्त मंत्री राम शरण महत का कहना है कि एमसीसी समझौते का अनुमोदन न करना अमेरिका से विश्वासघात करना ही होगा। नेपाली कांग्रेस के महासचिव गगन थापा का कहना है कि नेपाली कांग्रेस समझौते के अनुमोदन के प्रति संकल्पबद्ध है। लेकिन माओइस्ट सेंटर और यूनिफाइड सोशलिस्ट पार्टी का क्या मत रहने वाला है, इसे लेकर संशय बना हुआ है।
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