तालिबान ने नांगरहार में तैनात होने वाली अपनी फौजी टुकड़ी को 'पानीपत' नाम दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तालिबान की भारत को उकसाने की एक घटिया हरकत ही है। क्योंकि पानीपत की लड़ाई में अफगानी शासक अहमद शाह दुर्रानी और मराठाओं में टक्कर हुई थी जिसमें मराठा सेना को बहुत नुसान झेलना पड़ा था।
जहां एक ओर भारत अफगानिस्तान में मानवीय सहायता के तौर पर पाकिस्तान से लड़—झगड़कर दवाइयां, राशन आदि वहां भेज रहा है, जबकि अफगानिस्तान में कुर्सी पर बैठे तालिबान लड़ाके अपनी ओछी हरकत से भारत को बेवजह उकसावा दिलाना चाह रहे हैं। संभवत: अपनी एक सैन्य टुकड़ी का नाम 'पानीपत' रखने के पीछे उनकी यही सोच है। मीडिया में आई जानकारी के अनुसार, 'पानीपत' यूनिट को पूर्वी प्रांत नांगरहार में तैनात किया जाएगा।
अफगानिस्तान में इन दिनों लोगों के दिलों में भारत के प्रति दुर्भावना पैदा की जा रही है। ऐसी रिपोर्ट सामने आई हैं जिनके अनुसार, मुस्लिमों को अपने पक्ष में करने के लिए तालिबानी सरकार उन्हें अहमद शाह दुर्रानी से जुड़े किस्से सुनवाती है। मस्जिदों में पातीपत की लड़ाई के चर्चे किए जाते हैं। उस युद्ध के बारे में विस्तार से बताया जाता है।
अभी तक किसी भी देश से औपचारिक मान्यता मिलने की आस देख रही तालिबान सरकार ने अपनी फौजी यूनिट को पानीपत नाम इसलिए दिया है क्योंकि 1761 में पानीपत में हुई तीसरी लड़ाई में अफगानी शासक अहमद शाह दुर्रानी लड़ा था। इस लड़ाई में मराठा जीत नहीं पाए थे। इसलिए संभव है दुर्रानी को अफगानी तालिबान लड़ाके अपने हीरो की तरह देख रहे हैं। बहुत हद तक माना जा रहा है कि अफगानिस्तान इतिहास की इस घटना को अपने राजनीतिक नजरिए से देखते हुए भारत में उकसावा पैदा करना चाह रहा है। अफगानिस्तान के आमज न्यूज ने ट्वीट करके जानकारी दी कि 'पानीपत' यूनिट को उस पूर्वी प्रांत नांगरहार में तैनात किया जाएगा, जो पाकिस्तान की सीमा से सटा है।
कुछ अपुष्ट खबरों के अनुसार, अफगानिस्तान में इन दिनों लोगों के दिलों में भारत के प्रति दुर्भावना पैदा की जा रही है। ऐसी रिपोर्ट सामने आई हैं जिनके अनुसार, मुस्लिमों को अपने पक्ष में करने के लिए तालिबानी सरकार उन्हें अहमद शाह दुर्रानी से जुड़े किस्से सुनवाती है। मस्जिदों में पातीपत की लड़ाई के चर्चे किए जाते हैं। उस युद्ध के बारे में विस्तार से बताया जाता है।
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