संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पुलवामा हमले को याद करते हुए पाकिस्तान को स्पष्ट शब्दों —खरी सुनाई। भारत ने कहा कि कौन नहीं जानता कि मुम्बई और पुलवामा के जिहादी कहां से आए थे और उनके षड्यंत्रकारी कहां बैठे हैं।
वैश्विक आतंकवाद पर बोलते हुए भारतीय प्रतिनिधि ने पाकिस्तान को खुलकर दोषी ठहराते हुए उसकी जमकर भर्त्सना की। भारत का स्पष्ट कहना था कि हमें देखना होगा कि स्वयं को 'आतंकवाद से पीड़ित' बताने वाला देश विश्व बिरादरी को कहीं विषय से न भटकाए।
संयुक्त राष्ट्र की बैठक में पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए भारत के स्थायी मिशन में काउंसुलर राजेश परिहार ने वैश्विक आतंकवाद पर सख्त रवैया अपनाते हुए कहा कि दुनिया के तमाम देशों का आतंकवादी षड्यंत्रों को रचने वालों को जवाबदेह ठहराना होगा, उनके चेहरे से पर्दा हटाना होगा।
काउंसुलर परिहार ने अपने वक्तव्य में आगे कहा कि 2008 के मुंबई आतंकी हमले, 2016 के पठानकोट आतंकी हमले तथा 2019 के पुलवामा आतंकवादी हमले की भयावहता को दुनिया देख चुकी है। हम सब जानते हैं कि उन हमलों के षड्यंत्रकारी कहां से हैं। परिहार दक्षिण तथा दक्षिण-पूर्व एशिया के सदस्य देशों की मौजूदगी में आतंकवाद निरोधी समिति के कार्यकारी निदेशालय के कामों पर मुक्त चर्चा में भारत की तरफ से वक्तव्य प्रस्तुत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें उनके झूठ से पर्दा हटाना होगा और उन्हें उनकी हरकतों के लिए जवाबदेह ठहराना होगा।
गत कुछ सालों से संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश आतंकवादियों को लेकर सावधान करते आ रहे हैं कि उनकी पहुंच इंटरनेट, मोबाइल, सोशल मीडिया, 'एन्क्रिप्टेड' संदेश सेवाओं जैसी आधुनिक और आगे आ रही तकनीकी तक है। उनका इस्तेमाल नफरत का प्रसार करने, कट्टरपंथी प्रचार, भ्रामक विमर्श फैलाने सहित अन्य आतंकी गतिविधियों के लिए किया जाता है।
पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए परिहार ने कहा कि दुख की बात है कि उन जिहादी हमलों के पीड़ितों को आज तक न्याय नहीं मिला है। उन हमलों के षड्यंत्रकारियों, सूत्रधारों और उन्हें पैसा देने वालों को अभी भी राज्य का समर्थन मिल रहा है, उन्हें वहां पोसा जा रहा है।
काउंसुलर परिहार का कहना था कि आतंकवाद निरोधी समिति और इसका कार्यकारी निदेशालय तथा 'एनालिटिकल सपोर्ट एंड सैंक्शन मॉनिटरिंग टीम' अलकायदा, विशेष रूप से उनके सहयोगियों, लश्करे तोइबा तथा जैशे मोहम्मद के साथ ही मजहबी अल्पसंख्यकों के विरुद्ध जिहादी गुटों के अत्याचारों पर ध्यान देंगे।
गत कुछ सालों से संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश आतंकवादियों को लेकर सावधान करते आ रहे हैं कि उनकी पहुंच इंटरनेट, मोबाइल, सोशल मीडिया, 'एन्क्रिप्टेड' संदेश सेवाओं जैसी आधुनिक और आगे आ रही तकनीकी तक है। उनका इस्तेमाल नफरत का प्रसार करने, कट्टरपंथी प्रचार, भ्रामक विमर्श फैलाने सहित अन्य आतंकी गतिविधियों के लिए किया जाता है।
परिहार ने कहा कि कोविड-19 के संक्रमण काल में यह खतरा और ज्यादा हो गया है। दक्षिण एशिया क्षेत्र में आतंकवादी गुटों के आका भारत तथा इस क्षेत्र के अन्य देशों के विरुद्ध नफरत फैला रहे हैं। वे स्वयं को 'सेवा' से जुड़े गैर सरकारी संगठनों के नाते दिखा रहे हैं और पैसा जुटा रहे हैं।
टिप्पणियाँ