पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ही बलूच पाकिस्तान की सरकार और सेना द्वारा परेशान नहीं किए जा रहे हैं, देश के विश्वविद्यालयों में भी बलूच और पश्तून छात्रों को भेदभाव का शिकार बनाया जा रहा है। यहां पंजाब सूबे में गुजरात विश्वविद्यालय में ऐसे छात्रों को प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है। उनके साथ नस्लीय भेदभाव बरता जा रहा है। यह खबर छापी है बलूचिस्तान के प्रमुख समाचार पत्र बलूचिस्तान पोस्ट ने।
रिपोर्ट के अनुसार, बलूच छात्रों ने खुद बताया है कि पूरे परिसर में उन्हें हिकारत का सामना करना पड़ता है, उन्हें दमन सहना पड़ता है। और ऐसा सिर्फ गुजरात विश्वविद्यालय में ही नहीं, पंजाब सूबे के अन्य विश्वविद्यालयों में भी हो रहा है, बलूच और पश्तून छात्रों को बाकी छात्रों के मुकाबले कई तरह की दिक्कतों से गुजरना पड़ रहा है।
समाचार पत्र की रिपोर्ट बताती है कि परिसर में सादे कपड़े पहने कुछ अनजान लोग छात्रों को अपने पास बुलाकर उनके मोबाइल फोन, इंटरनेट खाते वगैरह की जांच करते हैं, बिना वजह बताए उनके घर वालों के बारे में जानकारी मांगते हैं। उल्लेखनीय है कि पंजाब के पंजगुर और नोश्की में सेना के मुख्यालय पर हुए बलोच लिबरेशन आर्मी के हमलों के बाद से बलूचिस्तान में लोगों के लापता होने के मामले बढ़ गए हैं।
विश्वविद्यालय का दफ्तर और दूसरे छात्र लगभग रोज ही किसी न किसी बहाने बलूच और पश्तून छात्रों को परेशान करते हैं। उनमें भी ऐसे छात्रों को बुलाकर उल्टे—सीधे व्यक्तिगत सवाल पूछे जाते हैं। अभी पीछे लाहौर के पंजाब विश्वविद्यालय में बलूच छात्रों के हास्टल पर छापा मारा गया था और बेवजह दो लड़कों को हिरासत में ले लिया था। अभी तक उनके बारे में कोई खबर नहीं है कि वे दोनों कहां ले जाए गए हैं।
बलूच और पश्तून छात्रों ने बताया कि उनके साथियों के साथ भी पंजाब प्रांत के दूसरे विश्वविद्यालयों में ऐसा ही बर्ताव किया जा रहा है। विश्वविद्यालय का दफ्तर और दूसरे छात्र लगभग रोज ही किसी न किसी बहाने बलूच और पश्तून छात्रों को परेशान करते हैं। उनमें भी ऐसे छात्रों को बुलाकर उल्टे—सीधे व्यक्तिगत सवाल पूछे जाते हैं।
अभी पीछे लाहौर के पंजाब विश्वविद्यालय में बलूच छात्रों के हास्टल पर छापा मारा गया था और बेवजह दो लड़कों को हिरासत में ले लिया था। अभी तक उनके बारे में कोई खबर नहीं है कि वे दोनों कहां ले जाए गए हैं।
गुजरात विश्वविद्यालय के बलूच छात्रों ने बताया वे इस बारे में कुलपति से बात करने थे, जिन्होंने उन्हें भरोसा दिया है कि परिसर में ऐसा—वैसा कुछ नहीं होगा, लेकिन परिसर के बाहर वे उनकी हिफाजत की गारंटी नहीं दे सकते। कुलपति के ऐसे जवाब के बाद से इन छात्रों को रात—दिन डर लगा रहता है।
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