ऊंट किस करवट बैठेगा?
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

ऊंट किस करवट बैठेगा?

by WEB DESK
Feb 15, 2022, 01:51 am IST
in भारत, पंजाब
इस बार पंजाब में भाजपा, अकाली दल के साये से निकल कर चुनाव लड़ रही है।

इस बार पंजाब में भाजपा, अकाली दल के साये से निकल कर चुनाव लड़ रही है।

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail
पंजाब में इस बार विधानसभा चुनाव उतना आसान नहीं है। यहां कई सीटों पर मुकाबला बहुकोणीय है। भाजपा पहली बार अकेले दम पर चुनाव लड़ रही है। हालांकि उसके दो गठबंधन सहयोगी हैं, लेकिन वे भी अपनी जमीन तलाश रहे हैं

 
मनोज ठाकुर

बसंत चल रहा है और पंजाब का मौसम खुलने लगा है। हालांकि सुबह-शाम के वक्त हल्का कुहासा रहता है। इसी तरह का कुहासा पंजाब की राजनीति में भी छाया हुआ है। एक बारगी तो ऐसा लगता है कुछ भी साफ नहीं है। लेकिन इस भ्रम के पार जाकर देखने पर कुछ चीजें एकदम साफ नजर आती हैं। मसलन, इस बार कांग्रेस के लिए राह आसान नहीं है। उसे कड़ी टक्कर मिलने वाली है। सत्ता के लिए मुकाबला अब कांग्रेस और अकाली दल के बीच में नहीं है, बल्कि इसमें नए क्षत्रप भी शामिल हो गए हैं। 

2017 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की वजह से पंजाब का चुनाव त्रिकोणीय था। इस बार भाजपा और उसके गठबंधन सहयोगी इसे चतुष्कोणीय और कहीं-कहीं किसान संगठनों की उपस्थिति चुनाव को पंचकोणीय भी बनाए हुए है। पंजाब के राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इतना कड़ा मुकाबला पहले कभी नहीं देखा। भले ही पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हों, जिसमें उत्तर प्रदेश जैसा राज्य भी शामिल है। लेकिन चर्चा सबसे ज्यादा पंजाब की हो रही है।

हो भी क्यों न? विक्रमजीत सिंह मजीठिया और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच मुद्दे गायब हैं और लड़ाई केवल मूंछ तक सीमित है। सिर्फ इन दो दिग्गजों की प्रतिष्ठा ही दांव पर नहीं है, बल्कि सभी राजनीतिक पार्टियों का बहुत कुछ दांव पर है। कैप्टन अमरिंदर सिंह फिर से अपनी पार्टी को खड़ा करने के लिए जोर-आजमाइश कर रहे हैं। भाजपा, अकाली दल के साये बाहर निकल कर अपनी पहचान बनाने की कोशिश में है और अकाली दल दोबारा सत्ता पाने के लिए छटपटा रहा है। 

 

तमाम अंतर्विरोध के बीच कांग्रेस की कोशिश है, सत्ता पर फिर से कब्जा कैसे जमाया जाए। तीन कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसान भी नेता बनने की जुगत भिड़ा रहे हैं।  वहीं, आआपा भी पंजाब की सत्ता पर काबिज होने के लिए पूरा जोर लगा रही है। यह सब कारण हैं जो इस बार पंजाब के राजनीतिक परिदृश्य को धुंधला कर रहे हैं। इस बार जो जीता वह सिकंदर साबित हो सकता है, जो हार गया, वह बहुत कुछ गवां भी देगा। 
शंभू बॉर्डर से पंजाब शुरू हो जाता है। लुधियाना के लाडोआला पुल तक का इलाका मालवा कहलाता है, जो पंजाब की सत्ता का सबसे बड़ा केंद्र है। 2017 के चुनाव में कांग्रेस यहां से 40 सीट पर विजयी रही थी। दस साल सत्ता में काबिज रहने वाले अकाली दल का प्रदर्शन सबसे खराब रहा था और वह मात्र 15 सीट पर ही सिमट गई थी। पहली बार पंजाब में विधानसभा चुनाव लड़ने वाली आआपा ने 20 सीटें जीत कर मुख्य विपक्षी दल का दर्जा हासिल किया था। उसे मालवा से 18 सीटें मिली थीं, जबकि अकाली दल को मात्र आठ सीट। यानी अकाली दल ने सत्ता ही नहीं गवांई, मालवा भी उसके हाथ से निकल गया। इस बार आआपा यहां खुद को मजबूत करती नजर आ रही है। इसका कारण यह है कि यहां के मतदाताओं ने 10 साल अकाली दल का शासन और कांग्रेस के 5 साल के शासन काल में कैप्टन अमरिंदर और चरणजीत चन्नी जैसे दो मुख्यमंत्री देखे। लेकिन हुआ क्या? इसलिए मतदाता इस बार बदलाव चाह रहा है। 
हालांकि राजनीतिक विश्लेषक मतदाता के इस रुझान को  शुरुआती प्रतिक्रिया करार देते हैं। इनका कहना है कि  जैसे-जैसे चुनाव प्रचार आगे बढ़ेगा, यह तर्क भी बदल सकता है। यहां कांग्रेस और अकाली दल पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी हैं और एक-दूसरे को टक्कर दे रहे हैं। इसमें आआपा खुद को सुरक्षित मान रही थी।  लेकिन किसान संगठन इस क्षेत्र में सेंध लगाते नजर आ रहे हैं। इसे मतदाता भले ही समझ न पा रहा हो, लेकिन आआपा के रणनीतिकार इस तथ्य से अच्छे से वाकिफ हैं। वैसे भी मालवा ग्रामीण इलाका माना जाता है। यहां भाजपा की स्थिति कमजोर ही रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में उसे केवल अबोहर की एक सीट मिली थी। इसमें भी अकाली की सक्रिय भूमिका थी। इस बार मालवा की 69 सीटों में से कम से कम 40 सीटों पर चतुष्कोणीय मुकाबला है। बाकी की 29 सीटों पर सीधा मुकाबला अकाली दल और कांग्रेस के बीच है। किसान मोर्चा की उपस्थिति यहां 39 सीटों पर प्रभाव डाल सकती है। 


किसान आंदोलन से भाजपा जो विरोध हुआ था, अब वह पंजाब में खत्म होता नजर आ रहा है। इसकी वजह यह है कि किसान अपनी पार्टी बना कर सत्ता में हिस्सेदारी तलाश रहे हैं। इससे पांरपरिक मतदाताओं के साथ नए मतदाता भी भाजपा के साथ जुड़ रहे हैं और चुनाव की शुरुआत में ही अकेली पार्टी के तौर पर भाजपा का आधार मजबूत करते नजर आ रहे हैं।


इसी तरह, माझा की 25 और दोआबा की 23 सीटों पर आआपा का प्रदर्शन पिछले चुनाव में लचर था। लेकिन इस बार उसे बढ़त मिलती दिख रही है। माझा में पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 22 सीटें मिली थीं, जबकि दोआबा में उसे 15 सीटें। माझा में अमृतसर, पठानकोट, बटाला, गुरदासपुर और दीनानगर भी आते हैं। यहां की कम से तीन से चार  सीटों पर भाजपा का प्रदर्शन काफी अच्छा रहने की संभावना है। यहां मुख्य मुकाबला अकाली और कांग्रेस में हैं। लेकिन यहां आआपा चौंका सकती है। यहां भी मतदाता बदलाव चाहते हैं। अमृतसर पूर्वी सीट पर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और अकाली दल के बिक्रमजीत सिंह मजीठिया आमने-सामने हैं। दोनों के बीच कांटे की टक्कर है। लेकिन पूर्व आईएएस व तमिलनाडु के एसीएस डॉ. जगमोहन सिंह राजू इस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाते दिख रहे हैं।

मजीठा विधानसभा सीट अकाली दल की पारंपरिक सीट रही है। इस बार अकाली दल ने यहां से मजीठिया की पत्नी गुनीत कौर को खड़ा किया है। गृहिणी से नेता बनी गुनीत कौर की इस सीट पर  किसी से टक्कर नहीं है। दोआबा जो कि एनआरआई बेल्ट के लिए जाना जाता है। यहां हर घर से एक व्यक्ति विदेश में है। जाहिर है, अनिवासी भारतीयों का असर यहां रहेगा। हालांकि यहां स्थानीय मुद्दे हावी हैं। मतदाता उम्मीदवार की छवि, उसके काम करने के तरीके को देख रहे हैं। साथ ही, स्थानीय समीकरण दोआबा की 23 सीटों को काफी रोचक बनाए हुए है। हालांकि यहां भी कांग्रेस अपनी जमीन खोती दिख रही है। पार्टी की पकड़ पहले यहां जैसी नहीं है। अलबत्ता, दोआबा में भाजपा की स्थिति ठीक है। जालंधर मनोरंजन कालिया, केडी भंडारी, महिंदर भगत जैसे नेता भाजपा को यहां मजबूत करते नजर आ रहे हैं। किसान आंदोलन से भाजपा जो विरोध हुआ था, अब वह पंजाब में खत्म होता नजर आ रहा है। इसकी वजह यह है कि किसान अपनी पार्टी बना कर सत्ता में हिस्सेदारी तलाश रहे हैं। इससे पांरपरिक मतदाताओं के साथ नए मतदाता भी भाजपा के साथ जुड़ रहे हैं और चुनाव की शुरुआत में ही अकेली पार्टी के तौर पर भाजपा का आधार मजबूत करते नजर आ रहे हैं। माझा में अकाली दल, कांग्रेस और भाजपा के बीच सत्ता संग्राम होगा, लेकिन कुछ जगह किसानों का असर रहेगा। जहां तक बड़े चेहरों की बात है, पूर्व मुख्यमंत्री और पंजाब लोक कांग्रेस के संस्थापक कैप्टन अमरिंदर सिंह कम से कम अपनी सीट तो बचा ही लेंगे।

अकाली दल के सुखबीर बादल जलालाबाद से सुरक्षित नजर आ रहे हैं, वही लंबी से प्रकाश सिंह बादल को इस बार भी टक्कर मिलती नजर नहीं आ रही है। धुरी विधानसभा सीट से आआपा ने भगवंत मान को उम्मीदवार बनाया है। वह प्रचार तो जम कर कर रहे हैं। लेकिन उनकी घेराबंदी कांग्रेस और अकाली दल ने ठीक से कर रखी है। इस वजह से मान के लिए जितना मुश्किल खुद को पार्टी का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कराना रहा, उससे भी मुश्किल इसी सीट को निकालना लग रहा है। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भदौड़ और चमकौर साहिब से मैदान में हैं। अवैध खनन मामले में ईडी की छापेमारी और रिश्तेदार की गिरफ्तारी, सिद्धू से मिल रही लगातार चुनौती से वह कुछ कुछ हताश नजर आ रहे हैं। कांग्रेस के बागी जगमोहन कंग उनकी स्थिति को कमजोर करने में एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। पंजाब में कांग्रेस के लिए उसके बागी भी चुनौती बन कर सामने आ रहे हैं। उनकी अपनी नाराजगी है, जिसे वे पार्टी को नुकसान पहुंचा कर निकालना चाह रहे है।

कुल मिलाकर अभी पंजाब की स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन महसूस किया जा सकता है कि मतदाता ने एक बात तो तय कर ली है। वह है बदलाव। अब देखना होगा कि इस बदलाव में सत्ता की कुर्सी किसे मिलती है? यह देखने के लिए चुनाव परिणाम घोषित होने तक इंतजार करना ही मुनासिब होगा।    ल्ल
 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies