पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पहली बार रैली करने जा रहे हैं। जालंधर में होने वाली उनकी रैली से ठीक पहले डेरा ब्यास के मुखी बाबा गुरविंदर सिंह ढिल्लो दिल्ली में प्रधामंत्री से मिले। प्रधानमंत्री ने इस मुलाकात की फोटो अपने अधिकारिक ट्वीटर हैंडल पर ट्वीट की है। इस मुलाकात को खास माना जा रहा है, क्योंकि सूबे की करीब 30 सीटों पर डेरे का प्रभाव है।
पंजाब में डेरा राधा स्वामी सत्संग ब्यास का खासा प्रभाव है। डेरा ब्यास का मुख्यालय पंजाब में है। इसलिए रैली से पहले प्रधानमंत्री मोदी और ब्यास डेरा मुखी की बैठक को पंजाब चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है। डेरे के अनुयायी पढ़े-लिखे और सभ्रांत तबके के लोग हैं। ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में अच्छी खासी उपस्थिति है। साथ ही, यह बेहद अनुशासित है। प्रधानमंत्री की जालंधर रैली को राजनीतिक नजरिये से देखा जाए तो किसी न किसी स्तर पर यह माना जा रहा है कि भाजपा के प्रति डेरा ब्यास का रुख नरम है। यह संदेश पंजाब में डेरा के अनुयायियों में भी गया है।
इस बार पंजाब में भाजपा अपने दम पर अकेले बड़ी पार्टी के तौर पर चुनाव लड़ रही है। तीन कृषि कानूनों में जिस तरह से भाजपा का विरोध हुआ, इसका सबसे ज्यादा असर पंजाब में था। अब भाजपा ने पंजाब में वापसी की है और पंजाब के मतदाताओं पर अपनी पकड़ मजबूत की है। भाजपा अभी तक अकाली दल के साथ मिल कर चुनाव लड़ती रही थी। लेकिन अब वह पंजाब में अपना दम दिखाना चाह रही है। इसके लिए भाजपा ने जोरदार तैयारियां की हैं। पंजाब में प्रचार की कमान स्वयं प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने संभाल रखी है।
जानकारों का कहना है कि पंजाब की 117 सीटों पर डेरा का प्रभाव पड़ेगा। ब्यास मुखी गुरविंदर सिंह की प्रधानमंत्री मोदी के साथ मुलाकात चुनाव के मद्देनजर तो मायने रखती ही है, चुनाव के बाद भी यह संबंध महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। डेरा मुखी की बिक्रमजीत सिंह मजीठिया के साथ रिश्तेदारी है। मजीठिया अकाली दल के वरिष्ठ और प्रभावशाली नेता हैं। अब यदि किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता तो डेरा अकाली दल और भाजपा को नजदीक लाने की कोशिश कर सकता है। पंजाब में राजनीति समीक्षक इस बैठक के कई मायने निकाल रहे हैं। इनका कहना है कि यह बैठक दूर की सोच रख कर आयोजित हुई है।
इसलिए मायने रख रही यह मुलाकात
डेरा ब्यास का पंजाब की 30 सीटों पर जबरदस्त प्रभाव है। इसमें गुरूहरसहाय, फिरोजपुर, फिरोजपुर सिटी मोगा जालंधर अमृतसर सीट पर तो डेरा के अनुयायी बड़ी भूमिका है। डेरा के अनुयायियों में हिंदू व सिख दोनों समुदायों के लोग हैं। डेरा राधास्वामी सत्संग ब्यास भाजपा के नजदीक आ जाता है तो सिख मतदाता भाजपा को वोट दे सकता है, जो भाजपा के लिए महत्पूर्ण साबित हो सकते हैं। डेरा के कई सीटों पर तो 20 हजार से ज्यारा अनुयायी हैं। सियासी नजरिये से देखा जाए तो इतनी संख्या में मतदाता यदि भाजपा को मिल जाते हैं, तो पार्टी पंजाब में बड़ा कमाल कर सकती है।
सभ्रांत तबके के लोग डेरा के अनुयायी है। इस तबके में भाजपा की पैठ होने का मतलब है, पंजाब के इस वर्ग में पार्टी मजबूत हो सकती है। डेरा कभी खुल कर राजनीति में इस तरह से नहीं आया। इस बार आ रहा है, यह दिखा रहा है कि भाजपा पंजाब को लेकर बेहद गंभीर है। इससे भाजपा के कार्यकर्ता व नेताओं का उत्साह बढ़ रहा है, इसके साथ ही मतदाता भी खुल कर भाजपा के पक्ष में खड़ा हो रहा है। भाजपा को इसका राजनीति फायदा हो सकता है, क्योंकि शहरी मतदाता को पार्टी अपने साथ जोड़ सकती है। यदि डेरा सच्चा सौदा के साथ राधा स्वामी सत्संग ब्यास का साथ भी मिल जाता है तो पार्टी का पंजाब में प्रदर्शन काफी अच्छा रह सकता है। विपक्ष पर इसका मनोवैज्ञानिक दबाव भी पड़ेगा।
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