कर्नाटक में स्कूल से चला हिजाब विवाद राष्ट्रीय विमर्श का मुद्दा बन गया है। यह मुद्दा था ही नहीं, लेकिन कुछ कथित सेकुलरों की जमात और मुस्लिम संगठनों ने इसे हवा दे दी। हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी का भड़काऊ भाषण आप सभी ने सुना होगा। जम्मू-कश्मीर में 12वीं की टॉपर अरूसा परवेज को सोशल मीडिया पर गर्दन काटने की धमकी दी जा रही है। अलीगढ़ में समाजवादी पार्टी की नेता और महानगर अध्यक्ष रूबीना खानम ने तो यहां तक कह दिया कि हिजाब पर हाथ डालने वालों का हाथ काट देंगे, लेकिन उनको कौन समझाए कि यह मामला न्यायालय में है और स्थानीय है। इस तरह के मजहबी विवाद अपने शांतिप्रिय देश में न हो इसके लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने कथित सेकुलर बुद्धिजीवियों से सेकुलर सवाल पूछे हैं।
अश्विनी उपाध्याय ने सेकुलर बुद्धिजीवीयों से सेकुलर सवाल भी पूछे हैं। उन्होंने कहा कि क्या नगा संप्रदाय को मानने वाले युवा अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार निर्वस्त्र होकर स्कूल और कॉलेज जा सकते हैं?
यदि बुर्का हिजाब नकाब पहनना एसेंशियल रिलीजियस प्रैक्टिस है तो निर्वस्त्र रहना भी एसेंशियल रिलीजियस प्रैक्टिस है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी जी से पूछकर बताइये कि नगा सन्यासी और नगा संप्रदाय को मानने वाले युवा अपनी धार्मिक मान्यता का पालन करते हुए कॉलेज जा सकते हैं या नहीं? क्या भगवान श्रीराम के भक्त धनुष-बाण लेकर, भगवान कृष्ण के भक्त बांसुरी और सुदर्शन चक्र लेकर, भगवान शंकर के भक्त त्रिशूल लेकर, मां दुर्गा के भक्त खड्ग और तलवार लेकर तथा बजरंगबली के भक्त गदा लेकर कॉलेज जा सकते हैं?
रीति-रिवाज कॉलेज के गेट तक, कॉलेज के अंदर सेकुलर बनिये
यदि बुर्का, नकाब, हिजाब पहनकर स्कूल और कॉलेज में प्रवेश की अनुमति दी गयी तो कल नगा सन्यासी, जैन मुनि तथा नगा संप्रदाय और जैन धर्म को मानने वाले करोड़ों युवक भी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्कूल और कॉलेज में प्रवेश की मांग करेंगे। उन्होंने कहा कि रीति-रिवाज कॉलेज के गेट तक होने चाहिए, कॉलेज के अंदर सेकुलर बनें। इस तरह के मजहबी विवाद न पनपें इसलिए सर्वोच्च न्यायालय में उन्होंने याचिका भी दायर की है। इसमें उन्होंने मांग की है कि देश के सभी स्कूलों में कॉमन ड्रेस कोड लागू हो।
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