हाल ही में अमेरिका और ताइवान के बीच एक महत्वपूर्ण रक्षा करार हुआ है जिसे लेकर चीन एक बार फिर अमेरिका से बौखला गया है। इस करार से जहां ताइवान की सैन्य क्षमता में बढ़ोतरी हुई है वहीं दोनों देशों की रक्षा क्षेत्र में नजदीकी बढ़ने का भी संकेत मिला है। इस करार के तहत अमेरिका ताइवान को 10 करोड़ डालर के हथियार उपलब्ध कराएगा।
अमेरिका की रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने बताया कि उसने ताइवान के अनुरोध को देखते हुए हथियारों की बिक्री के लिए विदेश विभाग की मंजूरी के बाद एक प्रमाणपत्र के जरिए कांग्रेस को सूचित कर दिया है। एजेंसी द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि यह प्रस्तावित बिक्री अपने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और एक विश्वसनीय रक्षात्मक क्षमता बनाए रखने के लिए हथियार प्राप्त करने के इच्छुक के लगातार हो रहे प्रयासों का समर्थन करके अमेरिकी राष्ट्रीय, आर्थिक तथा सुरक्षा हितों की सेवा कर रही है।
बयान के अनुसार, अमेरिका की ओर से दिए जाने वाले हथियारों से ताइवान की सुरक्षा में सुधार करने और राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही इनसे सैन्य संतुलन और आर्थिक क्षेत्र में तेजी से प्रगति होगी। इसमें यह भी कहा गया है कि उपकरण और समर्थन की प्रस्तावित बिक्री से क्षेत्र में बुनियादी सैन्य संतुलन में कोई बदलाव नहीं आएगा। बताया गया है कि यह करार अमेरिका की पैट्रियट मिसाइल प्रणाली को लेकर हुआ है। इस सौदे के माध्यम से ताइवान द्वारा उपयोग में ली जा रही पैट्रियट मिसाइल रक्षा प्रणाली में निरंतर सुधार करने के लिए ताइवान को उपकरण और सेवाएं प्राप्त होंगी।
चीन पिछले लंबे समय से ताइवान को लेकर आक्रामक तेवर अपनाए हुए है। वह आएदिन ताइवान के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ करता है। बीजिंग की ओर से ताइवान को लेकर आक्रामक बयान दिए जाते रहे हैं। विस्तारवादी ड्रैगन नहीं चाहता कि कोई भी अन्य देश ताइवान को एक अलग देश मानते हुए उससे संबंध बनाने की ओर बढ़े।
इस रक्षा करार से ताइवान के हौसले बुलंद होना स्वाभाविक ही है। हथियारों की बिक्री को मंजूरी देने के अमेरिकी कदम का स्वागत करते हुए ताइवान ने कहा हम 100 मिलियन अमेरिकी डालर के हथियारों के इस सौदे का स्वागत करते हैं। यह निर्णय ताइवान संबंध अधिनियम तथा छह आश्वासनों के प्रति अमेरिकी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह हमारी रक्षात्मक क्षमताओं के रखरखाव के साथ-साथ क्षेत्रीय शांति और स्थिरता का भी समर्थन करता है।
लेकिन जैसी आशंका जताई जा रही थी, चीन अमेरिका और ताइवान की नजदीकी में हो रही इस बढ़त से खुश नहीं है। उसने हथियारों के इस सौदे पर गंभीरता दिखाते हुए अमेरिका को एक बार फिर सावधान किया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने पत्रकार वार्ता में कहा है कि चीन इस कार्रवाई का कड़ा विरोध तथा निंदा करता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका को इस प्रस्ताव को तुरंत वापस लेना चाहिए।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि ताइवान को लेकर अमेरिकी तथा चीन के बीच कटुता और बढ़ती जा रही है। 8 फरवरी को चीन ने साफ कहा है कि वह अपनी संप्रभुता की रक्षा करने के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा। झाओ ने कहा कि चीन अपनी संप्रभुता की रक्षा और अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक और प्रभावी उपाय करेगा।
यहां ध्यान रखना होगा कि चीन पिछले लंबे समय से ताइवान को लेकर आक्रामक तेवर अपनाए हुए है। वह आएदिन ताइवान के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ करता है, उसे लड़ाकू विमानों से डराता है, उसकी सीमाओं पर बेवजह युद्धाभ्यास करता है। बीजिंग की ओर से ताइवान को लेकर आक्रामक बयान दिए जाते रहे हैं। विस्तारवादी ड्रैगन नहीं चाहता कि कोई भी अन्य देश ताइवान को एक अलग देश मानते हुए उससे संबंध बनाने की ओर बढ़े।
उधर अमेरिका ताइवान को मानसिक और सैन्य समर्थन देता आ रहा है। यही बीजिंग का सबसे ज्यादा चुभता है। ताइवान को 'अपना हिस्सा' मााने वाले कम्युनिस्ट चीन ने इस द्वीपीय देश पर बार-बार आक्रमण की धमकी दी है। इस स्वशासी द्वीप में भय पैदा करने के लिए लगातार आक्रामक नीति अपनाई हुई है।
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