भारत द्वारा हिंदू समाज के प्रति संयुक्त राष्ट्र के पूर्वाग्रह को उजागर किए जाने से भारतीय पंथों की सहिष्णुता और अब्राहमिक मतों-मजहबों की असहिष्णुता पर एक नया अंतरराष्ट्रीय विमर्श खड़ा हो गया है। सरल, सहिष्णु हिंदू समाज के प्रति विद्वेष के कारण भेदभाव का ऐसा माहौल बनाया गया है कि केवल भारत ही नहीं, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मलेशिया, इंडोनेशिया, श्रीलंका, मालदीव और यहां तक कि पश्चिमी देशों में भी हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं। विडंबना यह है कि जो लोग हमले कर रहे हैं, वही अपने को ‘पीड़ित’ बता रहे हैं। ये लोग इस अंतरराष्ट्रीय विमर्श को समाप्त कर देना चाहते हैं, ताकि उनकी करतूतें दुनिया के सामने न आएं।
यही कारण है कि राष्ट्र संघ में टी.एस. तिरुमूर्ति के बयान के केवल छह दिन बाद यानी 26 जनवरी को आईएसआई द्वारा पोषित और अमेरिका में सक्रिय ‘इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल’ ने एक वेबिनार का आयोजन किया। इसमें पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा,‘‘हाल के वर्षों में हमने उन प्रवृत्तियों और प्रथाओं के उभार का अनुभव किया है, जो नागरिक राष्ट्रवाद के सुस्थापित सिद्धांत को लेकर विवाद खड़ा करती हैं और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की एक नई और काल्पनिक प्रवृत्ति को बढ़ावा देती हैं।’’ इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारत में असहिष्णुता बढ़ रही है।
‘डरे’ हुए लोगों के कारनामे
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हामिद के बयान पर आपत्ति
हामिद के इस बयान की निंदा कई पूर्व सैन्य अधिकारियों ने की। इनमें से एक कैप्टन जयदेव जोशी कहते हैं, ‘‘हामिद अंसारी ने गैर-जिम्मेदाराना बयान दिया। उनके बयान से भारत के उन सैकड़ों मुस्लिम सैनिकों का मनोबल गिरेगा, जो भारत की रक्षा के लिए दिन-रात पाकिस्तानी सैनिकों और उनके द्वारा भेजे गए आतंकवादियों से लड़ रहे हैं।’’ कैप्टन जोशी का मानना है कि हामिद अंसारी ने भारत के उस मत का जानबूझकर विरोध किया, जिसे 20 जनवरी को यूएन में भारत के स्थाई प्रतिनिधि ने रखा था।
केरल, कश्मीर और बंगाल में हिंदुओं का हालइस देश में अभी भी जम्मू—कश्मीर के हिंदू शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। 1947 में जो हिंदू पाकिस्तान से आकर जम्मू-कश्मीर में बसे थे, उन्हें दशकों तक वहां मतदान करने, जमीन खरीदने,सरकारी नौकरी करने का अधिकार नहीं दिया गया। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद उन्हें ये सारे अधिकार मिले हैं। ‘जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र’ के अनुसार जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा लगभग 1,000 हिंदू मारे गए हैं। ये सभी वहीं के नागरिक थे। केरल में माकपा, पापुलर फ्रंट आफ इंडिया और मुस्लिम लीग के कट्टरवादी तत्व आए दिन हिंदुओं की हत्या करते हैं। केरल के सामाजिक कार्यकर्ता सोहनलाल के अनुसार केरल में अब तक संघ, भाजपा, विहिप आदि संगठनों के लगभग 300 कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है। पश्चिम बंगाल के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता के अनुसार मई, 2019 से लेकर अब तक बंगाल में 56 हिंदुओं की हत्या की गई है। इससे पहले 2017 से 2019 तक पश्चिम बंगाल में 148 कार्यकर्ता मारे गए थे। इनमें संघ, भाजपा, विहिप, बजरंग दल जैसे संगठनों के कार्यकर्ता शामिल थे।
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अमेरिका के अटलांटा में रहने वाले सुरेन्द्र अग्रवाल कहते हैं, ‘‘संयुक्त राष्ट्र में भारत द्वारा कही गई बातों से अमेरिका में रहने वाले पाकिस्तान-परस्त लोग तिलमिला गए। इसके बाद इन लोगों द्वारा चलाई जा रही संस्था ‘इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल’ सक्रिय हुई। उसने भारत को नीचा दिखाने के लिए जानबूझकर उस दिन एक वेबिनार का आयोजन किया, जिस दिन भारत अपना 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा था। इसमें हामिद अंसारी ने सब कुछ जानते हुए हिस्सा लिया और एक विदेशी मंच पर अपने ही देश भारत का विरोध किया। अंसारी का बयान बहुत ही आपत्तिजनक है। कोई भी सच्चा भारतीय उनके बयान का समर्थन नहीं कर सकता।’’
हामिद अंसारी के बाद मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने भी हिंदुओं के प्रति घृणा फैलाते हुए कहा, ‘‘यदि योगी आदित्यनाथ दोबारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो वे राज्य को छोड़ देंगे।’’ हामिद और मुनव्वर के इन बयानों पर विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेन्द्र जैन कहते हैं, ‘‘जब—जब देश में राष्ट्रवादी सरकारें आती हैं, तब—तब ऐसे लोग बिलबिलाने लगते हैं, जो भारत को निजामे मुस्तफा की ओर ले जाना चाहते हैं। ऐसे लोगों को लगता है कि राष्ट्रवादी सरकार उनके मंसूबों को पूरा नहीं होने देगी और इसलिए वे झूठी बातों के आधार पर समाज को बरगलाते और भटकाते हैं।’’ डॉ. जैन ने यह भी कहा,‘‘देश में जनसंख्या के हिसाब से ईसाई और पारसी बहुत ही कम हैं। इतनी कम संख्या में होने के बावजूद वे यह नहीं कहते हैं कि उन्हें भारत में डर लग रहा है, तो करोड़ों की संख्या में रहने वाले मुसलमान डरने की बात किस आधार पर कर रहे हैं। यह डर नहीं है, ढकोसला है, अपनी बदमाशी पर पर्दा डालने का एक तरीका है।’’
पड़ोसी देशों में सुरक्षित नहीं हैं हिंदूराजेश गोगना इसमें कोई दो मत नहीं है कि इस समय पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार और यहां तक कि श्रीलंका में अल्पसंख्यकों, जिसमें हिंदू भी शामिल हैं, की स्थिति विकट है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि उन देशों का बहुसंख्यक समाज मानता है कि अल्पसंख्यकों को यहां रहने का कोई अधिकार नहीं है। पाकिस्तान में संवैधानिक तौर पर भी हिंदुओं को बहुसंख्यकों के समान अधिकार नहीं दिए गए हैं। इसके अलावा वहां की पाठ्यपुस्तकों में भी ऐसी बातें भरी हुई हैं कि जिनसे बच्चों में कट्टरता पनपती है। मदरसों में गैर—मुसलमानों से नफरत करने का पाठ पढ़ाया जाता है और सबसे बड़ी बात तो यह है कि इन सबको को वहां का बहुसंख्यक समाज मान्यता भी देता है। इस कारण पाकिस्तान में हिंदुओं यानी अल्पसंख्यकों की स्थिति बदतर होती जा रही है। उत्पीड़न और कन्वर्जन के कारण अब वहां लगभग 1.75 प्रतिशत हिंदू बचे हैं। हिंदुओं का यही हाल बांग्लादेश और मलेशिया में भी है। भारतीयों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि भूटान, म्यांमार और श्रीलंका जैसे बौद्ध-बहुल देशों में भी हिंदुओं की स्थिति ठीक नहीं है। उन्हें कई मौलिक अधिकारों से भी वंचित रखा गया है। इसके उलट भारत में अल्पसंख्यकों को पर्याप्त संवैधानिक सुरक्षा प्राप्त है। यह भी कह सकते हैं कई मामलों में तो भारतीय संविधान ने बहुसंख्यकों से अधिक अल्पसंख्यकों को अधिकार दिए हैं। जैसे शिक्षा और अपने मत के प्रचार को ले सकते हैं। भारत में अल्पसंख्यकों को संवैधानिक सुरक्षा देने के पीछे मुख्य कारण है भारत की सदियों पुरानी वह संस्कृति, जो सबको समान भाव से देखती है। यही बात भारत को बाकी दुनिया से अलग करती है और जब तक भारत के लोगों में यह बात मौजूद रहेगी तब तक यहां ‘हिंदूफोबिया’ जैसी कोई बात नहीं हो सकती। |
हिंदुओं के उत्पीड़न की बढ़ती घटनाएं
हिंदुओं के प्रति उत्पीड़न को इस बात से समझा जा सकता है कि यदि किसी ने सोशल मीडिया पर इस्लाम की आलोचना तक कर दी तो उसे जान से मार दिया जाता है। 25 जनवरी को गुजरात के धुंधका में किशन भरवाड नामक एक युवक की हत्या इसलिए कर दी गई कि उसने सोशल मीडिया में एक पोस्ट डाली थी, जिसे कुछ मुसलमानों ने इस्लाम—विरोधी बताया था। इनकी आपत्ति के बाद किशन ने माफी भी मांग ली थी। इसके बावजूद उसकी हत्या कर दी गई। एक रपट के अनुसार 2014 के बाद देश में भीड़ द्वारा लोगों की हत्या करने की 165 घटनाएं हुई हैं। इनमें मरने वाले अधिकतर हिंदू हैं। केवल दिल्ली में मार्च, 2016 से लेकर जनवरी, 2022 तक 12 हिंदुओं को पीट-पीटकर मारा गया है। इनमें डॉ. पंकज नारंग, अंकित सक्सेना, राहुल राजपूत, ध्रुव त्यागी, बादल कुमार, हीरा गुजराती,रिंकू शर्मा जैसे नाम शामिल हैं।
डॉ. सुरेन्द्र जैन बिल्कुल सही कह रहे हैं कि अपनी कौम की शरारत को ढकने के लिए हामिद अंसारी, मुनव्वर राणा जैसे लोग हिंदू समाज के उत्पीड़न के विमर्श को पटरी से उतार देना चाहते हैं।
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