इन दिनों जब झारखंड जैसे हिंदी—भाषी राज्य में हिंदी के साथ प्रदेश सरकार भेदभाव कर रही है, तब मिजोरम से राज्यसभा सांसद के. वनलालवेना की तारीफ करनी चाहिए। उन्होंने मांग की है कि देश की एकता को बढ़ाने के लिए पूर्वोत्तर के राज्यों में हिंदी के शिक्षकों को बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की है कि पूर्वोत्तर में हिंदी पढ़ाने वाले शिक्षकों के वेतन और अन्य भत्तों में भी बढ़ोतरी की जाए। बता दें कि के. वनलालवेना मिजोरम नेशनल फ्रंट के सांसद हैं।
हिंदी—भाषी राज्यों में पूर्वोत्तर के लोगों के लिए कामकाज की संभावनाएं समाप्त हो रही हैं। इसलिए पूर्वोत्तर के राज्य अपने लोगों को हिंदी पढ़ाने में विशेष रुचि ले रहे हैं। इसका लाभ भी उन्हें मिल रहा है। दिल्ली में पूर्वोत्तर के बच्चे हर क्षेत्र में काम कर रहे हैं और वे अच्छी हिंदी बोलते हैं।
गत दिनों उन्होंने राज्यसभा में बताया कि समग्र शिक्षा योजना के अंतर्गत मिजोरम में हिंदी शिक्षकों के 855 पद स्वीकृत किए गए हैं। इससे सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त निजी विद्यालयों में हिंदी शिक्षकों की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में प्राथमिक स्तर पर हिंदी सीखने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि देश की एकता को बनाए रखने में हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका है।
उल्लेखनीय है कि दक्षिण भारत की तरह कभी पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में हिंदी को लेकर ठीक धारणा नहीं थी। अब उन्हें यह आभास हो रहा है कि हिंदी की जानकारी के बिना हिंदी—भाषी राज्यों में पूर्वोत्तर के लोगों के लिए कामकाज की संभावनाएं समाप्त हो रही हैं। इसलिए पूर्वोत्तर के राज्य अपने लोगों को हिंदी पढ़ाने में विशेष रुचि ले रहे हैं। इसका लाभ भी उन्हें मिल रहा है। दिल्ली में पूर्वोत्तर के बच्चे हर क्षेत्र में काम कर रहे हैं और वे अच्छी हिंदी बोलते हैं।
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