विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, कांग्रेस में अंदरूनी कलह तेज होता जा रहा है। आलम यह है कि पार्टी में सड़क से लेकर संसद तक घमासान मचा हुआ है। राज्यसभा में आनंद शर्मा तल्ख तेवर दिखा रहे हैं तो लोकसभा में सरकार पर हमला करने वाले राहुल गांधी पर पार्टी के दिग्गज नेता ही हल्ला बोल रहे हैं। वहीं, पंजाब में गुटों में बंटे नेताओं ने केवल राज्य के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ही नहीं बल्कि पार्टी आलाकमान की भी नाक में दम कर रखा है। प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के निशाने पर चन्नी तो पहले से ही थे। क्योंकि सिद्धू खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। अब पूर्व प्रदेशाध्क्ष चौधरी सुनील कुमार जाखड़ भी खुलकर सामने आ गए हैं। उन्होंने एक जनसभा में खुलासा किया कि मुख्यमंत्री पद से कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने के बाद नए मुख्यमंत्री के लिए पार्टी में वोटिंग हुई थी, जिसमें सबसे अधिक विधायकों ने उनके पक्ष में मतदान किया था। चन्नी को केवल दो वोट ही मिले थे। इन सबके बीच, चन्नी सरकार में मंत्री रजिया सुल्ताना के पति व सिद्धू के रणनीतिक सलाहकार मोहम्मद मुस्तफा कभी हिंदुओं को धमका रहे हैं तो कभी सिखों की पांथिक भावनाओं से खेल रहे हैं।
हिन्दू होने की मिली सजा
सोशल मीडिया पर सुनील जाखड़ का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें वे लोगों से कह रहे हैं कि नए मुख्यमंत्री के चुनाव के लिए जो बैठक हुई थी, उसमें 79 में से 42 विधायकों ने उनके पक्ष में मतदान किया था। इसके बाद सबसे ज्यादा 16 विधायकों ने सुखजिंदर सिंह रंधावा और 12 विधायकों ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर का नाम लिया था। नवजोत सिंह सिद्धू को 6 जबकि चरणजीत सिंह चन्नी को महज 2 विधायकों का ही समर्थन मिला। इसके बावजूद चन्नी को मुख्यमंत्री बना दिया गया। बता दें कि सुनील जाखड़ पंजाब कांग्रेस प्रचार कमेटी के अध्यक्ष भी हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि उस समय विधायकों के समर्थन के साथ-साथ वरिष्ठता की सूची में भी जाखड़ का नाम आगे चल रहा था, परन्तु पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने यह कहना शुरू कर दिया कि पंजाब में मुख्यमंत्री हिन्दू नहीं हो सकता। कांग्रेस की इसी साम्प्रदायिक सोच के चलते एक वरिष्ठ हिंदू कांग्रेसी नेता का हक छीन कर कम योग्य नेता को दे दिया गया।
चन्नी को लेकर जाखड़ के खुलासे के बाद सिद्धू चुनाव प्रचार छोड़ माता वैष्णो देवी के दर्शन करने पहुंच गए। उन्होेंने बाकायदा ट्वीट भी किया, जिसमें माता वैष्णो देवी से प्रार्थना की कि वे दुष्टों का विनाश करें। पंजाब का कल्याण करें और धर्म की स्थापना करें। इस घटनाक्रम को पंजाब कांग्रेस में कुर्सी को लेकर मचे घमासान के नतीजे के रूप में देखा जा रहा हैं। सिद्धू के अचानक वैष्णो देवी के दर्शन के लिए जाने के बाद अटकलें लगाई जाने लगी कि कहीं पार्टी नेतृत्व मुख्यमंत्री चेहरे की घोषणा तो नहीं करने वाला है।
बता दें कि मुख्यमंत्री चेहरे के लिए कांग्रेस आलाकमान आनलाइन सर्वेक्षण करा रहा है। इसमें पार्टी के ‘शक्ति एप’ के जरिये नेताओं और कार्यकर्ताओं की राय ली जा रही है। सर्वेक्षण के बाद कांग्रेस किसी भी समय पंजाब में सीएम चेहरे की घोषणा कर सकती है। इसी बीच, सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू का एक साक्षात्कार सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसमें उन्होांने कहा है कि अगर वे दोनों इस चुनाव में सफल नहीं हुए तो अपने पुराने पेशे में लौट जाएंगे। उन्होंने कहा कि राजनीति में आकर वे लोग आर्थिक रूप से कमजोर हो गए हैं।
पार्टी की पसंद चन्नी ही!
सिद्धू भले ही प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा जता रहे हों, लेकिन सच्चाई यही है कि पार्टी नेतृत्व भी अपना वजन चन्नी के पीछे लगाता दिख रहा है, क्योेंकि चन्नी अनुसूचित जाति समुदाय से हैं। एसस-एसटी समुदाय कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक रहे हैं, लेकिन ये उससे छिटक गए हैं। चन्नी के जरिये कांग्रेस वापस उनके बीच घुसपैठ करना चाहती है। इसलिए पंजाब में ‘एक परिवार, एक सीट’ फार्मूले को दरकिनार करते हुए चन्नी को दो जगह से उतारा है। कुछ दिन पहले ही युवा कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से एक वीडियो जारी किया गया था। इसमें अभिनेता सोनू सूद बता रहे थे कि राज्य का मुख्यमंत्री कैसा होना चाहिए। इसके बाद चन्नी को दिखाया गया था।
मुस्तफा ने इस बार सिखों की आस्था पर चोट की है। उन्होंने सिखों के पवित्र ग्रंथ श्रीगुरु ग्रंथ साहिब को किताब बताया है जिससे सिख समुदाय आक्रोशित है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कांग्रेस नेता मुस्तफा के बयान की कड़ी निंदा की है। उन्होंने श्रीगुरु ग्रंथ साहिब को किताब कहने के बयान पर उनसे सिख समुदाय से माफी मांगने को कहा है।
इस वीडियो में सिद्धू कहीं नहीं थे। इसी तरह, उत्तराखंड के लिए स्टार प्रचारकों की सूची में सिद्धू को शामिल नहीं किया गया, जबकि चन्नी को तरजीह दी गई। कुल मिलाकर कांग्रेस सिद्धू को लगातार संकेत दे रही है, फिर भी उन पर कोई असर नहीं हो रहा है। इधर, चमकौर साहिब और भदौर से चुनाव लड़ रहे चन्नी भावनात्मक दांव खेल रहे हैं। उन्होंने चमकौर साहिब में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा,‘‘सब मुझे दबाने की कोशिश कर रहे हैं। छापे डलवाए जा रहे हैं। 15 साल से मैं चमकौर साहिब में ही रहा। आज तक कहीं नहीं गया। अब आप लोगों को ही मुझे संभालना है।’’
हिन्दू विरोधी मुस्तफा को शह
हिन्दुओं को घर में घुस कर मारने की धमकी देने वाले पूर्व डीजीपी मुस्तफा ने इस बार श्रीगुरुग्रंथ साहिब को किताब बताकर सिखों की आस्था पर चोट किया है। मुस्तफा के इस विवादित बयान से सिख समुदाय में गहरा रोष है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कांग्रेस नेता मुस्तफा के बयान की कड़ी निंदा की है। उन्होंने श्रीगुरु ग्रंथ साहिब को किताब कहने के बयान पर उनसे सिख समुदाय से माफी मांगने को कहा है। धामी ने कहा कि श्रीगुरु ग्रंथ साहब जीवित गुरु हैं, एक किताब बोलना मोहम्मद मुस्तफा की छोटी मानसिकता को दर्शा रहा है। उनके बयान से सिख समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंची है।
मोहम्मद मुस्तफा को खुलकर माफी मांगनी चाहिए और ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी। श्रीगुरु ग्रंथ साहिब समस्त मानव जाति के गुरु हैं। मुस्तफा के बयानों को लेकर कांग्रेस में भी खलबली मची हुई है। मुस्तफा को कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू का करीबी माना जाता है। मुस्तफा के बयान के बाद पार्टी के भीतर सिद्धू विरोधी खेमा को फिर से सिर उठाने का मौका मिल गया है। इनका कहना है कि यदि मुस्तफा ने अपनी बयानबाजी बंद नहीं की तो पहले हिंदू मतदाता पार्टी से पहले से ही नाराज हैं, अब सिख मतदाता भी नाराज हो रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि मुस्तफा जैसे लोग खुद ही पार्टी के लिए जानबूझकर समस्या पैदा कर रहे हैं।
बहरहाल, कांग्रेस में शॉर्ट सर्किट लगातार हो रहे हैं। फिलहाल पंजाब की स्थिति अधिक खराब दिख रही है, क्योंकि राज्यसभा में अपने तल्ख तेवर दिखाने वाले आनंद शर्मा पंजाब से ही सांसद हैं। वे राज्यसभा में पार्टी के उपनेता हैं। दरअसल, राज्यसभा में अभिभाषण पर चर्चा के दौरान कांग्रेस को बोलने के लिए कुल 109 मिनट का समय दिया गया था, लेकिन मल्लिकार्जुन खड़गे ही एक घंटे तक बोलते रहे। इससे आनंद शर्मा इस कदर नाराज हुए कि उन्होंने अभिभाषण पर चर्चा में कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। महत्वपूर्ण बात यह है कि राहुल गांधी ने चीन और पाकिस्तान की दोस्ती के मुद्दे पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की, लेकिन खुद ही घिर गए हैं।
कांग्रेस के दिग्गज नेता कुंवर नटवर सिंह ने राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए उन्हें पाकिस्तान और चीन की दोस्ती का इतिहास याद दिलाया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने पाकिस्तान और चीन के संबंधों को लेकर संसद में जो भी बयान दिया, वह पूरी तरह से गलत था। चीन-पाकिस्तान 1960 के दशक से ही अच्छे दोस्त रहे हैं। उन्होंने राहुल को इतिहास की याद दिलाते हुए कहा कि यह उनके परदादा (जवाहर लाल नेहरू) थे, जो कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले गए। आज हम अलग-थलग नहीं हैं। आज पड़ोसियों से हमारे संबंध बहुत अच्छे हैं। भारत की विदेश नीति में कोई खामी नहीं है। हमारी विदेश नीति बिल्कुल भी विफल नहीं है।
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