गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) न्यायाधिकरण ने इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाइक को अपना हस्ताक्षर ठीक से सत्यापित कर मलेशिया में भारतीय दूतावास के जरिये वकालतनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही, न्यायाधिकरण ने भारत सरकार को सुनवाई की अगली तारीख से पहले गवाहों और प्रमुख परीक्षक की सूची दाखिल करने को कहा है।
भारत सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शुक्रवार को जाकिर नाइक के वकालतनामा पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और संबंधित फैसले के अनुसार नहीं है। किसी को यह सत्यापन करना होगा कि वकालतनामा पर हस्ताक्षर डॉ. जाकिर अब्दुल करीम नाइक का ही है, जो इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) का न्यासी होने का दावा करता है। चूंकि जाकिर नाइक एक भगोड़ा है, इसलिए वकालतनामा मलेशिया में भारतीय दूतावास द्वारा सत्यापित किया जाना चाहिए। इस पर न्यायाधिकरण के प्रमुख न्यायमूर्ति डी.एन पटेल ने नाइक को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार वकालतनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। इस मामले में 10 फरवरी को सुनवाई होनी है।
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले साल जाकिर नाइक की संस्था आईआरएफ पर पांच साल के लिए प्रतिबंध बढ़ा दिया था। साथ ही, आईआरएफ को गैरकानूनी घोषित करने के लिए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी.एन. पटेल की अध्यक्षता में एक न्यायाधिकरण की स्थापना की थी। इसने दिसंबर में मुंबई में आईआरएफ के दो अलग-अलग पतों पर समन भेजा था। इसमें न्यायाधिकरण ने पूछा था कि क्यों न आईआरएफ को गैरकानूनी संस्था घोषित कर दिया जाए? इस पर 28 जनवरी को सुनवाई होनी थी। गृह मंत्रालय ने 13 दिसंबर, 2021 को अधिसूचना जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि यदि गैरकानूनी संस्था की गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो नाइक इसके जरिए अपनी विध्वंसक गतिविधियां जारी रखेगा। जाकिर नाइक पीस टीवी और पीस टीवी उर्दू नाम से दो टेलीविजन चैनल चलाता है और इनके जरिये इस्लामी कट्टरता फैलाता है। कई देशों में दोनों चैनल प्रतिबंधित हैं, जिनमें भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, कनाडा और ब्रिटेन प्रमुख हैं।
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