पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय को हाल ही में एक रिपोर्ट सौंपी गई है जो दोहरी नागरिकता के नियम में व्यापक संशोधन की मांग करती है। यह रिपोर्ट पाकिस्तान की सीनेट की स्थायी समिति ने तैयार की है। इसमें लोकसेवा नियमों में सुधारों का प्रस्ताव किया गया है।
पाकिस्तान के अंग्रेजी दैनिक द डान में प्रकाशित एक रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान की सीनेट लोकसेवा नियमों में एक ऐसा संशोधन लाने के बारे में सोच रही है जिसमें सरकार के चोटी के नौकरशाहों के दोहरी नागरिकता रखने पर रोक लगाने की बात की गई है।
कल यानी 4 फरवरी को मीडिया में आए समाचारों से पता चलता है कि अगर इसकी अनुमति मिल गई तो इसका पाकिस्तान के 20,000 से ज्यादा नौकरशाहों पर असर पड़ेगा। हाल ही में यह रिपोर्ट वहां के सर्वोच्च न्यायालय को सौंपी गई है। इस रिपोर्ट में है कि देश के 22000 उच्च सरकारी अधिकारी दोहरे नागरिक हैं। रिपोर्ट बताती है कि 11000 अधिकारी ऐसे हैं जो पुलिस सेवा और नौकरशाही से जुड़े हैं।
पाकिस्तान नागरिकता अधिनियम 1951 के तहत दोहरी नागरिकता रखने की इजाजत है। लेकिन इसमें यह भी है कि दोहरी नागरिकता रखने वाले पाकिस्तानी नागरिक सार्वजनिक पद प्राप्त नहीं सकते हैं, न ही सांसद बन सकते हैं। ऐसे लोगों के चुनाव लड़ने अथवा सेना में भर्ती होने पर भी रोक है।
इस इस्लामी देश के नागरिकों को पाकिस्तान नागरिकता अधिनियम 1951 के तहत दोहरी नागरिकता रखने की इजाजत है। लेकिन इसमें यह भी है कि दोहरी नागरिकता रखने वाले पाकिस्तानी नागरिक सार्वजनिक पद प्राप्त नहीं सकते हैं, न ही सांसद बन सकते हैं। ऐसे लोगों के चुनाव लड़ने अथवा सेना में भर्ती होने पर भी रोक है। सर्वोच्च न्यायालय ने सितंबर 2012 में 11 सांसदों को अपनी दोहरी नागरिकता के बारे में जानकारी सार्वजनिक न करने पर अयोग्य घोषित किया था।
मंत्रिमंडल सचिवालय में 4 फरवरी को लोकसेवा नियम में संशोधन स्थायी समिति के सामने रखा
गया था। उल्लेखनीय है कि गत 17 जनवरी को सांसद अफनानुल्लाह खान ने 'द सिविल सर्वेसिस (संशोधन) विधेयक 2022' सदन में रखा था।
द डान के अनुसार, प्रस्तावित संशोधन में लोकसेवकों के दोहरी नागरिकता रखने पर रोक लगाने की बात की गई है। इसमें कहा गया है कि दोहरी नागरिकता रखने वाले नौकरशाहों को दूसरे देश की नागरिकता छोड़ने की समयसीमा तय की जाए। संसदीय कार्य राज्यमंत्री अली मुहम्मद खान का कहना है कि सरकारी नौकर सेवाकाल में दोहरी नागरिकता नहीं रख सकते। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति एक ही समय में दो देशों का विश्वासपात्र नहीं हो सकता।
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