वर्ष 2022-23 का केंद्रीय आम बजट एक नई दृष्टि देता दिखता है। इसमें वर्षभर की अपेक्षाओं के साथ-साथ आगामी 25 वर्षों की जरूरतों का ध्यान रखा गया है। इसके अलावा बजट में विकास का लाभ समाज के निचले स्तर तक पहुंचाने की चिंता और कोशिश भी दिखती है। यह बजट अर्थव्यवस्था को एक नया आधार देता दिख रहा है। इसमें कुछ खास केंद्रों पर स्थित औद्योगिक स्थानों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय आर्थिक उपक्रमों को देश भर में फैलाने की दृष्टि दिखती है। इसे यूं भी कह सकते हैं कि यह बजट छोटी-छोटी जगहों को विकास केंद्रों के रूप में विकसित करने और छोटी इकाइयों को आत्मनिर्भर बनाने पर केंद्रित है। प्राकृतिक खेती, खेती से जुड़े स्टार्टअप, एक स्टेशन-एक उत्पाद योजना पर जोर इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।
कृषि क्षेत्र में नई पहल
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में किसानों की रबी और खरीफ फसल का संरक्षण करते हुए किसानों के खातों में 2.37 लाख करोड़ रुपये की एमएसपी ट्रांसफर करने का लक्ष्य रखा है।
बजट में कृषि क्षेत्र की योजनाओं में नया दृष्टिकोण देखने में आता है। इसके तहत रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। पहले चरण में किसानों की गंगा किनारे की 5 किलोमीटर की जमीन को पहले चरण में चुना जाएगा। इससे स्वास्थ्य खाद्यान्न उपलब्ध होने के साथ किसानों की आय भी बढ़ सकेगी। किसानों को प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए, राज्य सरकारों और एमएसएमई की भागीदारी के लिए व्यापक पैकेज पेश किया जाएगा। प्राकृतिक, शून्य-बजट और जैविक खेती, आधुनिक कृषि की जरूरतों को पूरा करने के लिए राज्यों को कृषि विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
इसके अलावा कृषि क्षेत्र में तकनीकी को बढ़ावा देने की योजना है। वित्त मंत्री ने कहा कि पीपीपी मॉडल के तहत स्कीम लाई जाएंगी, जिससे किसानों तक डिजिटल और हाईटेक तकनीक पहुंचाई जाएगी। यहां तक कि किसानों की फसल मूल्यांकन और भू अभिलेख के लिए ड्रोन टेक्नोलॉजी की मदद ली जाएगी। साथ ही ड्रोन के जरिए न्यूट्रिएंट और कीटनाशक के छिड़काव को भी बढ़ावा दिया जाएगा। खेती को उद्योग से जोड़ने के लिए नाबार्ड के जरिए कृषि से जुड़े स्टार्टअप और ग्रामीण उद्यमों का वित्तपोषण किया जाएगा। स्टार्टअप एफपीओ का समर्थन करेंगे और किसानों को तकनीक प्रदान करेंगे।
किसानों और स्थानीय आबादी को सिंचाई, खेती और आजीविका की सुविधा प्रदान करने वाली 9 लाख हेक्टेयर से अधिक किसानों की भूमि की सिंचाई प्रदान करने के लिए 44,605 करोड़ रुपये के केन-बेतवा लिंक का कार्यान्वयन किया जाएगा। आॅयल सीड का आयात घटाने की दिशा में काम करते हुए घरेलू प्रोडक्शन को बढ़ावा दिया जाएगा। किसानों को फल और सब्जियों की सही किस्में इस्तेमाल करने के लिए सरकार कंप्रेहेंसिव पैकेज देगी, जिसमें राज्यों की भी भागीदारी होगी।
सहकारिता से समृद्धि
देश में सहकारिता आंदोलन की शुरूआत 118 साल पहले 1904 में ही हो चुकी थी। महात्मा गांधी, विनोबा भावे ने भी सहकारिता को महत्वपूर्ण माना। परंतु अब तक समाज और देश के विकास में इस क्षेत्र के योगदान को रेखांकित नहीं किया गया। भारत में करीब 8.30 लाख सहकारी समितियां हैं, जिनके 30 करोड़ से अधिक सदस्य हैं। इनमें अधिकांश समितियां गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में हैं। परंतु सहकारिता किसी अन्य जगह सही तरीके से मूर्त रूप नहीं ले सकी।
मोदी सरकार ने नेहरूकाल के रूमानी दौर से उबरते हुए सहकार को समृद्धि का मार्ग माना है। इसी को दृष्टि में रखते हुए बीते जुलाई माह में सहकारिता मंत्रालय का गठन किया गया। बजट में इस क्षेत्र का ध्यान रखा गया और सहकारिता मंत्रालय के लिए 900 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। उद्देश्य है देशभर में सहकारिता को बढ़ावा देकर स्थानीय वस्तुओं की ब्रांडिंग और बड़े पैमाने पर युवाओं को उनके घर के पास रोजगार देना।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए कहा कि सहकारी समितियों और कंपनियों के बीच एकसमान अवसर प्रदान करने को लेकर सहकारी समितियों के लिए वैकल्पिक न्यूनतम कर (एएमटी) दर को 15 प्रतिशत तक कम करने का प्रस्ताव रखा है। वर्तमान में सहकारी समितियों को 18.5 प्रतिशत की दर पर एएमटी देना होता है जबकि कंपनियों पर यह 15 प्रतिशत है।
वित्त मंत्री ने एक करोड़ रुपये से धिक और 10 करोड़ रुपये तक की कुल आय वाली सहकारी समितियों पर अधिभार को 12 प्रतिशत की वर्तमान दर से घटाकर 7 प्रतिशत करने का भी प्रस्ताव रखा है। हालांकि 10 करोड़ रुपये से अधिक की आय वाली समितियों पर यही दर जारी रहेगी।
पीएम गतिशक्ति योजना
देश के विकास के लिए मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था के सात इंजनों सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे, बंदरगाह, जन परिवहन, जलमार्ग और लॉजिस्टिक्स इन्फ्रा की पहचान की है। इसे पीएम गति शक्ति योजना का नाम दिया गया है। अर्थव्यवस्था के इन सात इंजनों से व्यापार और रोजगार यानी समृद्धिशाली भारत बनाने की पहली शर्त संपर्क (कनेक्टिविटी) बढ़ता है। इससे माल की आवाजाही भी सहज होती है जिससे लागत और मूल्य पर भी फर्क पड़ता है।
इसके तहत इस बजट में रेलवे पर ध्यान केंद्रित किया गया है। बजट घोषणा के अनुसार अगले 3 वर्षों में 400 नई पीढ़ी की वंदे भारत ट्रेनों का विकास और निर्माण किया जाएगा। स्थानीय व्यवसायों की मदद के लिए एक स्टेशन, एक उत्पाद की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया जाएगा। इसके अलावा, 3 वर्षों में 100 कार्गो टर्मिनल बनाने की बात कही गई है। आम बजट में 60 किमी लंबे आठ रोपवे के निर्माण के लिए कांट्रेक्ट देने की बात कही गई है।
2022-23 में राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क का 25,000 किलोमीटर तक विस्तार किया जाएगा। इस पर 20,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। एक्सप्रेसवे के लिए पीएम गतिशक्ति मास्टरप्लान अगले वित्तीय वर्ष में तैयार किया जाएगा। इसके अलावा वित्त वर्ष 2022-23 में चार मल्टी-मोडल राष्ट्रीय उद्यान अनुबंध प्रदान किए जाएंगे।
निर्माण क्षेत्र
सरकार ने रोजगार के पीएम आवास योजना के तहत ग्रामीण, शहरी क्षेत्रों में 80 लाख नए आवास पूरे किए जाएंगे। इस योजना के लिए सरकार 48,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी। बता दें कि प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ पहले सिर्फ गरीब वर्ग के लिए था। लेकिन, अब होम लोन की रकम बढ़ाकर शहरी इलाकों के गरीब और मध्यम वर्ग को भी इसके दायरे में लाया गया है। केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर इस योजना को अंजाम तक पहुंचाएंगी।
इसके अलावा, वित्त मंत्री ने लंबी अवधि के किसी भी तरह के कैपिटल गेन पर अधिकतम 15प्रतिशत सरचार्ज लेने की घोषणा की है। इस फैसले से सबसे बड़ा फायदा प्रॉपर्टी बाजार के निवेशकों को होगा। अभी तक प्रॉपर्टी की बिक्री पर इंडेक्सन छूट के बाद लंबी अवधि के लिए 20 प्रतिशत कैपिटेल गेन और सरचार्ज चुकाना होता है। ऐसे में कई मामलों में सरचार्ज की दर 30 प्रतिशत से अधिक तक चली जाती थी। अब ऐसा होगा नहीं होगा। इससे कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में तेजी आएगी। सभी घरों को पीने का साफ पानी मुहैया कराने पर फोकस स्कीम नल-जल योजना के लिए इस बजट में 60 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
रोजगार के लिए नया नजरिया
रोजगार देश में एक बड़ा मुद्दा है। बजट में रोजगार को नए नजरिए से देखा गया है। बजट इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि भविष्य में रोजगार कहां से आ सकता है। उन क्षेत्रों का समावेश विभिन्न योजनाओं में किया गया है। रोजगार के तीन बड़े क्षेत्रों कृषि, बुनियादी ढांचा और निर्माण क्षेत्र में तेजी लाने की योजनाएं तो रोजगार बढ़ाएंगी ही, साथ ही इन क्षेत्रों में कुछ नए प्रयोग करके नए तरह के रोजगार के अवसर उत्पन्न करने के प्रयास भी दिखते हैं। इसमें कृषि क्षेत्र में प्राकृतिक खेती, ड्रोन व अन्य तकनीकी का उपयोग और कृषि क्षेत्र से जुड़े स्टार्टअप के वित्तपोषण की योजना नए तरह के रोजगार के अवसर उत्पन्न करेगी। एक स्टेशन-एक उत्पाद योजना एक अनूठी योजना है जो विकास के लाभ को कोने-कोने तक पहुंचाने में सक्षम है और इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर बढ़ जाएंगे। इस दृष्टि से देखें तो सहकारिता रोजगार देने का एक बड़ा क्षेत्र बनने जा रहा है। इसके अलावा ब्लॉक चेन, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, सूचना प्रौद्योगिकी जैसी तकनीकों पर जोर भी नए तरह के रोजगार का सृजन करने में सक्षम है। रक्षा क्षेत्र में 68 प्रतिशत खरीद घरेलू स्तर पर करने का लक्ष्य रक्षा गलियारे में रोजगार पैदा करने में सक्षम होगा।
पूर्वोत्तर के विकास पर जोर
देश के पूर्वोत्तर राज्य अब तक उपेक्षित थे। पहली बार बजट पर पूर्वोत्तर राज्यों के विकास पर इतना जोर दिया गया है। इस लिहाज से इसे अभूतपूर्व बजट कह सकते हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूर्वोत्तर राज्यों की विभिन्न ढांचागत और सामाजिक परियोजनाओं के लिए 1,500 करोड़ रुपये आवंटित कर उनकी प्रगति को आगे बढ़ाने का खाका खींचा है। इससे पूर्वोत्तर राज्यों में लोगों के लिए हजारों रोजगार के अवसर पैदा करने की अपार संभावनाएं हैं। इस कदम के तहत, पूर्वोत्तर राज्यों के गांवों में चहुंमुखी विकास के लिए सड़क, रेल, हवाई और अंतदेर्शीय जलमार्ग कनेक्टिविटी जैसे भौतिक बुनियादी ढांचे में सुधार पर जोर दिया जाएगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पीएम विकास पहल के तहत पूर्वोत्तर के गांवों के लोगों के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन लाने के लिए देश की उत्तरी सीमा पर गांवों को एक नए जीवंत ग्राम यानी ‘न्यू वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत कवर किया जाएगा। पीएम गति शक्ति फ्रेमवर्क प्लान के तहत, कम आबादी वाले सीमावर्ती गांवों को श्रेणीबद्ध और विकसित किया जाएगा।
न्यू वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत, ग्रामीण बुनियादी ढांचे, आवास, पर्यटन केंद्र, सड़क संपर्क, विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा का प्रावधान, दूरदर्शन और शिक्षा चैनलों की डीटीएच पहुंच, रोजगार सृजन गतिविधियों इत्यादि सहित कई विकास गतिविधियों को अंजाम दिया जाएगा। पूर्वोत्तर के लिए पीएम विकास पहल को और अधिक प्रासंगिक और सशक्त बनाने के लिए इसे पूर्वोत्तर परिषद के जरिए लागू किया जाएगा। इस योजना के तहत लागू की जाने वाली सभी परियोजनाएं पूर्वोत्तर की महसूस की गई जरूरतों पर आधारित होंगी और युवाओं और महिलाओं की मदद के लिए तैयार होंगी।
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