पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के कल यानी 3 फरवरी को कर्ज का कटोरा लेकर चीन जाने से ठीक पहले पाकिस्तान की सेना पर बलूचिस्तान में जबरदस्त हमला हुआ। दो सैन्य ठिकानों पर हुए इन हमलों में बलोच सूत्रों के अनुसार, 100 से ज्यादा सैनिकों की मौत हुई है।
बाद में हमले की जिम्मेदारी लेते हुए बलोच लिबरेशन आर्मी ने अपने तेवर और कड़े करने के संकेत दिए हैं।
पता चला है कि बलोच लिबरेशन आर्मी के लड़ाकों के इस हमले में पाकिस्तान की फ्रंटियर कोर के आईजी मेजर जनरल अयमान बिलाल सफदर की भी जान गई है। साफ है कि बलोच लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तान की सेना के साथ अपने संघर्ष को और बढ़ा दिया है।
बलूचिस्तान में रहने वाले लोग एक लंबे अर्से से पाकिस्तान से आजादी की मांग करते आ रहे हैं। उन्होंने अनेक मंचों से लगातार आरोप लगाए हैं कि पाकिस्तान सरकार उनका शोषण और उत्पीड़न कर रही है। लोगों को रातोंरात 'गायब' कर दिया जाता है। न कोई रिपोर्ट लिखी जाती है, न कोई सुनवाई होती है। कितने ही बलोच युवा सालों से गायब हैं या दूसरे देशों में शरण लिए हुए हैं। सरकार के विरुद्ध आवाज उठाने वालों पर पाकिस्तान की सेना अत्याचार करती है। उनकी हत्या हो जाती है।
बलूच लिबरेशन आर्मी के इस दोहरे हमले में पाकिस्तान सेना को जबरदस्त चोट लगी है। ये हमले नोश्की तथा पंजुगुर स्थित सैन्य चौकियों पर किए गए हैं। हमलों के बाद पाकिस्तान के सैनिकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। वहां गृहयुद्ध जैसी परिस्थितियां बन चुकी हैं। उधर पाकिस्तान के मंत्री चौधरी फवाद हुसैन ने इस हमले में बलोच लिबरेशन आर्मी को भी काफी नुकसान होने की बात की है। उन्होंने उन्हें आतंकवादी बताया है। यहां बता दें कि पाकिस्तान की ओर से इन हमलों में कुल सात सैनिकों के मारे जाने की बात की गई है।
उल्लेखनीय है कि बलूचिस्तान के निवासी दुनिया के तमाम मंचों से आजादी की मांग उठाते आ रहे हैं। वे पाकिस्तान के आततायी शासन तले नहीं रहना चाहते। उनका यह भी कहना है कि पाकिस्तान के हुक्मरानों ने बलूचिस्तान पर जबरन कब्जा किया हुआ है। बलूचिस्तान के अधिकांश नेताओं का कहना है कि पाकिस्तानी सैनिक बलोच लोगों पर अत्याचार करते हैं। उनकी मांग है कि बलूचिस्तान को एक आजाद देश घोषित किया जाए।
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