केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्चुअल डिजिटल संपत्ति पर कर के प्रावधान पर साफ किया है कि इसका मतलब यह नहीं कि सरकार क्रिप्टो को मुद्रा की मान्यता दे रही है। उन्होंने कहा कि क्रिप्टो के नियमन को लेकर काम किया जा रहा है। फिलहाल इसे संपत्ति मानकर इससे होने वाले लाभ को कर के दायरे में लाया गया है।
सरकार क्रिप्टो को मुद्रा का दर्जा नहीं देती। हालांकि कथित क्रिप्टो करंसी से लोगों को लाभ मिल रहा है। ऐसे में सरकार इस लाभ पर कर लगा रही है। उन्होंने कहा कि इस वर्चुअल संपत्ति के लेनदेन के दौरान पेमेंट पर एक फीसदी टीडीएस लगेगा।
वित्त मंत्री सीतारमण ने बजट पेश करने के बाद संवाददाता सम्मेलन में यह स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कहा कि सरकार आरबीआई की मुद्रा को ही स्वीकार्य मानती है। भारतीय रिजर्व बैंक ब्लॉकचेन और अन्य तकनीक का उपयोग करते हुए डिजिटल करंसी (डिजिटल रुपये) लाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार क्रिप्टो को मुद्रा का दर्जा नहीं देती। हालांकि कथित क्रिप्टो करंसी से लोगों को लाभ मिल रहा है। ऐसे में सरकार इस लाभ पर कर लगा रही है। उन्होंने कहा कि इस वर्चुअल संपत्ति के लेनदेन के दौरान पेमेंट पर एक फीसदी टीडीएस लगेगा। सरकार प्रत्येक लेनदेन पर एक प्रतिशत टीडीएस लगाकर क्रिप्टो संपत्ति के लेनदेन को ट्रैक कर रही है।
उल्लेखनीय है कि बजट भाषण में वित्त मंत्री ने यह ऐलान किया है कि वर्चुअल डिजिटल संपत्ति में लेनदेन तेजी से बढ़ा है। इसे देखते हुए किसी भी वर्चुअल डिजिटल संपत्ति के लेनदेन से होने वाली आमदनी पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाएगा जाएगा।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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