मन की बात : हमारे यहां शिक्षा किताब तक सीमित नहीं, बहुआयामी है - प्रधानमंत्री
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मन की बात : हमारे यहां शिक्षा किताब तक सीमित नहीं, बहुआयामी है – प्रधानमंत्री

by WEB DESK
Jan 30, 2022, 05:16 am IST
in भारत, दिल्ली
सोशल मीडिया से ली गई तस्वीर

सोशल मीडिया से ली गई तस्वीर

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मन की बात के प्रारंभ में ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज हम फिर ऐसी चर्चाओं को आगे बढ़ाएंगे जो हमारे देश और देशवासियों की सकारात्मक प्रेरणाओं और सामूहिक प्रयासों से जुड़ी होती है। उन्होंने कहा कि हमारे पूज्य बापू महात्मा गांधी की आज पुण्यतिथि भी है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत शिक्षा और ज्ञान की तपोभूमि है। हमने शिक्षा को किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रखा। इसे जीवन के समग्र अनुभव के तौर पर देखा है। यहां अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े लोग हैं। वह दूसरों की मदद कर समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह कर रहे हैं। कॉलर वाली बाघिन और घोड़े विराट का जिक्र करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां प्रकृति के साथ हर जीव के लिए प्रेम और करुणा है। यही हमारी संस्कृति भी है और स्वभाव भी है।

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम शृंखला की 85वीं कड़ी में कहा कि मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व में पिछले दिनों एक बाघिन के अंतिम संस्कार के भावुक पल का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि लोग इसे कॉलरवाली बाघिन बुलाते थे। वन विभाग ने इसे टी-15 नाम दिया था। इस बाघिन की मृत्यु ने लोगों को इतना भावुक कर दिया जैसे उनका कोई अपना दुनिया छोड़ गया हो। लोगों ने उसका अंतिम संस्कार किया। उसे पूरे सम्मान और स्नेह के साथ विदाई दी। इस पल की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं। यही तो भारत के लोगों की खूबी है। हम हर चेतन जीव से प्रेम का संबंध बना लेते हैं। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में प्रकृति और जीवों के लिए हम भारतीयों के इस प्यार की खूब सराहना हुई। कॉलरवाली बाघिन ने जीवनकाल में 29 शावकों को जन्म दिया और 25 को पाल-पोसकर बड़ा भी बनाया।

प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति के अंगरक्षक दल में 19 साल सेवा देने के बाद 26 जनवरी को परेड के बाद सेवानिवृत्त हुये घोड़े विराट का जिक्र करते हुये कहा कि इस परेड में राष्ट्रपति के अंगरक्षक के चार्जर घोड़े विराट ने अपनी आखिरी परेड में हिस्सा लिया। घोड़ा विराट, 2003 में राष्ट्रपति भवन आया था और हर बार गणतंत्र दिवस पर कमांडेंट चार्जर के तौर पर परेड को लीड करता था। जब किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष का राष्ट्रपति भवन में स्वागत होता था, तब भी वो अपनी ये भूमिका निभाता था। इस वर्ष सेना दिवस पर विराट को सेना प्रमुख द्वारा सीओएएस प्रशस्ति पत्र भी दिया गया। विराट की विराट सेवाओं को देखते हुए उसकी सेवा-निवृत्ति के बाद उतने ही भव्य तरीके से उसे विदाई दी गई। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ने स्वयं परेड के बाद घोड़े विराट को थपकी दी थी।

प्रधानमंत्री ने इस दौरान असम में एक सींग वाले गैंडे के शिकार में कमी का भी जिक्र किया। एक सींग वाला गैंडा हमेशा से असमिया संस्कृति का हिस्सा रहा है। वर्ष 2013 में 37 और 2014 में 32 गैंडों को तस्करों ने मार डाला था। इस चुनौती से निपटने के लिए पिछले सात वर्षों में असम सरकार के विशेष प्रयासों से गैंडों के शिकार के खिलाफ एक बहुत बड़ा अभियान चलाया गया। पिछले 22 सितम्बर को विश्व राइनो दिवस के मौके पर तस्करों से जब्त किये गए 2400 से ज्यादा सींगों को जला दिया गया था। ऐसे ही प्रयासों का नतीजा है कि अब असम में गैंडों के शिकार में लगातार कमी आ रही है। जहां 2013 में 37 गैंडे मारे गए थे, वहीं 2020 में 2 और 2021 में सिर्फ 1 गैंडे के शिकार का मामला सामने आया है।

मन की बात में ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा

19 साल सेवा देने के बाद 26 जनवरी को परेड के बाद सेवानिवृत्त हुये घोड़े विराट का जिक्र

2003 में राष्ट्रपति भवन आया था और हर बार गणतंत्र दिवस पर परेड को लीड करता था

22 सितम्बर को विश्व राइनो दिवस के मौके पर तस्करों से जब्त किये गए

2047 का इंतजार क्यों? भ्रष्टाचार तो दीमक हम सभी देशवासियों को खोखला करता है।

100वें साल में भारत को दुनिया का सबसे स्वच्छ, आतंकवाद से मुक्त देखना चाहती हैं।

100 प्रतिशत साक्षर, तकनीक से खाद्य सुरक्षा में सक्षम देश बनते देखना चाहती हैं।

2047 में भारत को रक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी ताकत के रूप में देखना चाहते हैं।

1907 में जर्मनी में तिरंगा फहराया, तिरंगे को डिजाइन में श्यामजी कृष्ण वर्मा साथ दिया

100 से अधिक वैदिक और दार्शनिक ग्रन्थ भी प्रकाशित किये हैं।

12 मंदिरों का निर्माण कराया गया है, जिनमें अनके आश्रम, देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं।

प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से आये स्कूली छात्रा नव्या के पोस्टकार्ड को पढ़ते हुये नव्या के साथ-साथ देशवासियों से कहा कि देश के लिये आपका भ्रष्टाचार से पूरी तरह मुक्ति का सपना बहुत सराहनीय है। इस दिशा में देश तेजी से आगे भी बढ़ रहा है। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार तो दीमक की तरह देश को खोखला करता है। उससे मुक्ति के लिए 2047 का इंतजार क्यों? यह काम हम सभी देशवासियों और आज की युवा-पीढ़ी को मिलकर करना है। जल्द से जल्द करना है। इसके लिए बहुत जरूरी है कि हम अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता दें। जहां कर्तव्य निभाने का एहसास होता है और कर्तव्य सर्वोपरि होता है, वहां भ्रष्टाचार फटक भी नहीं सकता।

प्रधानमंत्री मोदी को आजादी के अमृत महोत्सव के मद्देनजर देश और विदेश के एक करोड़ से अधिक बच्चों ने अपने ‘मन की बात’ पोस्टकार्ड के जरिये लिखकर भेजी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की आजादी के अमृत महोत्सव का उत्साह केवल हमारे देश में ही नहीं है। भारत के मित्र देश क्रोएशिया से भी उन्हें 75 पोस्टकार्ड मिले हैं। प्रधानमंत्री ने इनमें से कुछ चुनिंदा पत्रों को साझा करते हुये कहा कि सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली रिद्धिमा स्वर्गियारी ने गुवाहाटी (असम) से लिखा है कि वह आजादी के 100वें साल में भारत को दुनिया का सबसे स्वच्छ, आतंकवाद से पूरी तरह से मुक्त, शत-प्रतिशत साक्षर, शून्य सड़क दुर्घटना और टिकाऊ तकनीक से खाद्य सुरक्षा में सक्षम देश बनते देखना चाहती हैं।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने चेन्नई से मोहम्मद इब्राहिम के भेजे पत्र को साझा किया। उन्होंने लिखा है कि वे 2047 में भारत को रक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी ताकत के रूप में देखना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि चंद्रमा पर भारत का अपना अनुसंधान आधार हो और मंगल पर भारत, मानव आबादी को बसाने का काम शुरू करे। साथ ही इब्राहिम पृथ्वी को भी प्रदूषण से मुक्त करने में भारत की बड़ी भूमिका देखते हैं। मध्य प्रदेश स्थित रायसेन में सरस्वती विद्या मंदिर की 10वीं की छात्रा भावना ने प्रधानमंत्री को पोस्टकार्ड भेजकर मन की बात साझा की है। भावना के पोस्टकार्ड की सजावट को देखकर प्रधानमंत्री ने उनकी प्रशंसा की। भावना ने क्रांतिकारी शिरीष कुमार के बारे में लिखा है।

प्रधानमंत्री ने गोवा से लॉरेन्शियो परेरा के पत्र का भी जिक्र किया। 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले परेरा ने आजादी के गुमनाम नायकों को लेकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल रही सबसे बहादुर महिलाओं में से एक भीकाजी कामा का जिक्र किया है। 1907 में उन्होंने जर्मनी में तिरंगा फहराया था। इस तिरंगे को डिजाइन करने में श्यामजी कृष्ण वर्मा ने उनका साथ दिया था। प्रधानमंत्री ने अपने मुख्यमंत्री काल के दौरान श्यामजी कृष्ण वर्मा की अस्थियों को स्वदेश लाने का जिक्र करते हुये कहा कि श्यामजी का निधन 1930 में जेनेवा में हुआ था। उनकी अंतिम इच्छा थी कि भारत की आजादी के बाद उनकी अस्थियां भारत लायी जाएं। वैसे तो 1947 में आजादी के दूसरे ही दिन उनकी अस्थियां भारत वापस लानी चाहिए थीं, लेकिन यह काम नहीं हुआ। जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तो वर्ष 2003 में उनकी अस्थियां भारत लायी गईं थीं। श्यामजी कृष्ण वर्मा जी की स्मृति में उनके जन्म स्थान, कच्छ के मांडवी में एक स्मारक का निर्माण भी हुआ है।

मन की बात के प्रारंभ में ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज हम फिर ऐसी चर्चाओं को आगे बढ़ाएंगे जो हमारे देश और देशवासियों की सकारात्मक प्रेरणाओं और सामूहिक प्रयासों से जुड़ी होती है। उन्होंने कहा कि हमारे पूज्य बापू महात्मा गांधी की आज पुण्यतिथि भी है। 30 जनवरी का यह दिन हमें बापू की शिक्षाओं की याद दिलाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि “कुछ दिन पहले ही हमने गणतंत्र दिवस भी मनाया। दिल्ली में राजपथ पर हमने देश के शौर्य और सामर्थ्य की जो झांकी देखी, उसने सबको गर्व और उत्साह से भर दिया है।” उन्होंने कहा कि एक परिवर्तन जो आपने देखा होगा, अब गणतंत्र दिवस समारोह 23 जनवरी, यानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती से शुरू होगा और 30 जनवरी तक यानी गांधी जी की पुण्यतिथि तक चलेगा।

इस दौरान उन्होंने इंडिया गेट पर नेताजी की डिजिटल प्रतिमा भी स्थापित करने की चर्चा की। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पहल का जिस प्रकार से देश ने स्वागत किया है, देश के हर कोने से आनंद की जो लहर उठी और देशवासियों ने जिस प्रकार की भावनाएं प्रकट की, उसे हम कभी भूल नहीं सकते हैं। प्रधानमंत्री ने 26 जनवरी पर आयोजित होने वाले गणतंत्र दिवस कार्यक्रम का स्मरण कराते हुये कहा कि दिल्ली में राजपथ पर हमने देश के शौर्य और सामर्थ्य की जो झांकी देखी, उसने सबको गर्व और उत्साह से भर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आजादी के अमृत महोत्सव में देश अपने राष्ट्रीय प्रतीकों को पुन: प्रतिष्ठित कर रहा है। हमने देखा कि इंडिया गेट के समीप ‘अमर जवान ज्योति’ और पास में ही ‘नेशनल वॉर मेमोरियल’ पर प्रज्ज्वलित ज्योति को एक किया गया। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि देश में कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय बाल पुरस्कार और पद्म सम्मान की घोषणा हुई है। इन पुरस्कारों को पाने वालों में कई ऐसे नाम भी हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ये हमारे देश के गुमनाम नायक हैं, जिन्होंने साधारण परिस्थितियों में असाधारण काम किये हैं।

इस दौरान उन्होंने पद्म पुरस्कार से सम्मानित उत्तराखंड की बसंती देवी, मणिपुर की 77 वर्षीय लौरेम्बम बीनो देवी के साथ-साथ कर्नाटक के किसान अमाई महालिंगा नाइक के साथ समाज में उनके योगदान की चर्चा की। प्रधानमंत्री ने उन लोगों को भी शुभकामनाएं दीं, जो देश में अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़कर दूसरों की मदद कर समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह कर रहे हैं। इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि मुझे बेहद खुशी है कि इस तरह के प्रयास उच्च शिक्षा के क्षेत्र में खासकर हमारी अलग-अलग आईआईटी संस्थानों में निरंतर देखने को मिल रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात की तरफ भी ध्यान दिलाया कि भारतीय संस्कृति के विविध रंगों और आध्यात्मिक शक्ति ने हमेशा से दुनियाभर के लोगों को अपनी ओर खींचा है। वर्तमान में भी यह निरंतर बढ़ रहा है। भारतीय संस्कृति का लैटिन और दक्षिण अमेरिका में बड़ा आकर्षण है।

उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति अमेरिका और कनाडा के साथ-साथ दुबई, सिंगापुर, पश्चिमी यूरोप एवं जापान में बहुत ही लोकप्रिय है। लेकिन, आप यह जानकर हैरान होंगे कि भारतीय संस्कृति का लैटिन अमेरिका और दक्षिण अमेरिका में भी बड़ा आकर्षण है। अर्जेंटीना में फहरा रहे भारतीय संस्कृति के परचम का जिक्र करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि वहां भारतीय संस्कृति को बहुत पसंद किया जाता है। 2018 की अपनी अर्जेंटीना यात्रा का जिक्र करते हुये उन्होंने कहा कि अर्जेंटीना में हस्तिनापुर फाउंडेशन नामक एक संस्था है। यह फाउंडेशन अर्जेंटीना में भारतीय वैदिक परम्पराओं के प्रसार में जुटा है। इसकी स्थापना 40 साल पहले प्रोफेसर ऐडा एलब्रेक्ट ने की थी। आज ऐडा एलब्रेक्ट 90 वर्ष की होने जा रही हैं। भारत के साथ उनका जुड़ाव कैसे हुआ यह भी बहुत दिलचस्प है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब वे 18 साल की थीं, तब पहली बार भारतीय संस्कृति की शक्ति से उनका परिचय हुआ। उन्होंने भारत में काफी समय भी बिताया। भगवद्गीता और उपनिषदों के बारे में गहराई से जाना। आज हस्तिनापुर फाउंडेशन के 40 हजार से अधिक सदस्य हैं और अर्जेंटीना एवं अन्य लैटिन अमेरिकी देशों में इसकी करीब 30 शाखाएं हैं। उन्होंने कहा कि हस्तिनापुर फाउंडेशन ने स्पेनिश भाषा में 100 से अधिक वैदिक और दार्शनिक ग्रन्थ भी प्रकाशित किये हैं। आश्रम में 12 मंदिरों का निर्माण कराया गया है, जिनमें अनके देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। इन सबके केंद्र में एक ऐसा मंदिर भी है जो अद्वैतवादी ध्यान के लिए बनाया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे सैकड़ों उदाहरण यह बताते हैं कि हमारी संस्कृति, हमारे लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए अनमोल धरोहर है। दुनिया के लोग उसे जानना चाहते हैं। समझना चाहते हैं। जीना चाहते हैं। हमें भी पूरी जिम्मेदारी के साथ अपनी सांस्कृतिक विरासत को अपने जीवन का हिस्सा बनाते हुए सब लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए।

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